वरिष्ठ पत्रकार अनवर चौहान
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद की नई इमारत का उद्घाटन ज़रूर किया लेकिन कुछ ने कहा कि इस देश में आज लोकतंत्र की हत्या हुई है। जो हो रहा है वो राज शाही है लोकतंत्र कतई नहीं। लोकतंत्र कभी भी डंडे से नहीं चलता। ये बात इतिहास के पन्नों में दर्ज है। लेकिन नरेंद्र मोदी ने पिछले नौ साल से इस मुल्क को डंडे से चलाने की कोशिश की है। विपक्ष के जब 20 दलों ने इस उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया तभी सरकार की तरफ एक बातचीत का दरवाज़ा खोल देना चाहिए था। लोकतंत्र में ऐसा ही होता है। लेकिन सरकार की तरफ से बातचीत के सारे दरवाज़े बंद कर दिए गए। किसी को कोई न्यौता नहीं दिया गया। हद तो ये हो गई कि राष्ट्रपति लोकसभा और राज्य सभा का सबसे अहम हिस्सा होता है। उसके बिना हस्ताक्षर के संसद में पास होने वाला हर बिल अधूरा है। ये बात सब जानते हैं।
गोदी मीडिया जो हमैशा करता आया है उसने आज भी मोदी का चर्ण चुंबन किया। लेकिन इस देश में अभी भी लोकतंत्र की पैरोकार करने वाले पत्रकार ज़िंदा हैं। आज मैं एक टीवी पर बहस देख रहा था। मेरे साथ अलग-अलग चैनलों में काम करने वाले कई पत्रकार इस डिबेट में शामिल थे। सिवाए एक पत्रकार राम कृपाल को छोड़ कर सबने मोदी की धज्जियां बिखेर दी।
डिबेट में क्या हुआ।
इस डिबेट का संचालन संदीप चौधरी कर रहे थे। पैनल में सबसे वरिष्ठ पत्रकार राम कृपाल ही थे। वो सरकार का गुगान कर रहे थे तो आशूतोष ने जमकर उन्हें लपेट डाला। आशू ने कहा आज खुलेआम लोकतंत्र का चीर हरण हुआ है। और हम सब पत्रकारों ने उसे होते हुए देखा। इस चीर हरण को देख कर खामोश रहने वाले पत्रकार भी बराबर क़सूरवार हैं। आशू ने एक के बाद एक सरकार और सरकार के मैनेजरों पर तीखे प्रहार किए। विनोद अग्निहोत्री आक्रामक ज़रूर नहीं थे लेकिन उन्होंने कहा अगर उद्घाटन राष्पति के हाथों होता और सभी विपक्ष के नेता शामिल होते तो एक खूबसरत लोकतंत्र देखने को मिलता। और इस उत्सव में चार चांद लग जाते। मेरे जनसत्ता के साथी रहे वरिष्ठ पत्रकार अभय दूबे ने धरने पर बैठे पहलवानों का मुद्दा उठाया। बोले इस उत्सव के मौके पर पहलवानों के साथ जो हुआ वो बेहद शर्मनांक है। जिन लोगों ने इस देश के लिए मेडल लाने के लिए अपना खून पसीना बहाया। उनके साथ जो हुआ वो ग़लत है। सरकार का कोई मंत्री उनसे बात करके इस मामले को सुलझाया जा सकता था।
उधऱ कांग्रेस ने भी पहलवानों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया कहा कि संसद भवन के उद्घाटन के दिन देश की बेटियों के साथ सड़कों पर यह व्यवहार मोदी जी के असल चेहरे को परिभाषित करता है। देश की आन बान और शान महिला पहलवानों के साथ जिस तरह की ज्यादती हो रही है वह घोर निंदनीय है
प्रधानमंत्री क्या बोले
नये संसद भवन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ``आज 28 मई 2023 का यह दिन ऐसा ही शुभ अवसर है. देश आज़ादी के 75 वर्ष होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है. आज सुबह ही संसद भवन परिसर में सर्व पंथ प्रार्थना हुई है.````मैं सभी देशवासियों को इस स्वर्णिम क्षण की बहुत बधाई देता हूं. यह सिर्फ भवन नहीं है यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है. यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है.`` उन्होंने कहा, ``यह नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को साकार करने का साधन बनेगा. यह नया भवन आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा.````यह नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा. नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं. आज नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है. नया जोश है, नई उमंग है, दिशा नई है, दृष्टि नई है। ``मैं सभी देशवासियों को इस स्वर्णिम क्षण की बहुत बधाई देता हूं. यह सिर्फ भवन नहीं है यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है. यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है.` उन्होंने कहा, ``यह नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को साकार करने का साधन बनेगा. यह नया भवन आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा.``यह नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा. नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं. आज नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है. नया जोश है, नई उमंग है, दिशा नई है, दृष्टि नई है.``
पहलवानों के साथ क्या हुआ।
हालांकि नए संसद भवन के उद्घाटन के जश्न पर पहलवानों के प्रदर्शन का साया भी रहा और राजधानी दिल्ली में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतज़ाम किए गए. प्रदर्शनकारी पहलवानों और किसान संगठनों ने जंतर-मंतर से संसद भवन तक मार्च निकालना चाहा जिसे दिल्ली पुलिस ने रोक दिया. पुलिस ने ओलंपिक मेडल विजेता पहलवानों समेत प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और अलग-अलग थानों में पहुंचा दिया. पहलवान विनेश फोगाट ने कहा, "जंतर मंतर पर सरेआम लोकतंत्र की हत्या हो रही है. एक तरफ़ लोकतंत्र के नए भवन का उद्घाटन किया है प्रधानमंत्री जी ने दूसरी तरफ़ हमारे लोगों की गिरफ़्तारियाँ चालू हैं." उद्घाटन समारोह में किसी तरह के खलल को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों और उनके समर्थकों की गिरफ़्तारियां शुरू कर दी थीं.