इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली पुलिस के डीसीपी मधुर वर्मा के खिलाफ इंस्पेक्टर कर्मवीर मलिक को पीटने के आरोप में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई हैं।
तुगलक रोड थाने में दस मार्च को हुई इस सनसनीखेज वारदात के एक हफ्ते बाद भी दिल्ली के " काबिल" कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने अभी तक मधुर वर्मा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
एक घंटे की जांच में यह आसानी से पता लगाया जा सकता था कि इंस्पेक्टर के आरोप सही हैं या नहीं।  लेकिन एक हफ्ते बाद भी कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से पुलिस कमिश्नर और संबंधित आईपीएस अफसरों की काबिलियत/ भूमिका पर सवालिया निशान लग गया है।
इंस्पेक्टर में दम, कमिश्नर बेदम---
वैसे यह तय है कि इंस्पेक्टर के आरोपों में दम लगता है इसलिए यह मामला सतर्कता विभाग द्वारा जांच के नाम पर लंबा लटकाया जा रहा है। अगर इंस्पेक्टर की गलती होती तो सबसे पहले उसे निलंबित किया जाता फिर उसके बाद जांच शुरू करते। सतर्कता विभाग की जांच भी हवाई गति से पूरी की जाती।

कमिश्नर सुस्त, IPS, SHO निरंकुश----
दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक के राज़ में आईपीएस मधुर वर्मा की गुंडागर्दी का मामला सामने आने के बाद ही सरिता विहार के एसएचओ अजब सिंह द्वारा एक व्यक्ति की बेरहमी से पिटाई का वीडियो सामने आया है। 
इन मामलों से पता चलता है कि पुलिस कमिश्नर का आईपीएस अफसरों पर ही नहीं एस एच ओ स्तर पर भी कोई अंकुश नहीं है।
अगर कोई काबिल पुलिस कमिश्नर होता तो मधुर वर्मा और एसएचओ के खिलाफ जल्द से जल्द जांच पूरी कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की कार्रवाई कर कर्तव्य पालन में ईमानदारी और कानून की नजर में सब बराबर होने का परिचय देता।

कमिश्नर को कितने सबूत चाहिए ?---
निरंकुश एस एच ओ और तीन पुलिसवालों द्वारा एक व्यक्ति को बेरहमी से पीटने का वीडियो सामने आ गया।
पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक क्या बता सकते हैं कि उगाही के लिए दुकानदार मोहम्मद इब्राहिम को बेरहमी से पीटने वाले एस एच ओ ओ अजब सिंह और उसके मातहत पुलिसवालों को गिरफ्तार करने के लिए क्या यह ठोस सबूत नहीं हैं ?

कमिश्नर और डीसीपी की भूमिका पर सवालिया निशान--
इलाक़े के दुकानदारों ने सरिता एस एच ओ के खिलाफ उगाही की शिकायत कई दिन पहले सतर्कता विभाग में की थी इसके बाद भी एस एच ओ द्वारा दुकानदार को पीटने का दुस्साहस किया गया। इससे जिला पुलिस उपायुक्त से लेकर पुलिस कमिश्नर तक की भूमिका पर सवालिया निशान लग जाता है।

पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक आज़ तक नहीं बता पाए कि मधुर वर्मा को दिल्ली में उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त के पद से हटाया क्यो गया था? अगर हटाने का फैसला सही था तो फिर नई दिल्ली जिला के उपायुक्त पर लगाया क्यों गया? पुलिस प्रवक्ता का पद भी मधुर वर्मा के पास है।

आईपीएस के दरबारी क्राइम रिपोर्टर--

आईपीएस तो आईपीएस को बचाते ही है क्राइम रिपोर्टर भी जी जान से जुट जाते हैं अपनी वफादारी साबित करने में। नई दिल्ली जिला पुलिस उपायुक्त होने के साथ-साथ पुलिस प्रवक्ता भी होने का लाभ मधुर वर्मा को मिल रहा है। इसका पता इससे चलता है कि आईपीएस अफसरों के पैर छूने/दरबार में हाजिरी लगाने वाले दिल्ली के दरबारी क्राइम रिपोर्टरों ने इंस्पेक्टर को पीटने के मामले की खबर न देकर आईपीएस के प्रति नतमस्तक हो  हमेशा की तरह एक बार फिर अपनी वफादारी जगजाहिर की।

IPS मधुर वर्मा पर गवाह को धमकाने का आरोप--

दूसरी ओर मधुर वर्मा पर एक गवाह ने धमकाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। यह संगीन आरोप दो दिन पहले ही 16 मार्च 2019 को अदालत में जज के सामने लगाया गया है।
देश भर में चर्चित चंडीगढ़ की जज निर्मल यादव रिश्वत मामले में सीबीआई के गवाह जय प्रकाश राणा ने आईपीएस मधुर वर्मा पर धमकी देने का आरोप लगाया है।
इस मामले में मुख्य आरोपी संजीव बंसल के क्लर्क जय प्रकाश ने अगस्त 2008 में मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था कि रिश्वत की रकम जज निर्मल यादव को भेजी जानी थी जो गलती से जज निर्मल जीत कौर के घर पहुंच गई।
अब 16 मार्च 2019 को मामले की सुनवाई के दौरान
 गवाह जय प्रकाश ने अदालत में कहा कि तत्कालीन असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट पुलिस मधुर वर्मा ने उसे ऐसा बयान देने के लिए धमकाया था उसे धमकी दी थी कि ऐसे बयान न देने पर उसे इस केस में फंसा दिया जाएगा। धमकी के कारण उसने पुलिस के कहे मुताबिक बयान दिया था।

अगस्त 2008 में जज निर्मल जीत कौर के यहां रिश्वत के 15 लाख रुपए पहुंचे तो वह चौंक गई। पता चला कि रिश्वत की यह रकम जज निर्मल यादव को भेजी जानी थी जो गलती से निर्मल कौर के घर पहुंच गई। हरियाणा के पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल, दिल्ली का होटल व्यसायी रवींद्र सिंह, चंडीगढ़ का व्यापारी राजीव गुप्ता इस मामले में आरोपी हैं। संजीव बंसल की मौत हो चुकी है।

आईपीएस मधुर वर्मा ने  चंडीगढ़ में एएसपी के पद पर रहते हुए अखबारों में खूब सुर्खियां बटोरी थीं।

इसके बावजूद गृहमंत्री/ उपराज्यपाल और पुलिस कमिश्नर की कृपा से एक के बाद एक महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया गया।

पूत के पांव पालने में ही दिखाई देने पर भी आंखें मूंदने के लिए गृहमंत्री /उपराज्यपाल /पुलिस कमिश्नर  जिम्मेदार हैं।।