(अनवर चौहान) नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार का मानना है कि यदि कोशिश जारी रहे तो अंडरवर्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को भारत लाया जा सकता है। लेकिन नीरज कुमार को ये नहीं मालूम 1994 और 2015 के बीच का फासला बहुत बड़ा है। उनकी इस बात में तो दम है कि दाऊद आत्मसमर्पण करना चाहता था। उस वक्त मुंबई ब्लास्ट की जांच कर रहे नीरज कुमार ने कई बात भी की थी। लेकिन आज कका ताज़ा अपडेट ये है कि याक़ूब मेनन ककी फांसी के बाद हालात बिल्कुल बदल गए हैं। डी कंपनी से जुड़े तमाम लोगों का मानना है कि भारत में अब उनको इंसाफ नहीं मिल सकता। याकूब मेनन का मुकद़मा जब तक अदालत में विचाराधीन था तो सब को यही यक़ीन था कि याकूब को सूली पर नहीं चढ़ाया जा सकता। चूंकि याक़ूब ने भी खुद आत्मसमर्पण किया था। लेकिन सीबीआई ने अपनी कहानी रच डाली। नीरज कुमार ने डॉन दाऊद इब्राहीम पर एक किताब भी लिखी है। किताब का नाम है Dial D for Don । अपनी इस किताब में उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम से जुड़े कई ख़ुलासे किए है। यहां बता दें कि नीरज कुमार ने कुछ दिन पहले कहा था कि भगोड़े सरगना दाऊद इब्राहिम को वापस लाना आसान नहीं क्योंकि उसे
‘दुश्मन देश’ का संरक्षण मिला हुआ है। कुमार ने यह भी कहा था कि हाल में दाऊद के धुर प्रतिद्वंद्वी छोटा राजन की गिरफ्तारी से इस संबंध में अधिक मदद मिलने की उम्मीद नहीं है। कुमार ने कहा था कि भारत सरकार ने दाऊद को वापस लाने के लिए सभी संभव प्रयास किए हैं और एक दिन उसे सफलता मिलेगी। नीरज की यह पुस्तक इसलिए सुर्खियों में हैं क्योंकि कुमार ने यह खुलासा किया है कि 1990 के दशक के दौरान एक बार दाउद आत्मसमर्पण करना चाहता था। उन्होंने कहा, ‘1994 में मैंने दाउद से तीन बार फोन पर बात की जब मैं सीबीआई में 1993 मुम्बई श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों की जांच कर रहा था और एक बार बात 2013 में दिल्ली में मेरे आयुक्त के तौर पर कार्यकाल के अंतिम दिनों में बात हुई थी।`