ब्रिक्स राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पर चीनी मीडिया जमकर बरसा। उन्हें डोकलाम विवाद का मुख्य साजिशकर्ता बताया है। एनएसए की मीटिंग के ठीक पहले चीन की मीडिया ने एक बार फिर भारत पर निशाना साधने की कोशिश की है। मीडिया ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चीन का मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने डोभाल को डोकलाम विवाद का मुख्य साजिशकर्ता बताया है। इसके साथ ही इस लेख में ब्रिक्स एनएसए की मीटिंग में सिक्किम सीमा विवाद में सुलह का रास्ता निकाले जाने की अटकलों को भी खारिज किया है। इस तरह बात-चीत भी खटाई में पड़ती दिख रही है। एक दिन पहले ही चीन ने संकेत दिए थे कि ब्रिक्स बैठक के अलावा भी अजीत डोभाल और चीनी समक्ष अलग से एक बैठक कर सकते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा "जहां तक हमारी जानकारी है, पिछली बैठकों में मेजबान देश प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों की द्विपक्षीय बातचीत के लिए इंतजाम करता रहा है, जिसमें वे द्विपक्षीय संबंधों, ब्रिक्स में सहयोग आदि पर चर्चा करते हैं।" इस नए लेख के सामने आने के बात बात-चीत द्वारा इस विवाद को सुलझाए जाने की अटकलों को एक झटका लगा है। लेख में कहा गया है कि भारतीय मीडिया को यह उम्मीद है कि डोभाल के ब्रिक्स मीटिंग में शामिल होने से भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद का कोई हल निकाला जा सकता है। लेकिन भारत इस बात को भूल रहा है कि चीन किसी भी तरह की बात-चीत के लिए तब तक तैयार नहीं होगा जब तक भारत उसके क्षेत्र से अपनी सेना हटा नहीं लेता। भारत को अपना भ्रम दूर कर लेना चाहिए। डोभाल का चीन दौरा सीमा विवाद को सुलझाने में किसी भी तरह से मददगार साबित नहीं होगा।
ब्रिक्स एनएसए की यह बैठक ब्रिक्स सम्मेलन की तयारी का एक कार्यक्रम है। यह मंच भारत-चीन विवाद को सुलझाने का नहीं है। अगर डोभाल इस संबंध में मोलभाव करना चाहते हैं तो वह निश्चित तौर पर निराश होंगे। चीन की पहली मांग यही है कि भारत बिना किसी शर्त के अपनी सेना हटाये। चीन की इस मांग के साथ सभी चीनी नागरिक खड़े हुए हैं। नागरिक इस बात पर अडिग हैं कि चीन का एक इंच क्षेत्र भी गंवाया नहीं जा सकता। लेख में भारतीय मीडिया पर सीधा निशाना साधा गया है। भारतीय मीडिया अपनी सेना को पीछे हटाने के सम्मान जनक तरीके ढूंढ रहा है। अगर भारत अंतर्राष्ट्रीय कानून को मानता है तो उसके सेना पीछे हटाने से दुनिया को उसकी शराफत का एक नमूना देखने को मिलेगा। चीन अपनी सेना को पीछे हटाने या सड़क निर्माण टालने के मामले में भारत के साथ बात-चीत करने के लिए तैयार है। लेकिन भारत ने जबरन सीमा पारकर अंदर आकर गलत किया है। लेख में भारतीय सेना को सीढ़ी चुनौती दी गई है। इसमें लिखा है कि भारत को अपने भ्रम दूर कर लेने चाहिए। पीपल्स लिबरेशन आर्मी को चीन की सीमा पर तैनात किया जा रहा है। अगर भारत ने अपनी सेना नहीं हटाई तो चीन कार्रवाई कर सकता है। पीएलए के एक्शन को भारत सरकार और सेना दोनों नहीं झेल पाएंगे। हमें नहीं लगता कि भारत ऐसे किसी टकराव के लिए तैयार है। अगर भारत ऐसा रास्ता चुनता है तो चीन अपने क्षेत्र की हिफाजत के लिए आखिर तक लड़ेगा। भारत को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। अगर भारत खुद ही अपनी सेना हटा ले तो उसे कम नुकसान होगा। अगर चीन ने जवाबी कार्रवाई की तो भारत ज्यादा मुश्किल सैन्य हालात में घिर जाएगा। भारत के लिए यह 1962 के बाद का अब तक का सबसे बड़ा झटका होगा। अंत में भारत के जीडीपी की बात भी की गई है। कहा गया है कि चीन की जीडीपी भारत से चार गुना अधिक है। इसके साथ ही चीन का रक्षा बजट भी भारत से चार गुना अधिक है। भारत की ओर से सेना को पीछे हटाने को लेकर चीन न केवल सही है, बल्कि उसका यह रुख अटल भी है।