अनवर चौहान

नई दिल्ली, नौ साल सत्ता का सुख भोगने वाली भाजपा को अब लोकसभा चुनाव 2024 में सत्ता जाने का खौफ सताने लगा है। दरअसल बात ये है कि विपक्ष का कुनबा बड़ा दिखाई देने लगा है और मोदी का कुनबा लगातार सिकुड़ता जा रहा है। इसीलिए भाजपा ने अपने कुनबे को बड़ा करने की कवायद शुरू कर दी है। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा। दूसरी तरफ कांग्रेस भी सभंल-संभल कर अपनी राजनीतिक बिसात बिछा रही है. पटना में 23 जून को विपक्ष का कुनबा एक साथ नज़र आने वाला है।  काफी हद तक उस दिन तस्वीर साफ हो जाएगी।
आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात के बाद अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि 2019 में एनडीए से अलग हो चुकी ये पार्टी एक बार फिर गठबंधन में शामिल हो सकती है. सूत्रों के हवाले से अख़बार लिखता है कि चंद्रबाबू नायडू मान रहे हैं कि आंध्र प्रदेश में पीएम मोदी की लोकप्रियता और पवन कल्याण के नेतृत्व वाली जन सेना पार्टी की मदद से वो एक बार फिर सत्ता में आ सकते हैं. लेकिन बीजेपी फ़िलहाल उनसे हाथ मिलाने के लिए तैयार नहीं हैं. चूंकि टीडीपी से हाथ मिलाने पर जन सेना पार्टी भाजपा के कुनबे से फौरन भाग जाएगी। केंद्र की बीजेपी सरकार और आंध्र की वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार के बीच अच्छा तालमेल है. संसद में महत्वपूर्ण बिल पास कराने के मामले में वाईएसआर कांग्रेस, बीजेपी की भरोसेमंद साथी रही है.ऐसे में बीजेपी सैद्धांतिक तौर पर टीडीपी के साथ हाथ मिलाने की संभावना तो तलाश रही है लेकिन अपने भरोसेमंद साथी को भी दरकिनार नहीं करना चाहती.
बीजेपी के लिए तेलंगाना में संकट और बड़ा है क्योंकि एक तरफ़ यहां पार्टी नेताओं के बीच मतभेद देखने को मिल रहे हैं तो दूसरी तरफ़ यहां की सभी 119 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है.कर्नाटक में भी बीजेपी के लिए चुनौतियां कम नहीं. हाल में हुए विधानसभा चुनावों में यहां जनता दल सेक्युलर का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. ये पार्टी अब बीजेपी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आज़माना चाहती है.
मोदी के सामने क्या हैं चुनौतियां?
जेडीएस और भाजपा के बीच गठबंधन हुआ तो इससे प्रदेश में वोक्कालिगा समुदाय के वोट बीजेपी के पाले में आ सकते हैं और पार्टी प्रदेश में लिंगायत पार्टी के तौर पर बनी अपनी पहचान को थोड़ा और विस्तार दे सकती है. सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि जनता दल हसन, मांड्या, बेंगलुरु (ग्रामीण) और चिकबल्लारपुर सीटें अपने लिए चाहती हैं जबकि बीजेपी इस पर अभी विचार कर रही है.
बिहार में बीजेपी को उम्मीद है कि जदयू और राजद के साथ आने से नाराज़ नेता उनके खेमे में आ सकते हैं. बीजेपी का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर भूमिका निभाने के लिए नीतीश कुमार को आगे करने की वजह से सीएम पद पर तेजस्वी यादव की दावेदारी मज़बूत होती जाएगी जिससे जदयू के कुछ नेता नाराज़ हो सकते हैं. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक टीडीपी, उद्धव सेना, शिरोमणि अकाली दल और जदयू जैसी पार्टियों ने एनडीए से विदा ली है जिसके बाद ये चर्चा गर्म है कि बीजेपी किसी क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन नहीं चाहती.
राहुल गांधी को अमेरिका के दौरे से क्या हुआ हासिल?
तेलंगना में भारत राष्ट्र समिति के दो पूर्व नेता पोनगुलेती श्रीनिवास रेड्डी और जुल्लपी कृष्ण राव 12 जून को कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. ये दोनों नेता राहुल गांधी के अमेरीका दौरे से वापस लौटने के बाद 21 जून को दिल्ली में उनसे मुलाक़ात करेंगे, जिसके बाद औपचारिक तौर कांग्रेस का दामन थाम लेंगे. इन दोनों नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए पार्टी से निकाला गया था.सूत्र बताते हैं कि राज्य के क़रीब सात से आठ नेता कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. उधर  राजस्थान में कांग्रेस सचिन पायलट को बड़ी ज़िम्मेदारी दे सकती है. उन्हें अगले विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में पार्टी पैनल का प्रमुख बनाया जा सकता है. हाल में सचिन पायलट ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी नेता राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाक़ात की थी. कांग्रेस का कहना है कि उनकी 90 फीसदी मुद्दों को सुलझा लिया गया है और जो बचा है वो बड़े मुद्दे नहीं हैं. वहीं दूसरी तरफ देखें तो भाजपा में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। राजस्थान में भाजपा के कई धड़े अपनी अपनी डफली बजा रहे हैं।
 मध्य प्रदेश की ज़मीनी रिपोर्ट
मध्य प्रदेश में बजरंग सेना नाम का एक जानामाना दक्षिणपंथी धड़ा, औपचारिक तौर पर कांग्रेस में शामिल हो गया है. हाल में बीजेपी से निकल कर कांग्रेस में शामिल हुए दीपक जोशी की कोशिशों से गोरक्षा, गौशाला निर्माण, हिंदू साथू-संतों की रक्षा और मंदिरों में काम करने वाले पुजारियों के लिए मासिक भत्ते की मांग कर रहा ये धड़ा अब कांग्रेस में शामिल हो गया है. इस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर पटेरिया का कहना है कि वो हाल में हुए यूपी चुनावों में योगी आदित्यनाथ के लिए और 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी के लिए चुनाव प्रचार कर चुके हैं.