(अनवर चौहान) जो लोग याकूब मेनन को शहादत का दर्जा दे रहे हैं उन लोगों ने अब शतरंज की सियासी बिसात बिछा दी है। उन्हों मोहरे की पहली चाल भी चल दी है। याक़ूब मेनन की पत्नी को राज्यसभा या फिर मौक़ा लगे तो लोक सभा में किसी तरह भिजवाया  जाए। इसमें पहल की मुंबई के सपा नेता मोहम्मद फारूक़ घोसी ने....सपा नेता ने मुलायम सिंह को लिखी चिट्ठी में कहा है......सपा नेता ने लिखा था, ``मुंबई बम धमाके के मामले में याकूब के साथ उसकी पत्नी को भी अरेस्ट किया गया था। हालांकि, फिर राहीन को बरी कर दिया गया, लेकिन तब तक वह कई  सालों तक जेल में रही। कितनी तकलीफ सही होगी। हम समाजवादियों की एक खूबी है कि मन में जो बात रहे, उसे कहना जरूरी है। आप हमारे नेता हैं, वह भी समाजवादी जिन्होंने मजलूम और असहाय लोगों का हमेशा साथ दिया है। आज मुझे राहीन याकूब मेमन असहाय लग रही है और इस देश में कितने  असहाय होंगे, जिनकी लड़ाई हम सबको लड़नी है। मुसलमान आज अपने आपको असहाय समझ रहा है। हमें साथ देना चाहिए और राहीन याकूब को संसद  सदस्य बनाकर मजलूम व असहाय लोगों की आवाज बनने देना चाहिए।` फारूक़ ने शनिवार को सफाई दी कि यह उनकी निजी राय थी। लेकिन, पार्टी ने उन्‍हें सस्‍पेंड कर दिया और कहा कि घोसी के बयान से सपा का कोई संबंध नहीं है। योजना---जिस तरह याक़ूब के जनाज़े में भीड़ उमड़ी उसे केश करने की योजना है। योजना नंबर-2...सवाल उठाया जाएगा कि याक़ूब को आख़िर फांसी क्यों लगी। फिर तर्क दिया जाएगा....कि 1993 के मुंबई बम धमाके से पहले 900 से ज़्यादा मुसलमानों का दंगों में क़त्ल हुआ था..उन नौ सौ मुसलमानों के क़त्ल का बदला लेने के लिए बम धमाके कराए गए। तर्क दिया जाएगा कि याक़ूब ने कोई निजी गुनाह नहीं किया था...वो तो क़ौम के लिए क़ुर्बान हुआ.. इस बीच, खबर है कि 30 जुलाई को याकूब के जनाजे पर मुंबई पुलिस की कड़ी नजर थी। अपराधियों के आने की आशंका को देखते हुए मुंबई पुलिस ने याकूब के जनाजे का वीडियो भी बनाया है। गुरुवार को जिस वक्त याकूब के लिए माहिम दरगाह पर दुआ पढ़ी गई और जब उसे मरीन लाइन्स के बड़ा कब्रिस्तान में दफनाया गया, उस वक्त हजारों लोगों की भीड़ थी। पुलिस को इस बात की आशंका थी कि जनाजे में जरूर कई अपराधी आएंगे, इसके चलते  ही जनाजे का वीडियो बनाया गया। जानकारी के मुताबिक, जनाजे के बाद पुलिस उस वीडियो के फुटेज की स्कैनिंग कर रही है। याकूब के जनाजे में दस  हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटी थी। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, मेमन को फांसी दिए जाने से पहले मुंबई पुलिस ने आपराधिक  रिकॉर्ड रखने वाले 526 लोगों को हिरासत में ले लिया था। क्या था पुलिस का प्लान याकूब के शव को भले ही फैमिली को दे दिया गया था, लेकिन पुलिस ने पूरी प्लानिंग के साथ ऐसा किया था। उसके शव को तुंरत दफनाने के लिए कहा गया था। पहले ही अंडरटेकिंग ले ली गई थी कि शवयात्रा नहीं निकाली जाएगी। प्रशासन ने ऐसा इंतजाम किया कि याकूब के शव को तुरंत मुंबई लाया गया। जब 12.30 बजे उसका शव पहुंचा तो मुंबई एयरपोर्ट पर कॉरपोरेट एविएशन टर्मिनल से एंबुलेंस निकाली गई। बता दें कि इस रूट  का इस्तेमाल केवल वीआईपी के लिए होता है। मुंबई पुलिस के अलावा कुल 35 हजार से ज्यादा जवान तैनात किए गए थे। इनमें रैपिड एक्शन फोर्स   और सेंट्रल फोर्सेस के जवान भी थे।