बिजली, पानी मुफ्त के बाद अब आम आदमी पार्टी की सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालों को साधने की नीति तैयार कर ली है। असंगठित क्षेत्र के करीब पांच लाख वोट बैंक के रोजगार के लिए अब उन्हें संगठित कर लाइसेंस दिए जाएंगे ताकि उन्हें रेहड़ी-पटरी लगाने के लिए रोजाना एमसीडी व ट्रैफिक पुलिस से जद्दोजहद न करनी पड़े। दिल्ली सरकार ने 2014 वेंडिंग एक्ट को अमली-जामा पहनाने जा रही है। कानूनी दर्जा देने के लिए टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से बातचीत में बताया कि कानूनी दर्जा नहीं होने की वजह से रेहड़ी-पटरी वालों को कई सारी एजेंसिया परेशान करती हैं। व्यवस्थित नहीं होने की वजह से लोगों को ट्रैफिक जाम, गंदगी का भी सामना करना पड़ता है। अब इन दोनों ही समस्याएं दिल्ली से खत्म होगी। किसी भी शहर की लाइफ लाइन होते हैं रेहड़ी पटरी वाले मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी बड़े शहर में रेहड़ी पटरी वाले लाइफ लाइन होते है। हांगकांग जैसे दुनिया के बड़े शहरों में भी स्ट्रीट वेंडर्स हैं। आर्थिक सहयोग में इनका बड़ा योगदान होता है। दैनिक आवश्यकता पूरी करने में मददगार होते है। रेहड़ी पटरी को अगर हटा दिया जाए तो सब्जी से लेकर कई जरूरी सामना घर में आना बंद हो जाएगा। सामान्य जन-जीवन ठप हो जाएगा। रेहड़ी पटरी संचालकों की छवि खराब की गई। इन्हें ट्रैफि जाम का कारण बताया जाता है। पुलिस व एमसीडी ना तो उनका सामान जब्त कर सकेगी और ना ही उगाही। दिल्ली पहला ऐसा राज्य होगा जिसने रेहड़ी पटरी संचालकों के सम्मान के विषय में सोचा और कानूनी रूप दरिया। अभी तक यह व्यवस्था हांगकांग समेत दुनिया के कुछ बड़े शहरों में थी। यह मामला अदालत में भी गया था। अब रास्ता साफ हो गयू है।