इंद्र वशिष्ठ
तब्लीगी जमात और मरकज आज-कल कोरोना फैलाने को लेकर खूब सुर्खियों में है। लेकिन जाहिलों की जमात किसी एक धर्म, समुदाय या राजनैतिक दलों तक ही सीमित नहीं है। जाहिल आईपीएस अफसर तो महामारी फैलाने, अपराधियों को भागने/ छिपने तक में मदद करने का अपराध करने में पीछे नहीं है। इस मामले से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश का भट्ठा बिठाने में नेताओं से भी ज्यादा कुछ ऐसे जाहिल नौकरशाहों और बड़े बड़े उद्योगपतियों की जमात की अहम भूमिका है।
CBI ढूंढती रह गई, IPS ने भगा दिया।-
महाबलेश्वर में लॉक डाउन/ सामाजिक दूरी के उल्लंघन की सूचना पर पुलिस एक बंगले पर पहुंची। वहां पर कपिल वाधवान, धीरज वाधवान, उनके परिवार और नौकरों समेत 23 लोग पाए गए। यह लोग पांच कारों में खंडाला से आए थे। इन लोगों ने पुलिस को एक पत्र दिखाया। जिसमें महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव अमिताभ गुप्ता ने आदेश दिया था कि इन लोगों को खंडाला से महाबलेश्वर जाने दिया जाए। अमिताभ गुप्ता ने पत्र में वाधवान वनवार को अपना "पारिवारिक मित्र" बताया और महाबलेश्वर जाने का कारण "पारिवारिक इमरजेंसी" बताया।
पुलिस ने लॉक डाउन का उल्लघंन करने के आरोप में इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और इन सब को सरकारी क्वारंटीन सेंटर में भेज दिया। महामारी के समय पारिवारिक इमरजेंसी के नाम पर 23 लोगों को महाबलेश्वर जाने देने का आदेश/अनुमति देना अमिताभ गुप्ता की काबिलियत और भूमिका पर सवालिया निशान लगाते है।
इस मामले के मीडिया में उजागर होने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने अमिताभ गुप्ता को छुट्टी पर भेज दिया। इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
IPS ने किया गुनाह-
मामला सिर्फ लॉक डाउन के उल्लंघन का ही नहीं है। आईपीएस अमिताभ गुप्ता ने तो ऐसा अपराध किया है जिसके लिए उनको जेल भेजा जाना चाहिए।
सीबीआई ने 7 मार्च 2020 को येस बैंक घोटाला मामले में एफआईआर दर्ज की थी
उसमें बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर के साथ दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के मालिक कपिल वाधवान और धीरज वाधवान भी आरोपी हैं राणा कपूर को गिरफ्तार किया जा चुका है। DHFL के कपिल और धीरज को जांच के लिए सीबीआई ने नोटिस जारी किए थे लेकिन दोनों हाजिर नहीं हुए और अपने घरों पर भी नहीं मिले थे।
ग़ैर ज़मानती वारंट-
सीबीआई ने 17 मार्च को इन भगोड़ों के खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी करवा लिए। इसके बावजूद यह दोनों पेश नहीं हुए। इन दोनों पर रिश्वत दे कर येस बैंक से करोड़ों रुपए का लोन लेने के आरोप है. सीबीआई ने 9 अप्रैल को इनके सतारा में पंचगनी के सरकारी क्वारंटीन सेंटर में होने का पता चलने पर वहां के डीएम और एसपी को कहा है कि इनको पुलिस हिरासत में लिया जाए ताकि यह फरार न हो पाए। सीबीआई या कोर्ट के आदेश के बिना उनको रिहा न किया जाए।
IPS इतना निकम्मा और जाहिल तो नहीं हो सकता ?-
गृह विभाग के विशेष प्रमुख सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनात 1992 बैच के आईपीएस अफसर अमिताभ गुप्ता को इतना निकम्मा तो नहीं माना जा सकता कि कपिल और धीरज को सीबीआई तलाश कर रही थी और अमिताभ गुप्ता को यह बात मालूम नहीं होगी।
आईपीएस अमिताभ ने अपने पत्र में लिखा है कि वाधवन उनके पारिवारिक मित्र हैं।
ऐसे में पारिवारिक मित्र को भी दोस्त की सच्चाई तो मालूम होती है।
आईपीएस अफसर और पारिवारिक मित्र दोनों ही नातों से यह बिल्कुल साफ है कि अमिताभ गुप्ता को सच मालूम था। इसके बावजूद उन्होंने जानबूझ कर सीबीआई के वांटेड अपराधियों को फरार होने और छिपने में मदद करके संगीन और गंभीर अपराध किया है।