अनवर चौहान

नॉर्थ एमसीडी में सत्तारूढ़ बीजेपी नेताओं का आपसी मनमुटाव सामने आता दिख रहा है। इसी का नतीजा यह निकला है कि एमसीडी की स्पेशल व एडहॉक कमिटी के चुनाव का आज होने वाला नामांकन टाल दिया गया है। विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी के एमसीडी नेता जनविरोधी काम में जुटे हैं, इन कमेटियों का गठन न होने के कारण महत्वपूर्ण काम रुके पड़े हैं। नॉर्थ एमसीडी के बीजेपी नेताओं ने करीब सात माह की लेटलतीफी के बाद इन 21 कमेटियों के चुनाव कराने का निर्णय लिया था। इन सभी के चुनाव आठ व नौ नवंबर को कराए जाने थे। एमसीडी नेताओं से विचार विमर्श के बाद आज इन कमेटियों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशियों का नामांकन किया जाना था। इसके लिए सिर्फ एक ही दिन निर्धारित किया गया था, लेकिन बताते हैं कि आज सुबह नेताओं द्वारा संबंधित अफसरों को आदेश दिए गए कि नामांकन को अगले आदेश तक टाल दिया जाए। इस मसले पर स्थायी समिति के अध्यक्ष तिलकराज कटारिया का कहना है कि नियमों के अनुसार 72 घंटे पहले तक चुनाव का नामांकन किया जा सकता है और हम इस नियम का पालन करते हुए तय समय पर अपने पार्षदों का नामांकन दाखिल कर देंगे। लेकिन माना जा रहा है कि बीजेपी नेता और नॉर्थ एमसीडी के कुछ वरिष्ठ नेता अपने चहेते पार्षदों को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर लाना चाहते हैं, लेकिन इनको लेकर उनमें तकरार हो गया है।
इस मसले पर नॉर्थ एमसीडी के कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल का कहना है कि बीजेपी नेताओं के चलते स्पेशल व एडहॉक कमेटियों के चुनाव सात महीने देर में हो रहे थे। लेकिन अब चुनाव एक बार फिर से टाले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन कमेटियों में शिक्षा व ग्रामीण कमेटियों संवैधानिक कमेटियां हैं और इस क्षेत्र में सारे काम रुके पड़े हैं। लेकिन एमसीडी के बीजेपी नेता अपने लोगों को इन कमेटियों में पहुंचाने के लिए लड़ रहे हैं, इसका परिणाम यह हुआ है कि चुनावों को एक बार फिर से टाल दिया गया है। गोयल का कहना है कि पहले से ही नॉर्थ एमसीडी के वित्तीय व दूसरे हालात बिगड़े हुए हैं, अब उसे और बड़बड़ाने की तैयारी कर ली गई है। गौरतलब है कि इस साल अप्रैल में एमसीडी के चुनाव हुए थे। नियमों के अनुसार तो एक आध माह के अंदर ही इन कमेटियों का गठन हो जाना चाहिए था। इस मसले को लेकर सोमवार को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया, जिसमें जानकारी दी गई कि सात और आठ नवंबर को सभी स्पेशल और एडहॉक कमेटियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुने जाएंगे, जिसके बाद ये कमेटियां सुचारू रूप से काम करने लगेंगी। इन 21 कमेटियों में 12 स्पेशल कमेटी हैं, जिनमें नियुक्तियां व अनुशासनात्मक कमेटी, निर्माण कमेटी, चिकित्सा कमेटी, पर्यावरण प्रबंधन जैसी प्रमुख कमेटियां शामिल हैं तो 9 एडहॉक कमेटी में लाइसेंसिंग व तहबाजारी, सामुदायिक, महिला कल्याण व बाल विकास, शिकायत निवारण जैसी कमेटियां शामिल हैं। वैसे इस बात पर हैरानी जताई जा रही है कि इन सभी कमेटियों के सदस्यों का चयन तो करीब दो माह से पहले हो चुका था तो फिर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चयन में इतनी देरी क्यों बरती जा रही है।