अनवर चौहान

दिल्ली की पूर्व सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित के निधन ने अगले साल दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी की चुनौतियां और बढ़ा दी हैं। उनके निधन से बीजेपी नेताओं को चुनावी समीकरण बिगड़ने का अंदेशा है। माना जा रहा है कि पार्टी को अपनी रणनीति में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं। बीजेपी नेताओं का मानना है कि 2015 के बाद पहले एमसीडी के चुनावों और उसके बाद लोकसभा चुनावों में यह साफ नजर आया था कि दिल्ली में कांग्रेस जितनी मजबूत होगी, बीजेपी को उतना ही फायदा मिलेगा। इसकी वजह है कि कांग्रेस और ‘आप’ का वोट बैंक लगभग एकसमान है। ऐसे में वोट बंटेगा तो उसका फायदा बीजेपी को मिलेगा। अब भाजपा को और कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी - वेसे सोचा जाये तो जितना तो भाजपा ने ही है - कांग्रेस और आप आपस मे लडेंगे और फायदा भाजपा उढ़ा ले जायेंगे विपक्षी भी मानते हैं कि यह शीला की शख्सियत का ही कारनामा था कि दिल्ली में मृतप्राय नजर आ रही कांग्रेस लोकसभा चुनावों में दिल्ली की 7 में से 5 सीटों पर दूसरे नंबर पर आने में कामयाब रही। उसने दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी नया जोश भरने का काम किया। 
अब तक दिल्ली में कांग्रेस के पास शीला के कद का कोई दूसरा बड़ा नेता नहीं था, ऐसे में बीजेपी मानकर चल रही थी कि तमाम आंतरिक खींचतान और विवादों के बावजूद कांग्रेस आने वाले विधानसभा चुनावों में भी शीला के चेहरे को ही आगे रखकर चुनाव लड़ेगी, जिससे बीजेपी को फायदा होगा। मगर, अब शीला दीक्षित के निधन से पासा पलट गया है। शीला के रहते बीजेपी नेताओं को विधानसभा चुनावों में जिस त्रिकोणीय मुकाबले की संभावनाएं बनती दिख रही थी, वह शीला के निधन के बाद कमजोर नजर आ रही है।