अनवर चौहान
नई दिल्ली, वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह जो पिछले 40 सालों से भाजपा और संघ को कवर करते आए हैं उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस देश को सौ साल पीछे धकेल दिया है। एनके सिंह मोदी की एक दो नहीं बहुत सारी खामियां गिनाई दलीलों के साथ।एक टीवी शो में एनके सिंह बोले कि मोदी को एक ग़लत फहमी हो गई है। वो अपने सामने भगवान को भी छोटा मानते हैं। जिस तरह उनकी ब्रांडिंग की गई तो वो अपने आप को आक़ा समझ बैठे हैं। मोदी समझ बैठे हैं कि उनके चहरे पर ही चुनाव जीते जाते हैं। लिहाज़ा उनकी हठधर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। किसानों के आंदोलन के समय भी वो पीछे हटने को तैयार नहीं थे कुछ ऐसा ही वो अब पहलवानों के साथ कर रहे हैं। लेकिन इसके दूरगामी नतीजे भाजपा के लिए बड़े नुक़सानदेह साबित होने वाले हैं।
गोदी मीडिया को छोड़ कर इस देश के नामचीं पत्रकारों ने साफ संकेत दे दिए हैं कि आगमामी लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा की गत बनने जा रही है। अंग्रेजी की वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी का इंडियन एक्सप्रेस अख़बार में एक लेख छपा है। जिसमें उन्होंने कहा कि वे हरियाणा दौरे पर गई। वहां जाट बिरादरी में बहुत ज्यादा गुस्सा है।  जाटों के अलावा भी लोगों में पहलवानों को लेकर भारी नाराज़गी है। सीनियर पत्रकार विनोद अग्निहोत्री, संजीव श्रीवास्तव, सुकेश रंजन, आशूतोष  जैसे सरीखे पत्रकारों का मानना है कि ऊंट करवट बदलने वाला है।
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी सभी राजनीतिक दलों की ओर से शुरू हो गई है। 2024 के चुनाव में विपक्षी दल बीजेपी को घेरने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। विपक्षी एकजुटता की बात हो रही है और इसको लेकर प्रयास भी जारी है। भारत में विपक्षी एकता पर एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने भी वॉशिंगटन में कहा कि एकजुट विपक्ष बीजेपी को 2024 के लोकसभा चुनाव में हरा देगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अलग-अलग दलों से मुलाकात कर रहे हैं। विपक्ष की ओर से रणनीति तैयार करने के लिए बिहार में एक बैठक भी हो रही है। विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से यह कहा जा रहा है कि मिलकर लड़ेंगे तो बीजेपी को हराया जा सकता है। रणनीति 2024 की तैयार हो रही है लेकिन 2019 के चुनाव को देखा जाए तो मुकाबला सिर्फ बीजेपी बनाम अन्य नहीं था। नतीजों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों का ही सिर्फ दबदबा है। वहां कांग्रेस और बीजेपी सीन में ही नहीं है। साथ ही कई सीटों पर सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला है। 543 सीटों के पूरे गणित को इन 5 पॉइंट्स में समझा जा सकता है।
1.बीजेपी बनाम कांग्रेस (161 सीटें )
12 राज्य और 3 केंद्रशासित प्रदेश जिसमें 161 लोकसभा सीटें शामिल हैं। बीजेपी और कांग्रेस के बीच यहां मुख्य मुकाबला देखने को मिला था। 147 सीटें ऐसी हैं जहां दोनों के बीच सीधा मुकाबला था। वहीं 12 सीटों पर क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय दल को चुनौती देते दिखे। 2 सीटों पर क्षेत्रीय दलों के बीच ही मुकाबला था। इसमें मध्यप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा राज्य शामिल हैं। यहां बीजेपी को 147 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस को 9 और अन्य के खाते में 5 सीट गई।
2.बीजेपी बनाम क्षेत्रीय दल (198 सीटें)
यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, और ओडिशा... इन 5 राज्यों की 198 सीटों पर अधिकांश में बीजेपी और रीजनल पार्टी के बीच ही मुकाबला रहा। 154 सीटों पर सीधा बीजेपी और क्षेत्रीय दलों के बीच मुकाबला था। 25 सीटों पर कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच मुकाबला था। 19 सीटों पर क्षेत्रीय दलों के बीच ही मुकाबला था। बंगाल की 42 सीटों में से 39 सीटों पर बीजेपी या तो पहले या दूसरे नंबर पर थी। पिछले चुनाव में बीजेपी को यहां 116 सीटों पर, कांग्रेस 6 और अन्य को 76 सीटों पर जीत मिली।
3.कांग्रेस बनाम क्षेत्रीय दल (25 सीटें )
2019 के चुनाव में कांग्रेस केरल, लक्षद्वीप, नगालैंड, मेघालय और पुडुचेरी की 25 सीटों में से 20 पर पहले या दूसरे नंबर पर रही। यहां बीजेपी लड़ाई में भी नहीं दिखी। केरल की केवल एक सीट थी जहां बीजेपी को दूसरा स्थान हासिल हुआ था। यहां 17 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। वहीं अन्य को 8 सीटें मिलीं।
4.यहां कोई मार सकता है बाजी (93 सीटें )
6 राज्य ऐसे हैं जहां की 93 सीटों पर सबके बीच मुकाबला देखा गया। 93 सीटों पर बीजेपी, कांग्रेस और क्षेत्रीय दल सभी मजबूत नजर आए। महाराष्ट्र इसका उदाहरण है जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों गठबंधन के साथ में हैं। यहां पिछले चुनाव में बीजेपी को 40, अन्य को 41 और कांग्रेस को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई।
5.सिर्फ स्टेट पार्टी का ही दबदबा (66 सीटें )
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मिजोरम और सिक्किम की 66 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां सिर्फ क्षेत्रीय दल का ही दबदबा है। तमिलनाडु की 39 सीटों में से सिर्फ 12 सीटों पर ही कांग्रेस या बीजेपी का थोड़ा आधार है। वह भी गठबंधन के सहारे। यहां 58 सीटों पर अन्य और 8 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था।