अनवर चौहान
कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा किसानों का प्रदर्शन अभी चलता रहेगा और प्रदर्शन के एक साल पूरा होने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले से जिन रैलियों और मार्च के आयोजन की तिथि निश्चित कर रखी है वैसे ही आयोजित होंगे। यह जानकारी संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ. दर्शन पाल ने कोर कमेटी की बैठक के बाद दी है।
उन्होंने बताया कि आंदोलन की आगे की क्या रणनीति होगी उस पर रविवार को बैठक होगी लेकिन शनिवार को कोर कमेटी की बैठक में फैसला लिया गया है कि शीत सत्र के दौरान संसद तक ट्रैक्टर मार्च का जो निर्णय लिया गया था वह वैसा ही रहेगा।
दर्शन पाल ने बताया कि हमारे 22, 26 और 29 नवंबर को होने वाले कार्यक्रम पहले की तरह ही होंगे। लखनऊ रैली 22 को होगी। 26 नवंबर को जब आंदोलन का एक साल हो जाएगा तो इसे पूरे देश में मनाया जाएगा और संसद तक ट्रैक्टर मार्च 29 नवंबर को होगा।
डॉ. पाल ने कहा, कृषि कानूनों के अलावा हमारे मुद्दा खासतौर से एमएसपी के लिए अलग कानून बनवाने का है। किसानों के खिलाफ जितने केस हैं वो वापस लिए जाएं। बिजली विधेयक 2020 वापस लिया जाए, वायु गुणवत्ता ऑर्डिनेंस लाया जाए और हमारे जो साथी आंदोलन के दौरान मरे हैं उनके लिए मेमोरियल बनाने के लिए एक जगह दी जाए। हमें उम्मीद है कि सरकार इन समस्याओं को सुलझाने के लिए एक बैठक बुलाएगी।
शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री के इस फैसले का स्वागत किया है लेकिन उनका कहना है कि वह यही बात संसदीय व्यवस्था के साथ पूरी हो जाने तक इंतजार करेंगे। इसके साथ ही एमएसपी के लिए कानून और बिजली विधेयक की वापसी के लिए आंदोलन जारी रहेगा।
भारतीय किसान यूनियन (उग्रहा) के नेता जोगिंदर सिंह ने कहा कि टिकरी बॉर्डर से ट्रैक्टर मार्च को स्थगित नहीं किया गया है। इस पर आखिरी फैसला रविवार को होने वाली बैठक में होगा।