(अनवर चौहान) नई दिल्ली: भारत सरकार की तमाम खुफिया ऐजंसियों की कलई खुल गई है। ऐजंसियों का दावा था कि भारत में ISIS कोई ऐंट्री नहीं हुई है। लेकिन सच्चाई ये है कि ISIS ने भारत में पैर पसार लिए हैं। और पढ़े लिखे मुस्लिम नौजवान को लड़ाके के तौर पर तैयर कर सीरिया भेजे जाने का सिलसिला जारी है। करीब 70  युवा जिनमें इंजीनियर, डॉक्टर, सीए आदि शामिल हैं, आईएस के लिए लड़ने के लिए इच्छा रखते हैं। इसके अलावा करीब 60 अन्य लोगों को विभिन्न  एयरपोर्ट पर रोका जा चुका है जो आईएस की लड़ाई के लिए जा रहे थे। एक टीवी न्यूज चैनल ने खुलासा किया है कि एक नौजवान पिछले साल करीब इसी समय, 25 साल का भारतीय युवक मुंबई एयरपोर्ट से दुबई के लिए निकला। उसका मकसद तुर्की पहुंचना था, ताकि वह सीरिया में जाकर आईएस के लिए लड़ाई लड़ सके। एक फर्जी कंपनी के बिसनेस एक्जीक्यूटिव के प्रतिनिधि के तौर पर उसके यात्रा के पूरी कागजात तैयार किए गए थे। यह सारा काम आईएस के भारत के एजेंट ने ऐसा करवा के दिया था कि मुंबई एयरपोर्ट पर भी उससे कोई सवाल नहीं किया गया। उसके वीजा पर ऐसे स्टैंप लगे थे कि कोई सवाल ही पूछा गया। उसने कंप्यूटर में डिप्लोमा किया है। उस युवक ने बताया कि सारा प्रबंध आईएस के लोग कर रहे थे दुबई में आईएस से सहानुभूति रखने वाले लोगों ने ठहरने से लेकर खाने पीने का पूरा इंतजाम कर रखा था। वो सीथे सीरिया नहीं पहुंचा। उससे इस्तांबुल की सुलेमान मस्जिद में प्रार्थना के बाद आईएस की सेना के कुछ लोग मिले। लेकिन तब तक उसका इरादा बदल चुका था। `वहां से वो तब भाग निकला जब बाकी लोग सो रहे थे।  सीधे भागकर अंकारा स्थित भारतीय दूतावास पहुंचा। जहां से उन लोगों ने मेरे भारत लौटने में मदद की।` सीरिया से कुछ किलोमीटर की दूरी पर पहुंचकर उसका हृदय परिवर्तन क्यों हो गया। उसने बताया कि वहां पर आईएस के लोग उससे अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे थे और फिर मुझे घर की याद आने लगी थी।  जांच एजेंसियों का कहना है कि जब तक आईएस के एजेंट कोई अपराध करते नहीं पकड़ में आते तब  तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। तमाम युवा सरकार की सुधारवादी कार्यक्रम का हिस्सा हैं  जानकारी के अनुसार करीब 70 लोग जिनमें से अधिकतकर 20 और 30 की उम्र के बीच हैं, सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चलाई जा रही सुधारवादी योजनाओं का हिस्सा हैं। उसने बताया कि करीब दो साल पहले वह एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से आईएस के संपर्क में आया और एक टेलेंट हंट के बाद चेन्नई में उससे आईएस  के लोग मिले। उसने बताया कि ये लोग पढ़े लिखे लोगों के पास जाते है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर जानकारी होती है और जो धार्मिक होते हैं। अनवर ने बताया कि मेरी इस्लाम में रुचि थी और मैं ईरान, इराक और सीरिया की घटनाओं से वाकिफ था। वो करीब 11 महीनों के बाद आईएस के लोगों की बात पर राजी हुआ कि सीरिया में इस्लाम के लिए लड़ाई लड़ी जानी चाहिए। उसे आईएस की सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल का ओहदा दिए जाने की बात कही गई थी। एक खूबसूरत सीरियाई महिला से शादी करवाने का लालच दिया। लड़ाई में कुछ हो जाने पर परिवार की  देखभाल का भरोसा भी दिया। इसके अलावा भारत में कागजात तैयार करवाने के लिए एक लाख रुपये दिए जाने की बात भी उसने बताई।