अनवर चौहान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुत्ते के मरने पर तो अफसोस हो सकता है मगर गौरखपुर में मारे गए इतने इंसानी बच्चों की मौत का कोई दुख नहीं है। यही हाल अमित शाह योगी का भी है। गोरखपुर में इतने सारे बच्चों की मौत का दर्द बयान करने वाले विशेषण ढूँढ पाने की क्षमता मुझमें नहीं है, लेकिन देश के प्रधान  सेवक से इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है कि वे इसे कम-से-कम दुखद ही कह दें.उन्होंने बहुत देर से और सिर्फ़ इतना लिखा है कि स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल को गोरखपुर रवाना होने का आदेश दिया गया है और वे इस मामले पर ख़ुद नज़र रख रहे हैं.


मगर उन्होंने एक हफ्ते से हो रही मौतों के अपने चरम पर पहुँच जाने के कई दिन गुज़र जाने के बाद ये भी नहीं कहा कि वे दुखी हैं, ये वही संवेदनशील प्रधानमंत्री हैं जो हमें ख़ुद बता चुके हैं कि वे एक पिल्ले की मौत पर भी दुखी हो जाते हैं. गोरखपुर के इलाक़े में इस मौसम में संक्रामक रोगों से सैकड़ों की तादाद में बच्चे वर्षों से मरते रहे हैं, जिसे रोकने में पिछली सभी सरकारें नाकाम रही हैं, लेकिन दुख प्रकट करना शायद सत्ता में बैठे लोगों को ग़लती स्वीकार करने जैसा लगा, दुख प्रकट करके प्रधानमंत्री अधिक मानवीय दिखते, न कि दोषी.ट्विटर पर दुख प्रकट करने के मामले में उनका ट्रैक रिकॉर्ड काफ़ी अच्छा है, अभी महीना भी नहीं गुज़रा, उन्होंने पुर्तगाल में जंगल में लगी आग में मरने वालों के प्रति `गहरी संवेदना` प्रकट की थी क्योंकि वे हफ्ते भर बाद वहाँ जाने वाले थे, और मानवीय दिखना चाहते थे. जो गहरी संवेदना एक साधन-संपन्न यूरोपीय देश के नागरिकों को मिली, वह गरीब पूर्वांचल की जनता के लिए नहीं बची.

आप कह सकते हैं कि मोदी जी पीएम हैं, दस काम हैं, व्यस्त रहते होंगे, इसके जवाब में लोग कह रहे हैं कि नीतीश कुमार की ईमानदारी की वाहवाही करने में तो उन्हें दस मिनट भी नहीं लगे थे. इतना ही नहीं, गोरखपुर का अपडेट देने के बाद मोदी जी ने लोगों को रिमाइंड कराया है कि नमो ऐप पर अपने आइडियाज़ भेजें  ताकि उन्हें पंद्रह अगस्त के भाषण में शामिल किया जा सके. केवल प्रधानमंत्री ही नहीं, देश के दूसरे सबसे शक्तिशाली कहे जाने वाले व्यक्ति, जो अब राज्यसभा में पहुँचे हैं, उन्होंने रविवार की सुबह उठते ही गोरखपुर की माँओं को नहीं, "लोकमाता पुण्यश्लोका अहिल्याबाई" को उनकी पुण्यतिथि पर भावभीने तरीक़े से याद किया है. इसके पहले अमित शाह जी कर्नाटक में पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ `बेहद सफल कार्यकाल` के तीन साल पूरे होने का उत्सव पूरे उत्साह से मना रहे थे. अब देश के स्वास्थ्य मंत्री की चिंताएँ देखिए, जेपी नड्डा भाजपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से आई पहेली बुझा रहे हैं, जिसमें लोगों से पूछा जा रहा है कि सुरक्षित मातृत्व योजना किसके लिए है? नड्डा जी इतना ख़याल ज़रूर रखते हैं कि गोरखपुर के बारे में पीएम, ज़ी न्यूज़ या एएनआई अगर कुछ कहे तो उसको ज़रूर  रीट्वीट कर दें.

