इंद्र वशिष्ठ
तीस हजारी कोर्ट परिसर में  बार एसोसिएशन के दो पदाधिकारियों के गिरोहों के बीच हुई गोलीबारी/ गैंगवार के मामले में पुलिस ने
बार एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनीष शर्मा और सचिव अतुल शर्मा के भाई ललित शर्मा को शुक्रवार को गिरफ्तार किया है। इस मामले में‌ अब तक 5 वकीलों को गिरफ्तार किया गया है। उनसे तीन देसी तमंचे और कारतूस बरामद हुए। अपराधियों की तरह गोलीबारी करके वकालत के पेशे को शर्मसार करने वाले वकीलों से इतने अवैध हथियारों के बरामद होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये वकीलों के वेश में छुपे हुए गुंडे हैं। उत्तर जिला के डीसीपी सागर सिंह कलसी ने बताया कि दिल्ली बार एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनीष शर्मा और सचिव अतुल शर्मा के भाई ललित शर्मा को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने इसके पहले 6 जुलाई को वकील अमन सिंह, सचिन सांगवान और रवि गुप्ता को गिरफ्तार किया । इनके पास से तीन देसी पिस्तौल, चार कारतूस और दो कारें बरामद हुई हैं। पुलिस को आरोपी वकीलों से पूछताछ कर उन लोगों को भी गिरफ्तार करना चाहिए जिनसे वकीलों ने अवैध हथियार लिए हैं।

राज से पर्दा उठाओ -
डीसीपी सागर सिंह कलसी को उस वजह/कारण का भी खुलासा करना चाहिए, जिसके लिए ये वकील आपस में अपराधियों की तरह गोलियां तक चलाने पर उतर आए।
हर अपराध का कोई न कोई कारण तो होता ही है, इसलिए डीसीपी सागर सिंह कलसी को इस अपराध के कारण का भी खुलासा करना चाहिए, ताकि इन अभियुक्त वकीलों की असलियत दुनिया सामने के उजागर हो।
पुलिस मूकदर्शक-
वैसे चर्चा तो यहीं हैं इस कांड की जड़/कारण लाखों रुपए महीने की अवैध कमाई है।
इस अवैध कमाई का एक मोटा जरिया अवैध पार्किंग भी है। कोर्ट के बाहर सड़क पर अवैध पार्किंग से भी मोटी आमदनी होती है। वकीलों के डर के कारण पार्किंग के मामले में पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है।

काले कोट का काला कारनामा-
पांच जुलाई को तीस हजारी अदालत परिसर में‌ दिल्ली बार एसोसिएशन के सेक्रेटरी अतुल शर्मा और वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनीष शर्मा और उनके साथियों/ गिरोहों ने वकालत के पेशे को किस तरह शर्मसार किया, यह वायरल वीडियो के माध्यम से दुनिया ने देखा है।
साफ झूठ बोल रहा-
वीडियो में गोली चलाते हुए वकील मनीष शर्मा  और एक अन्य वकील  साफ नज़र आ रहें हैं। इसके बावजूद मीडिया के सामने मनीष शर्मा गोली चलाने से साफ़ मुकर गया। मनीष शर्मा ने कहा कि बंदरों को भगाने वाली खिलौना पिस्तौल थी।

पैसा या वर्चस्व-
तीस हजारी से जुड़े वरिष्ठ वकीलों के अनुसार झगड़े का कारण पैसा/ वर्चस्व है। पार्किंग से मोटी कमाई होती है। बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों में अध्यक्ष और सचिव का पद ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। वकीलों के चैंबर हो, या पार्किंग या दुकानों का आवंटन उसमें इन  पदाधिकारियों की ही मुख्य भूमिका होती है।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनीष शर्मा और सचिव अतुल शर्मा के बीच अनेक मुद्दों को लेकर तकरार रहती थी। इस तकरार ने बढ़ते बढ़ते गोलीबारी / गैंग वार का रुप ले लिया।

सचिव अतुल शर्मा और वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनीष शर्मा अपना अपना वर्चस्व स्थापित करने के कारण अपराधियों की कतार में शामिल हो गए।  
सबक सिखाओ-
दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष के के मनन ने इस मामले में गोली चलाने वाले मनीष शर्मा के अलावा सचिव अतुल शर्मा के वकील भाई ललित शर्मा को भी निलंबित किया है।
दिल्ली बार काउंसिल को इस मामले में शामिल वकीलों के ख़िलाफ़ ऐसा सख्त कदम उठाना चाहिए जिससे आगे से कोई भी वकील ऐसा शर्मनाक अपराध करने की हिम्मत न करें।