अनवर चौहान

केंद्र की सरकार कब तक चलेगी...फिलहाल तो इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है....अलबत्ता सियासत के कुछ तजुर्बेकार मानते हैं कि इस सरकार की उम्र बहुत लंबी नहीं है...दरअसल जो एनडीए का गठबंधन है...वो बे-मेल है....ये गठबंधन मज़बूती का नहीं...मजबूरी का गठबंधन है। जहां एक तरफ भाजपा एक हिंदुत्ववादी पार्टी है तो उसके कई सहयोगी सेक्यूलिर्जम पर आधारित हैं....एक तरफ भाजपा मुसलमानों की खुली मुखालफत करती है तो उसके सहयोगी दल खुलेतौर पर मुसलमानों की हिमायत करते हैं....फिर उनमें चाहे टीडीपी, हो जदयू यो हो या फिर आरएडी... वगैरह-वगैरह हों..... ये सब मुसलमानों को साथ लेकर चलने की बात करते हैं.... मुसलमानों से भाजपा की नफरत का ये आलम है कि उसके पास न लोकसभा और न राज्यसभा...कहीं भी एक मुस्लिम सांसद नहीं है। उसने 25 करोड़ की तादात रखने वाले इस समाज को...... पूरी तरह सिरे से खारिज कर दिया है। और दम भरती है सबका साथ सबका विकास...सबका विश्विास....मगर धरातल पर ये है नहीं...72 सदस्य वाले मोदी के मंत्रिमंडल में भी कोई मुसलमान नहीं है....जबकि इस पार्टी को मुसलमानों का वोट ज़रूर चाहिए...गुजरात में...8 फीसदी मुसलमानों ने भाजपा को वोट दिया....कर्नाटका में भी 8 फीसदी और बाक़ी प्रदेशों में भी मुसलमानों ने भाजपा को वोट दिया....ये बात अलग है कि कम संख्या में वोट दिया...मगर दिया....
आगे अब क्या होगा....जब भाजपा के सहयोगी दल मुसलमानों से किए वादों को अमली जामा पहनाऐंगे...तो क्या भाजपा के साथ उनकी तकरार बढेगी.....तकरार बढेगी तो सरकार नहीं चलेगी...यदि सरकार चलानी है तो दुम दबाकर रखनी पड़ेगी....चंद्र बाबू नायडू ने मुसलमानों से चार फीसदी आरक्षण देने की बात कही है...हर क़स्बे और ज़िले में एक ईदगाह बनाने का भी वायदा किया है....हर क़स्बे और शहर में क़ब्रिस्तान के लिए ज़मीन मौहय्या कराने की बात कही है...इतना ही नहीं....हर मस्जिद के इमाम को तनख्वाह देने और उनका सरकारी इलाज कराने का भरोसा दिया है...हर बुज़ुर्ग को पैंशन देने की भी बात कही गई है। कुल मिलाकर वायदों की फेहरिस्त और भी लंबी है। जब इन वायदों पर अमल होगा तो भाजपा क्या करेगी...विरोध करेगी या समर्थन....कुछ तो करना होगा...यदि समर्थन करती है तो उसका कट्टर हिंदू वोट उसके पास से घिसकने लगेगा....और यदि विरोध करती है तो फिर सरकार गिरती है। वो क्या करना पसंद करती है ये आने वाला वक्त ही बताएगा...इसी लिए मैंने कहा कि ये बे-मेल गठबंधन है....भले ही ये बे-मेल गठबंधन हो....मगर सरकार तो चलेगी...क्यूंकि सबको मलाई खानी है....मलाई हिस्से में तब तक ही आ सकती है जब तक सरकार चलेगी....
चंद्र बाबू नायडू के सूबे का ख़जाना खाली है...फिलहाल वो उजड़ा प्रदेश है...यदि सूबे में खुशहाली लानी है तो ख़जाना तो केंद्र से ले जाना पड़ेगा...ये ख़जाना जबतक जाता रहेगा...सरकार पर कोई ख़तरा नहीं है। चंद्र बाबू नायडू मोदी जी को जमकर धोऐंगे...और वो धुलते रहेंगे...ऐसा मुमकिन है।.....अब कुछ बात नितीश बाबू की भी कर लेते हैं.....अगले साल उनके सूबे का चुनाव है....जदयू का भी खजाना खाली है...नितीश बाबू को चुनाव के पैसा चाहिए...अब तो ये मोदी जी को ही मोहय्या कराना पड़ेगा...चूंकि सरकार तो उनके समर्थन से ही चल रही है....इसके अलावा नितीश बाबू सूबे में बड़े भाई की भूमिका में ही रहेंगे...भाजपा को दोयम दर्जे पर ही रहना होगा...वरना पलटू बाबू कब पल्टी मार देंगे...पता भी नहीं चलेगा. इस सरकार के सहयोगी दल लगातार ब्लैकमेल करेंगे....आरएलडी के जयंत चौधरी, शिव सेना के एक नाथ शिंदे समेत और कई नेताओं की महत्वकांक्षाएं भी कम नहीं हैं। मोदी जी के लिए सहयोगियों की ख्वाहिशें पूरी करना...अब तो लाज़मी....चूंकि ये मज़बूत नहीं मजबूर सरकार है....लिहाज़...इस सरकार के शीर्ष नेतृत्व को लचीला होना पड़ेगा....56 इंच की छाती से यहां काम नहीं चलने वाला...अहंकारी, मोदी, शाह, नड्डा और स्मृति को अपना नज़रया बदलना पड़ेगा....