इंद्र वशिष्ठ


दिल्ली पुलिस के एक एस एच ओ को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने के लिए  सीबीआई ने ऐसी  घोर लापरवाही बरती कि एस एच ओ तो पकड़ा नहीं गया उल्टा हाथ आया एएसआई भी सीबीआई की हिरासत से भाग गया। अनेक आईपीएस अफसरों का चहेता यह एस एच ओ दिल्ली पुलिस के पीआरओ एसीपी अनिल मित्तल का भाई है।
माया पुरी में फैक्ट्री मालिक रुबल जीत सिंह स्याल  ने सीबीआई को दी शिकायत में आरोप लगाया  कि एस एच ओ सुनील कुमार  गुप्ता ने उसे अपहरण और मारपीट के झूठे मामले में फंसाने की धमकी दे कर दस लाख रुपए रिश्वत की मांग की है। एस एच ओ ने रिश्वत के बारे में  एएसआई सुरेंद्र से बात करने को कहा। उसने सुरेंद्र से बात की और आखिर में डेढ़ लाख रुपए और सैमसंग एस 9 मोबाइल देना तय हो गया। 14 सितंबर को उसने डर और पुलिस के दबाव  के कारण सुरेंद्र को पचास हजार रुपए दे भी दिए। रुबल के वकील सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया कि 18 सितंबर को इस मामले की शिकायत सीबीआई में की गई। रुबल ने सुनील गुप्ता की ओर से रिश्वत की मांग करने वाले एएसआई सुरेंद्र की मोबाइल पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी सीबीआई को सुनाई। सीबीआई ने अपने सामने भी रुबल से एएसआई सुरेंद्र को फोन कराया। जिससे यह साफ़ हो गया कि  वह एसएचओ सुनील के लिए  रिश्वत मांग रहा है। इसके बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर इन पुलिस वालों को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। सीबीआई की योजना के अनुसार रुबल ने एएसआई सुरेंद्र को रिश्वत के एक लाख रुपए और मोबाइल फोन लेने के लिए माया पुरी में अपनी फैक्ट्री में 18 सितंबर को बुला लिया। एएसआई सुरेंद्र रात को अपनी कार में रुबल की फैक्ट्री में पहुंच गया। उसने कार फैक्ट्री के अंदर खड़ी की। इसके बाद जैसे ही सुरेंद्र ने एक लाख रुपए और मोबाइल फोन रुबल से लिया वहां छिपे सीबीआई अफसरों ने सुरेंद्र को रंगे हाथों पकड़ लिया। सुरेंद्र ने एस एच ओ सुनील  को फोन किया और उसको बताया कि रुबल से मोबाइल और सामान मिल गया है। सुनील  ने उसे कहा कि मैं कुछ देर में फोन करता हूं। इसके बाद माया पुरी थाने के चिट्ठा मुंशी यशपाल ने एएसआई सुरेंद्र को फोन करके कहा कि तू कहां है जल्दी आ  एसएचओ सुनील  जा रहे हैं। 
सीबीआई की लापरवाही-- सीबीआई की योजना थी कि जैसे ही एएसआई सुरेंद्र थाने  पहुंच कर एस एच ओ सुनील  को रिश्वत की रकम और मोबाइल फोन सौंपेगा उसे भी रंगे हाथों पकड़ लेंगे। सीबीआई ने एएसआई सुरेंद्र को उसकी कार की चाबी दे दी और उससे कहा कि वह अपने साथ गवाह को भी ले जाएं। एएसआई सुरेंद्र ने कार स्टार्ट की, लेकिन जैसे ही फैक्ट्री का गेट खुला सुरेंद्र ने कार एकदम से तेज़ गति से भगा दी। कार में गवाह भी नहीं बैठ पाया था। यह देख भौंचक्के सीबीआई अफ़सर एएसआई सुरेंद्र का पीछा करने के लिए अपने वाहनों की ओर भागे लेकिन तब तक एएसआई सुरेंद्र उनकी आंखों से आंखों ओझल हो गया। सीबीआई की इस लापरवाही के कारण एस एच ओ सुनील  तो रंगे हाथों पकड़े जाने से बच ही गया।  सीबीआई के हाथ आया एएसआई सुरेंद्र भी भाग गया। सीबीआई ने सिर्फ गवाह को सुरेंद्र की कार में  साथ भेजने की योजना बनाई थी। सीबीआई ने यह नहीं सोचा कि गवाह को अभियुक्त के साथ अकेला भेजने से गवाह की जान को खतरा हो सकता है। क्योंकि रंगे हाथों पकड़ा गया एएसआई सुरेंद्र अपने बचाव के लिए गवाह को भी नुकसान पहुंचा सकता था। सीबीआई अगर एएसआई सुरेंद्र की कार में अपने  अफसरों को भी  बिठा देती तो सुरेंद्र भाग नहीं सकता था। एस एच ओ सुनील भी रंगे हाथों पकड़ा जाता। 
 

