अनवर चौहान
भारत में पुलिस कस्टडी में रखे गए लोगों की मौतों के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इसे लेकर आधिकारिक डेटा में जो बातें सामने आई हैं, वो काफी चौंकाने वाली हैं। दरअसल, पिछले 20 साल में देशभर में कस्टडी में रहने के दौरान 1888 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, अगर इन मौतों पर कार्रवाई के आंकड़ों को देखा जाए, तो सामने आता है कि 20 साल में सिर्फ 26 पुलिसकर्मियों को ही कस्टडी में हुई मौतों के लिए दोषी पाया गया।
गौरतलब है कि कस्टडी में हुई मौतों का सिलसिला अब यूपी में भी बढ़ता देखा जा रहा है। जहां कुछ ही दिन पहले कासगंज में अल्ताफ नाम के युवक की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी। वहीं, मंगलवार को कानपुर में चोरी के शक में हिरासत में लिए गए शख्स की अस्पताल से जाते वक्त जान चली गई। आरोप है कि पुलिसवालों ने उसे कस्टडी में इतना मारा था कि उसकी मौत हो गई।
कस्टडी में हुई मौतों को लेकर पुलिस पर क्या कार्रवाई?
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 20 साल में कस्टडी में जितने लोगों की जान गई है, उनमें से 893 मामलों में पुलिसकर्मियों पर केस दायर किए गए। इस दौरान 358 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट भी पेश हुई। लेकिन महज 26 पुलिसवालों पर ही कस्टडी में हुई मौतों की जिम्मेदारी तय की जा सकी।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 20 साल में कस्टडी में रहे जिन 1888 लोगों की मौत हुई, उनमें से 1185 लोगों को `रिमांड मे नहीं रखा` दिखाया गया। कस्टडी में हुई सिर्फ 703 मौतों को ही रिमांड के दौरान जान गंवाने की कैटेगरी में दर्शाया गया है। इसका साफ मतलब है कि पिछले 20 साल में कस्टडी में रखे गए जितने लोगों की मौत हुई, उनमें से 60 फीसदी को मौत से पहले एक भी बार कोर्ट में पेश तक नहीं किया गया था।
एनसीआरबी की रिपोर्ट करती है बड़े खुलासे
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े के मुताबिक, पिछले साल यानी 2020 में देशभर में कस्टडी में 76 मौतें हुईं। राज्यों में इसके लिए सबसे ऊपर गुजरात का नाम है, जहां कस्टडी में रखे गए 15 लोगों की जान गई। मृतकों में किसी पर भी दोष साबित नहीं हुए थे। एनसीआरबी के डेटा में यह भी बताया गया है कि पिछले चार सालों में कस्टडी में हुई मौतों के लिए 96 पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए हैं। लेकिन उन पर दोष साबित नहीं हुए।