देश के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जिनका ताल्लुक उत्तर प्रदेश से है, वे भी राज्यपालों और वेकैंया नायडू से मिलने में इतने व्यस्त रहे कि दुख प्रकट करने का मौक़ा नहीं निकाल सके, उप राष्ट्रपति नायडू ट्विटर पर नहीं, असली ज़िंदगी में लोगों से मिलने-मिलाने में इतने व्यस्त हैं कि 10 अगस्त के बाद से ट्वीट नहीं कर पाए हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस घटना से दुख हुआ है, उन्हें ये दुख रविवार की सुबह साढ़े नौ बजे के बाद हुआ  है, उन्होंने लिखा है कि "असीम दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएँ शोकाकुल परिवारों के साथ हैं." यही बयान शुक्रवार की शाम को भी आ सकता था, लेकिन बहुत देर से और सोशल मीडिया पर काफ़ी फज़ीहत के बाद आया.जब गोरखपुर में बच्चे दम तोड़ रहे थे, उस दौरान यूपी सीएम का ट्विटर हैंडल काफ़ी व्यस्त रहा, उन्होंने रेल अधिकारियों से कहा कि प्रयाग के मेले को सफल बनाएँ, उन्होंने एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति के घर भोजन किया, केंद्रीय संचार सचिव से मुलाक़ात की, चैंबर ऑफ़ कॉमर्स की बैठक को संबोधित किया, अमित शाह, वेकैंया नायडू को बधाई दी और शहीद खुदीराम बोस को याद किया. हालांकि योगी आदित्यनाथ के दुख जताने से करीब दो घंटे पहले करीब सवा सात बजे सुबह राज्य के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने इस दुखद घटना के दोषियों को दंडित किए जाने का भरोसा दिलाया था.


वहीं यूपी के दूसरे उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी पिछले चार-पाँच दिन से ट्विटर पर ग़ज़ब की सक्रियता दिखा रहे हैं, उन्होंने एक पुरानी पोस्ट को `पिन टू टॉप` कर रखा है जिसमें 2022 तक न्यू इंडिया बना लेने का संकल्प व्यक्त किया गया है, ऐसा इंडिया जिसमें ग़रीबी, अशिक्षा और भ्रष्टाचार नहीं होगा. उसके बाद `शत शत नमन` करने के लिए उन्हें अंतरिक्ष विज्ञानी विक्रम साराभाई याद आए हैं, गुरुवार और शुक्रवार जब सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं उस दिन मौर्य जी `गंगा ग्राम सम्मेलन और स्वच्छता रथ` को `दीदी उमा भारती` के साथ हरी झंडी दिखा रहे थे. संकट की घड़ी में उप-मुख्यमंत्री अपना काम करना बंद तो नहीं कर देगा लेकिन संवेदना के दो बोल के लिए वे रविवार की सुबह तक समय नहीं निकाल पाए, वे इतने सावधान ज़रूर हैं कि कोई बड़ा आदमी गोरखपुर के बारे में कुछ कहे तो उसे रिट्वीट कर दिया जाए.


वहीं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने 12 अगस्त की सुबह आठ बजे ट्वीट किया कि मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद वे आशुतोष टंडन के साथ गोरखपुर के लिए निकल रहे हैं. हालांकि वहां जाने के बाद भी उन्हें शायद मामले की गंभीरता का अंदाजा नहीं हो पाया तभी तो उन्होंने ये बयान दे दिया कि अगस्त में तो बच्चे मरते हैं. भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल चलाने वालों को अभी ये पता नहीं लग पाया है कि गोरखपुर में कुछ हुआ है. आप ये भी कह सकते हैं कि ट्विटर से सरकार के कामकाज का आकलन करना ग़लत है, लेकिन ट्विटर में इस सरकार की गहरी आस्था है, एक ट्वीट पर रेल मंत्री बच्चे का पोतड़ा बदलवा देते हैं, एक ट्वीट पर सुषमा जी विदेश में फँसे भारतीय की वतन  वापसी करा देती हैं, और जनता को रोज़ ट्विटर ही तो बताता है कि सरकार कितना ज़ोरदार काम कर रही है.



ट्विटर दोधारी तलवार है, अगर प्रचार और छवि निर्माण के लिए उसका इस्तेमाल इस हद तक होगा तो वही ट्विटर चुप्पी की चुगली भी करेगा. अब एक ज़रूरी डिस्क्लेमर-ये लेख रविवार सुबह साढ़े नौ बजे तक के ट्विटर हैंडलों को देखने-परखने के बाद लिखा गया है.