अनवर चौहान
तमिलनाडु के महाबलीपुरम(ममल्लापुरम) में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक से पहले कश्मीर मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच जुबानी तकरार होती दिख रही है। कश्मीर मुद्दे पर चीन के यू टर्न के बाद भारत ने दो टूक कहते हुए चेताया है कि आंतरिक मामलों में किसी भी देश की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वहीं, कांग्रेस ने भी चीन को हांगकांग मुद्दे पर घेरने की सलाह दी है। कांग्रेस का कहना है कि हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों के प्रदर्शन, उइगर मुसलमानों पर अत्याचार और अन्य मसलों पर भारत भी चीन को घेरे। मालूम हो कि जिनपिंग की पाकिस्तानी पीएम इमरान खान से मुलाकात के बाद भारत ने उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है, जिसमें कश्मीर मुद्दे को `यूएन चार्टर` के अनुसार सुलझाने की बात कही गई है। मालूम हो कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 11 अक्तूबर यानी शुक्रवार को करीब 24 घंटे के भारत दौरे पर तमिलनाडु के महाबलीपुरम पहुंचेंगे। यहां शुक्रवार और शनिवार को उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता होगी। हालांकि कश्मीर मुद्दे पर दोनों देशों के संबंधों में तल्खी की स्थिति बन रही है।
भारत ने दी कश्मीर मसले से दूर रहने की चेतावनी
कश्मीर मसले पर चीन ने पहले कहा था कि भारत और पाकिस्तान द्विपक्षीय संवाद के जरिए समाधान की तलाश करें, लेकिन अपने बयान से पलटते हुए चीन ने बाद में जम्मू-कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के मुताबिक सुलझाए जाने की बात कह डाली। चीन के इस यू टर्न पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने साफ कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत के रुख की जानकारी चीन को पहले से ही है। उन्होंने कहा कि हमने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुलाकात से जुड़ी रिपोर्ट देखी है, जिसमें कश्मीर पर भी उनकी चर्चा का जिक्र है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कश्मीर को लेकर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। भारत के आंतरिक मामले में किसी दूसरे देश को बोलने का कोई अधिकार नहीं है।