अनवर चौहान
नई दिल्ली: नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्श किया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने नोटबंदी के दो साल पूरा होने के मौके पर नरेंद्र मोदी सरकार के इस कदम के खिलाफ शुक्रवार को दिल्ली में भारतीय रिजर्व बैंक के बाहर प्रदर्शन किया. कांग्रेस पार्टी के संगठन महासचिव अशोक गहलोत, वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव, भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष केशव चंद यादव और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मनीष चतरथ एवं नसीब सिंह तथा पार्टी के कई कार्यकर्ता शामिल हुए.
आरबीआई दफ्तर की तरफ बढ़ रहे कांग्रेस नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया और संसद मार्ग थाने ले गई. हिरासत में लिए जाने को मोदी सरकार का ‘तानशाही` वाला कदम करार देते हुए गहलोत ने कहा कि नोटबंदी से देश के गरीबों और छोटे कारोबारियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.
टिप्पणियां बता दें कि कांग्रेस ने कहा था कि गुरुवार को नोटबंदी के दो साल पूरा होने के मौके पर घोषणा की थी कि पार्टी नोटबंदी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेगी. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसी विषय को लेकर बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला था और आरोप लगाया था कि मोदी सरकार का यह कदम खुद से पैदा की गई ‘त्रासदी` और ‘आत्मघाती हमला` था जिससे प्रधानमंत्री के ‘सूट-बूट वाले मित्रों` ने अपने कालेधन को सफेद करने का काम किया.
कांग्रेस की महिला मोर्चा की शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि कांग्रेस के सीनियर नेता आनंद शर्मा, अशोक गहलोत समेत हजारों कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है. लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन मूलभूत अधिकार होते हैं. तानाशाह मोदी सरकार लोकतंत्र को मार रही है.
कांग्रेस का आरोप है कि नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री ने जो भी दावे किए थे...काला धन, भ्रष्टाचार, आतंकवाद पर लगाम उनमें से कुछ भी पूरा नहीं हुआ. कल वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसके फ़ायदे गिनाते हुए ब्लाग लिखा किनोटबंदी के बाद क़रीब 20 फीसदी टैक्स कलेक्शन बढ़ा है.. लेकिन कांग्रेस ने कल से ही अपने हमले तेज़ कर दिए... वह नोटबंदी को पूरी तरह नाकाम बता कर प्रधानमंत्री मोदी से माफ़ी की मांग कर रही है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की जिसके तहत, उन दिनों चल रहे 500 रुपये और एक हजार रुपये के नोट चलन से बाहर हो गए थे.