इंद्र वशिष्ठ
सावधान-- जागो लोगों जागो,  सतर्क और  चौकन्ना रहने का समय अब आ गया है। पाकिस्तान के पाले हुए आतंकी गिरोहों द्वारा आतंकी हमला किए जाने का खतरा बरकरार है। देश के भीतर ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पाले हुए  आतंकी गिरोहों के ना जाने कितने आतंकी  मौजूद हैं। बौखलाया और खिसियाया पाकिस्तान आतंकी हमला करने की कायराना हरकत अब भी कर सकता है। वैसे कहा भी जाता है कि दुश्मन को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। लोगों के सहयोग के बिना पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेरना मुश्किल है।

इसलिए आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में  सहयोग देकर लोगों को भी अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।

पाक की नापाक साजिशों को विफल करने के  लिए  लोगों को  सतर्क, जागरुक और चौकन्ना रहने की जरूरत है। बाजारों,मॉल, सिनेमा हॉल,रेल ,बस, स्टेशन, बस अड्डे, एयरपोर्ट, अस्पताल आदि भीड़ भाड़ वाले स्थानों/ संवेदनशील इलाकों और महत्त्वपूर्ण इमारतों में चौकन्ना रहे।
आतंकी अक्सर ऐसे स्थानों पर ही बम धमाके/ गोली बारी करते  हैं। इस लिए यदि कोई लावारिस वस्तु, गाड़ी और संदिग्ध व्यक्ति/गतिविधियां  नजर आए तो तुरंत पुलिस को सूचना दे।
पुरानी कार आदि  बेचने में कार डीलरो और अन्य लोगों को भी पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।
दिल्ली और अन्य महानगर आतंकियों के निशाने पर हमेशा ही रहते हैं।

सेना तो अपना फ़र्ज़ बखूबी निभाने के लिए हमेशा तैयार रहती है।  देश के अंदर की सुरक्षा  के लिए पुलिस है लेकिन पाकिस्तान द्वारा थोपे गए आतंकवाद रुपी इस छद्म युद्ध से तभी पूरी तरह निपटा जा सकता है जब लोग भी इससे निपटने में सहयोग कर अपनी जिम्मेदारी निभाए।
भारतीय वायुसेना ने अदम्य साहस का परिचय दिया और पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के अड्डों को नेस्तनाबूद किया। लेकिन अब बारी हमारी हैं इसलिए लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।

यह नहीं भूलना चाहिए कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी पाकिस्तान बाज नहीं आया। हमारे देश के  युवाओं को ही बरगला कर वह अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देता है।
हमले से सबक -- खुफिया तंत्र और सीमा सुरक्षा मजबूत करने की जरूरत।
पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले ने खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। खुफिया एजेंसियों की नाकामी का खामियाजा जवानों को भुगतना पड़ा।  यह ठीक है कि इस हमले का जबरदस्त तरीके से जवाब वायुसेना ने दे दिया है। लेकिन पाकिस्तान अब भी अपनी नापाक हरकतों से बाज आने वाला नहीं है। आतंकियों के मंसूबों को विफल करने के लिए खुफिया एजेंसियों को पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।

कश्मीरी लड़के सीमा पार कर पाकिस्तान जाते हैं। बम बनाना और हथियार चलाना सीख कर आतंकी बन वापस कश्मीर आ भी जाते हैं। वापसी में वह हथियार और गोला-बारूद भी लेकर आते हैं। पाकिस्तानी आतंकी भी कश्मीर में घुस जाते हैं। भारत पाक सीमा की सुरक्षा व्यवस्था अगर कड़ी हो तो आतंकियों का इस तरह आना-जाना नहीं हो सकता है। इससे सीमा सुरक्षा बल की भूमिका/ कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग जाता है।
पाकिस्तान आतंकवाद के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं। इतिहास गवाह है कि वह सुधरने वाला नहीं है। उस पर ना ही  हमारा कोई नियंत्रण है। लेकिन अपनी  सीमा की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी/सुधार करके और अपने खुफिया तंत्र को तो हम मजबूत कर ही सकते हैं। तभी आतंकवाद को हराना संभव होगा। इसलिए सुरक्षा व्यवस्था में जो कमियां हैं। सबसे पहले उन्हें दूर करना चाहिए।