इंद्र वशिष्ठ
अपराध और अपराधियों से निपटने की बातें बहुत की जाती है। योजनाएं भी बनती हैं। लेकिन दूसरी ओर पुलिस के पास वायरलैस और टेलीफोन जैसे संसाधन तक नहीं है। संसद में भी बार बार यह सवाल उठाया जाता हैं लेकिन अभी भी स्थिति जस की बनी हुई है।
देशभर में पुलिस बल और संसाधनों की कमी है।
पुलिस थाने में वायरलेस, टेलिफोन और वाहन तक नहीं है।
गृह राज्य मंत्री हंस राज गंगा राम अहीर ने राज्यसभा में बताया कि पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के अनुसार देशभर में कुल पुलिस थानों में से 267 थाने टेलिफोन के बिना, 129 थाने वायरलैस/वीएचएफ सैट के बिना और 273 पुलिस थाने बिना आधुनिक वाहनों के काम कर रहे हैं। 863 थानों के पास अपने भवन/इमारत भी नहीं है।
दिलचस्प बात यह है कि यही आंकड़े पिछले साल भी गृह राज्य मंत्री ने राज्य सभा में एक अन्य सवाल के जवाब में दिए थे। इस बार भाजपा के सांसद राकेश सिन्हा द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में भी यहीं जानकारी दी गई। इससे पता चलता है कि एक साल बाद भी स्थिति में कोई सुधार ही नहीं हुआ।
बिना संसाधनों के पुलिस किस तरह से अपराध और अपराधियों से निपटती होगी इसका सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है।
देशभर में क़रीब साढ़े चार लाख पुलिसकर्मियों की कमी है।
पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार 1-1-2017 की स्थिति के अनुसार देश भर में 1989295 पुलिस कर्मियों की कुल स्वीकृत संख्या की तुलना में 1545771 पुलिस कर्मी पद स्थापित है 443524 पुलिस कर्मियों की कमी है।
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकारों को राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की योजना के अंतर्गत गृह मंत्रालय द्वारा सहायता दी जाती है। हथियार, उपकरण, प्रशिक्षण, पुलिस संचार, कंप्यूटरीकरण,विधि विज्ञान, पुलिस भवन/आवास आदि के लिए यह सहायता दी जाती है।
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