इंद्र वशिष्ठ
क्या दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों के पीछे कोई गहरी साज़िश है ? पूर्व नियोजित षड़यंत्र की संभावना को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने साजिश की धारा के तहत भी एक एफआईआर दर्ज की है।
दंगों में पचास से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों करोड़ की संपत्ति का नुक़सान हुआ है।
दिल्ली में तीन दिनों तक हुए साम्प्रदायिक दंगों पर राज्य सभा में हुई चर्चा पर जवाब देते हुए गृहमंत्री ने यह जानकारी दी।
गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा कि इतने कम समय में इतने बड़े पैमाने पर दंगें फैलना तभी संभव है जब षड़यंत्र हो। दंगों के पीछे पूर्व नियोजित षड़यंत्र है इसकी संभावना का पता लगाने के लिए ही साजिश का मामला दर्ज किया गया है।
राज्य सभा में कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने कहा 25 फरवरी को सरकार की ओर जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि दंगें एकदम यानी स्पान्टेनिअस हुए हैं। लेकिन अब गृहमंत्री कह रहे हैं कि दंगे के पीछे गहरी साज़िश है।
उत्तर प्रदेश से आए थे 300 दंगाई-
गृह मंत्री ने कहा कि अभी तक की जांच में पता चला कि तीन सौ से ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश से यहां दंगा करने आए।
इससे यह साबित होता है कि दंगों के पीछे गहरी साज़िश है। साजिश का पर्दाफाश करने और साजिश रचने वालों को पकड़ने के लिए ही दिल्ली पुलिस ने साजिश की धारा के तहत भी एक एफआईआर दर्ज की है।
1922 दंगाइयों की पहचान
फेस आइडेंटीफिकेशन साफ्टवेयर से हो चुकी है। उससे ही यह पता चला है कि तीन सौ से ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश से यहां दंगा करने आए थे।
पुलिस ने दंगाइयों के चेहरे पहचानने के लिए इस साफ्टवेयर में वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य सरकारी डाटा डाला है। उत्तर प्रदेश से भी डाटा लिया गया। उससे स्पष्ट यह साबित होता है कि यह गहरी साज़िश है।
अमित शाह ने कहा कि साफ्टवेयर धर्म नहीं देखता, कपड़े नहीं देखता। सिर्फ चेहरा और कृत्य यानी करतूत देखकर पहचान करता है।
पुलिस की 40 टीम दंगाइयों को पकड़ने में जुटी हुई हैं।
पुख्ता सबूत पर ही गिरफ्तारी-
गृह मंत्री ने कहा कि इस मामले में गिरफ्तारी उसी की होगी जिनके खिलाफ पुख्ता सबूत होंगे। उन सबूतों को पहले आला पुलिस अफसर जांचेंगे। ताकि कोई निर्दोष नहीं पकड़ा जाए। वैज्ञानिक साक्ष्य गिरफ्तारी का आधार होगा। साक्ष्य, बयान की वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है।
एसआईटी-
एसआईटी-
दंगों की जांच के लिए दो विशेष जांच टीम गठित की गई है। एसआईटी गंभीर अपराध के 49 मामलों की जांच कर रही है।
दंगें के लिए पैसा दिया-
दंगें कराने के लिए पैसा देने के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
36 घंटों में दंगों पर काबू कर लिया-
अमित शाह ने संसद कहा कि कहा कि 24 फरवरी को दोपहर दो बजे दंगे होने की पहली सूचना और 25 फरवरी की रात 11 बजे दंगे की अंतिम सूचना पुलिस को मिली थी। दंगें 36 घंटे तक चले। 36 घंटे में दंगों को शांत करने में पुलिस सफल रही।
राज्य सभा में कपिल सिब्बल ने कहा कि गृहमंत्री का यह दावा सही नहीं है क्योंकि 26 फरवरी को भी एक युवक की दंगाइयों ने धर्म पूछने के बाद हत्या की थी।
12 थानों के इलाके दंगाग्रस्त -
20 लाख की आबादी वाले 12 थानों के इलाकों में दंगे हुए।
सुरक्षा बलों की 80 कंपनियां तैनात दंगाग्रस्त इलाके में अभी तक तैनात हैं।
700 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई है। 2647 लोगों को गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया है।
दंगों के वीडियो और सीसीटीवी कैमरे की फुटेज का 25 से ज्यादा कंप्यूटरों पर एनालिसिस किया जा रहा है।
पुलिस ने 400 गोलियां चलाई-
गृहमंत्री ने बताया कि दंगों पर काबू पाने के लिए पुलिस ने 400 से ज्यादा गोलियां चलाई और आंसू गैस के 5000 गोले दागे गए।
दंगें भड़काने में सोशल मीडिया का इस्तेमाल-
दंगें भड़काने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल किया गया है। ऐसे 60 सोशल मीडिया एकाउंट का पता चला है जो दंगें से पहले बनाए और दंगों के बाद 26 फरवरी को बंद कर दिए गए।
गृह मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया एकाउंट बंद कर देने से अपराधी बच नहीं जाएंगे।
जिन्होंने भी दंगा करने की हिमाकत की है। वह कानून की गिरफ्त से एक इंच भी इधर उधर नहीं भाग पाएगा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस के अनेक पूर्व आयुक्त तक खुल कर कह चुके हैं कि तीन दिन तक दंगों को रोकने में पुलिस बुरी तरह फेल हो गई थी।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस के अनेक पूर्व आयुक्त तक खुल कर कह चुके हैं कि तीन दिन तक दंगों को रोकने में पुलिस बुरी तरह फेल हो गई थी।
इन दंगों ने केंद्रीय खुफिया एजेंसी और पुलिस की खुफिया एजेंसी की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया हैं।