          
          एस.एच.ओ. सुनील कुमार गुप्ता

एसएचओ को सीबीआई की परवाह नहीं।-- सीबीआई ने इसके बाद एसएचओ सुनील को सीबीआई मुख्यालय में तफ्तीश में शामिल होने के लिए में बुलाया। लेकिन एस एच ओ सुनील  ने अपनी जगह एएसआई दिलावर  को वहां भेज दिया। एएसआई दिलावर ने सीबीआई को बताया कि एस एच ओ सुनील  तो संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुप तिवारी के पास गए हैं। सीबीआई ने एएसआई दिलावर से वह शिकायत मांगी जिसके आधार पर एस एच ओ सुनील  ने व्यवसायी रुबल को अपहरण के मामले में फंसाने की धमकी दे कर रिश्वत की मांग की थी। एएसआई दिलावर ने ऐसी कोई शिकायत उसके पास होने से इंकार कर दिया।
आईपीएस अफसरों का चहेता/सेवादार  -ज्योतिष का भी जानकार  एस एच ओ सुनील   दिल्ली पुलिस के अनेक आईपीएस अफसरों का चहेता है। खुद को साफ़ छवि का दिखाने वाले आईपीएस अफसरों का वरदहस्त भी सुनील   पर है। आईपीएस अफसरों की सेवा/संबंधों के दम पर ही सुनील लगातार एस एच ओ के पद पर है। मायापुरी से पहले वह विकास पुरी और रजौरी गार्डन थाने में एस एच ओ रह चुका है।
इनोवा - सुनील  को सरकारी जिप्सी की बजाए अपनी इनोवा कार में चलना ज्यादा पसंद है।
 थानों में इस तरह के मामले सामने आने से जिले के  एसीपी, डीसीपी आदि वरिष्ठ अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक अपने मूल काम को  छोड़कर जितनी गंभीरता से सड़क पर झाड़ू लगा कर स्वच्छता का संदेश देते हैं  उतनी ही  गंभीरता से थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार को साफ़ करें तो  आम आदमी को राहत मिल जाएगी।



                         एस.एच.ओ. सुनील कुमार गुप्ता

मोबाइल नहीं मिला तो एस एच ओ ने बदला पैंतरा।--
 सैनिक फार्म निवासी रुबल की माया पुरी में हार्डविन इंडिया नाम से फैक्ट्री है। रुबल के पुराने कर्मचारी विक्रांत ने उससे कहा कि सुनीता गलयान और सुनीता चौहान नामक दो कर्मी फैक्ट्री में चोरी करती है। 14 सितंबर को रुबल ने अपनी फैक्ट्री में विक्रांत और दोनों महिलाओं कर्मियों को आमने-सामने किया।उस दौरान महिलाओं और विक्रांत में कहा सुनी और हाथा पाई हो गई।एक महिला ने पीसीआर पर फोन कर दिया। इन‌‌ सभी को माया पुरी थाने ले जाया गया। महिलाओं की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करने की बजाय उनको  काफी देर तक पुलिस ने बिठाए रखा। रुबल के वकील सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया कि एस एच ओ सुनील  ने रुबल से बदतमीजी की और कहा कि तुमने विक्रांत का अपहरण और मारपीट की है। अपहरण के मामले में बंद करने की धमकी दे कर रिश्वत की मांग की गई। 
रुबल कुछ समय  पहले भी एस एच ओ सुनील  से मिला। रुबल ने उस समय सुनील  को बताया था कि वह चीन जा रहा है। सुनील  ने रुबल से कहा कि उसके लिए सैमसंग का एस 9 फोन ले कर आना। रुबल ने फोन ला कर नहीं दिया। इसका बदला एस एच ओ सुनील  ने अब इस तरह से लिया। रुबल ने दस हजार रुपए एएसआई दिलावर को भी दिए थे।
 
 
                                                                       पुलिस कमिशनर को झाडू से फुरसत नहीं