अनवर चौहान
एक महिला ने दोस्त को इच्छा मृत्यु के लिए स्विट्जरलैंड जाने से रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। महिला का कहना है कि 40 वर्षीय युवक मायलजिक एनसेफलोमाइलाइटिस से पीड़ित है। याचिका के मुताबिक उसका 40 वर्षीय दोस्त इस गंभीर बीमारी से पीड़ित है और आत्महत्या के लिए विदेश जाने की योजना बना रहा है।
अदालत में पेश याचिका में महिला ने बताया कि उसका इस बीमारी की वजह से हमेशा थका महसूस करता है। यदि उसके दोस्त को स्विटजरलैंड जाने से नहीं रोका गया तो उसके बुजुर्ग माता-पिता और परिवार को बेहद कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा।
याचिका के अनुसार पीड़ित एम्स में फेकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन के उपचार की प्रक्रिया से गुजर रहा था। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान डोनर नहीं मिलने की वजह से इलाज जारी नहीं रह सका। याचिका में कहा गया है कि इस गंभीर बीमारी के लक्षण 2014 में शुरू हुए थे और आठ वर्षों में उसकी हालात लगातार बिगड़ती गई। अब वह बिस्तर पर पड़े रहने के लिए मजबूर है।
काफी मशक्कत के बाद घर में चंद कदम ही चल सकता है। महिला ने कहा कि युवक अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है। याचिका के साथ जुड़े रिकॉर्ड से पता चलता है कि महिला उस व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों के साथ उसकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में लगातार संपर्क में रहती है। कोर्ट के समक्ष पेश रिकॉर्ड में कथित तौर पर उस व्यक्ति की तरफ से याचिकाकर्ता को भेजे गए एक संदेश में उसने लिखा है कि ‘अब इच्छा मृत्यु के विकल्पों की तलाश है... बस बहुत हो गया।’
फैसले पर अडिग
अधिवक्ता सुभाष चंद्रन के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी संख्या 3 को भारत या विदेश में बेहतर उपचार प्रदान करने के लिए किसी तरह की वित्तीय बाधा नहीं है। लेकिन अब वह इच्छा मृत्यु के लिए जाने के फैसले पर अडिग है। अदालत से विनम्रतापूर्वक आग्रह है कि उनकी स्थिति में सुधार के लिए अब भी आशा की एक किरण बनी हुई है।’ याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया है कि केंद्र को एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया जाए।