इंद्र वशिष्ठ
 पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को साफ करने की बजाए झाड़ू लगाने में व्यस्त है। कमिश्नर में अपने कुत्तों के लिए डीसीपी दफ्तर में कमरे बनवाने वाले आईपीएस और अन्य भ्रष्ट पुलिस वालो पर झाड़ू चलाने की तो हिम्मत नहीं हैं। लेकिन अगर सड़क पर झाड़ू लगा कर वह अपनी छवि बनाने की सोच रहे हैं तो वह यह जानकर दुःखी हो जाएंगे कि उनके झाड़ू लगाने को आम आदमी ही नहीं ख़ुद  पुलिस अफसर भी पाखंड/ढोंग ही मानते हैं।
दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड एसीपी आर सी भाटिया ने  तो बड़ी ही बेबाकी से कमिश्नर को आईना दिखाया है। एसीपी भाटिया ने कहा कि `नो हिपाक्रसी` यानी पाखंड नहीं `,यह समय पेशेवर और विशेषज्ञता से काम करने का है। "कमिश्नर दिल्ली को अपराध मुक्त और पुलिस को भ्रष्टाचार मुक्त करने का काम करें।" "वह दिल्ली पुलिस के कमिश्नर है न कि एनडीएमसी के।" अगर उनको ऐसा ही करना है तो प्रतिनियुक्ति पर चले जाएं। दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनने के लिए अनेक अफसर कतार में हैं।

जो ईमानदार हो, तो ईमानदार नज़र आना ज़रूरी है---
पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक झाड़ू छोड़ पुलिस में  व्याप्त भ्रष्टाचार को पेन चला कर साफ़ करने की हिम्मत दिखाएं तो पता चलेगा कि वह आईपीएस अफसर अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को सज़ा दिलाने  के लिए बने हैं। वर्ना वह एक कठपुतली और झाड़ू वाले कमिश्नर की छाप ही छोड़ कर जाएंगे।


 

                                                              आरसी भाटिया

 

कुत्ते वाला आईपीएस-- दक्षिण जिला के तत्कालीन  डीसीपी रोमिल बानिया ने अपने दो कुत्तों के लिए डीसीपी दफ्तर में कमरे बनवाएं और कूलर लगाया।क्या पुलिस कमिश्नर बताएंगें कि कमरा बनाने में लगा लाखों का धन निजी/ सरकारी/ भ्रष्टाचार में से कौन-सा था?अगर सरकारी खर्चे या भ्रष्टाचार से यह बनाया गया गए तो सरकारी खजाने के दुरपयोग /भ्रष्टाचार के लिए डीसीपी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? डीसीपी कुत्ते पालने में  मस्त रहे और एस एच ओ साकेत नीरज कुमार  और हौज खास थाने का एस एच ओ  संजय शर्मा  यूनिटेक बिल्डर  के पालतू बन कर उसके तलुए चाटने में। वह भी ऐसे मामले में जिसे जांच के लिए कोर्ट ने सौंपा था। साकेत थाने के एस एच ओ नीरज कुमार को दो लाख रिश्वत लेते  सीबीआई ने रंगे हाथों पकड़ा। बिल्डर की ओर से रिश्वत देने वाले वकील नीरज वालिया को भी गिरफ्तार किया गया।
 चांदी के  मुकुट वाला डीसीपी--- जिला पुलिस उपायुक्त से पीड़ित व्यक्ति भले आसानी से ना मिल पाए। लेकिन आपराधिक मामलों के आरोपी आसानी से उतर पूर्वी जिले के उपायुक्त अतुल ठाकुर को मुकुट /ताज पहना कर सम्मनित करने पहुंच गए।
अपराधियों के पीछे भागने की बजाय गेंद के पीछे भागते आईपीएस-- पिछले कई सालों से कई जिला पुलिस उपायुक्तों ने अपने-अपने जिले में क्रिकेट मैच कराने शुरू कर दिए हैं। पहले दिल्ली पुलिस पुलिस सप्ताह के दौरान सिर्फ एक मैच ही कराती थी। लेकिन अब डीसीपी निजी शौक़ को एसएचओ से कराईं गई फटीक पर पूरा कर रहे हैं। जो एस एच ओ डीसीपी के मैच में खाने पीने आदि की व्यवस्था करेगा। तो भला डीसीपी की क्या मजाल की उसके भ्रष्टाचार पर चूं भी करें।  पुलिस कमिश्नर भी कई बार ऐसे  मैचों में शामिल होते हैं। क्या उनको पुलिस फोर्स के इस तरह मैचों में समय बर्बाद करने को रोकना नहीं चाहिए? एक ओर थाना स्तर पर स्टाफ कम होने की दुहाई दी जाती है। पुलिस वालों को आसानी से छुट्टी भी नहीं दी जाती है दूसरी ओर पुलिस का इस तरह दुरुपयोग  भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।


भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं- पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक कहते हैं कि भ्रष्टाचार बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करुंगा। लेकिन कथनी और करनी कुछ अलग ही है।
 हीलिंग टच वाला एस एच ओ-- जनक पुरी के एस एच ओ इंद्र पाल  को एक महिला गुरु से तनाव दूर करने वाली हीलिंग टच/आशीर्वाद लेने के कारण हटाया गया।
 राधे मां को कुर्सी सौंपने वाला एस एच ओ--विवेक विहार के एस एच ओ संजय शर्मा को राधे मां को अपनी कुर्सी पर बिठाने के कारण हटा दिया गया था। हाल ही में आशु गुरु जी उर्फ आसिफ खान का सरेंडर कराने ने भी इसकी भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया।
हीलिंग टच पर एसएचओ हटाया, करप्शन टच पर नहीं--
 माया पुरी थाने के एस एच ओ सुनील गुप्ता उर्फ सुनील मित्तल के खिलाफ एक व्यवसायी ने सीबीआई में दस लाख रुपए रिश्वत मांगने की शिकायत दी। सीबीआई ने सुनील गुप्ता के मातहत एएसआई सुरेंद्र को रिश्वत लेते हुए पकड़ भी लिया। सीबीआई एएसआई के माध्यम से एसएचओ को भी पकड़ना चाहती थी लेकिन सीबीआई की लापरवाही के कारण एएसआई भाग गया। कई दिन बाद सुरेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले के उजागर होने के बाद भी पुलिस कमिश्नर ने एस एच ओ सुनील गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई  नहीं की। इस मामले में इस  व्यवसयी की दो महिला कर्मियों को रात में घंटों थाने में बिठाए रखा गया था। आईपीएस अफसरों का चहेता होने के कारण सब आंख मूंदकर बैठे हैं।
महिलाओं के प्रति संवेदनहीन तिलक नगर थाना --    एक लड़की को एएसआई और उसके बेटे के खिलाफ छेड़छाड़ और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज कराने के लिए थाने के कई चक्कर लगाने पड़े। आरोप है कि पुलिस ने लड़की पर समझौते का दबाव बनाया था। जिला पुलिस उपायुक्त के पद पर महिला डीसीपी मोनिका भारद्वाज के होने के बावजूद
इस मामले ने  महिलाओं की सुरक्षा और समस्याओं को लेकर पुलिस के संवेदनशीलता के दावे की पोल खोल दी।
बलात्कार का आरोपी एसीपी रमेश दहिया-- सदर बाजार थाने के एस एच ओ के पद से हाल ही में पदोन्नत हुए एसीपी रमेश दहिया के खिलाफ एक महिला ने बलात्कार, बेटी से छेड़छाड़ और उसके नवजात बच्चे के अपहरण का संगीन मामला दर्ज कराया है। इस मामले में एसीपी के खिलाफ क्या कार्रवाई  की गई?
दिल्ली पुलिस बटालियन का इंस्पेक्टर भी वसूली का आरोपी - साहिबाबाद पुलिस एक डॉक्टर को झूठे मामले में जेल भेजने की धमकी दे कर पांच लाख ऐंठने के आरोपी दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर राजकुमार की तलाश कर रही है। इस मामले में भी क्या कार्रवाई की गई?
अगवा कर फिरौती मांगती पुलिस-- न्यू उस्मानपुर थाने की पुलिस ने एक युवक को अगवा कर थाने में बंधक बनाकर फिरौती की मांग की। इस मामले में दो पुलिस वालों को गिरफ्तार किया गया। लेकिन एस एच ओ के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई।

" ये पब्लिक है ये सब जानती है, अजी अंदर क्या है ,अजी बाहर क्या है ये सब कुछ पहचानती "---
दिल्ली पुलिस ने कमिश्नर के झाड़ू लगाने की फोटो अपने टि्वटर पर लगाईं। जिसे देख आहत हुए सेवानिवृत्त बुजुर्ग एसीपी आर सी भाटिया ने बेबाकी से कमिश्नर को उनका कर्तव्य याद दिला कर अपने कर्तव्य का पालन किया है। दिल्ली पुलिस के ट्विटर पर अनेक लोगों ने जो  प्रतिक्रिया लिखी उसकी बानगी पेश है।--दिल्ली से अपराध को भी पूरी तरह साफ़ किया जाएं।,
कमिश्नर रोजाना/ सप्ताहिक सफाई करेंगे या यह सिर्फ प्रचार पाना है।,
कमिश्नर सर, सड़क साफ़ करने का काम एमसीडी पर ही छोड़ दो, कृपया आप थोड़ा समय दिल्ली की सड़कों से क्राइम साफ़ करने पर लगाएं।,
यह सब क्यो? पुलिसिंग अच्छी करो।,
गाड़ी ढूंढ़ो, दिल्ली में लोगों की कार बहुत चोरी हो रही है।,
कमिश्नर सर, क्लीन अप, दिल्ली पुलिस फोर्स।,
कृपया पुलिस अपना काम करें।,
जहां भ्रष्टाचार को साफ़ करने की जरूरतर है वहां  सफाई नहीं करते।,
दिल्ली पुलिस के ट्विटर पर ज्यादातर ने पुलिस से अपना मूल काम अपराध और भ्रष्टाचार को साफ़ कर  करने के लिए कहा है। इसके अलावा लोगों ने कमिश्नर के पॉश ख़ान मार्केट में सफाई का जमकर मखौल उड़ाया है एक ने तो लिखा है कि अरे भाई, साफ जगह की भी कोई सफाई करता है, जहां गंदगी होगी वहां आप सफाई नहीं कर पाएंगे। ज़्यादातर ने इसे प्रचार की कवायद ही माना है।
दोहरा चरित्र--कई आईपीएस ऐसे भी होते हैं जो हमेशा मनचाहे महत्त्वपूर्ण पद को पाने की ही  जुगाड में लगे रहते है। अनेक आईपीएस में अपने को सर्वश्रेष्ठ मानने का इतना अहंकार होता है कि वह दानिप्स काडर के पुलिस अफसर को भी अपने से तुच्छ समझते हैं। ऐसे में आम आदमी को तो वह क्या समझते होंगे अंदाजा लगाया हैं । लेकिन उनका अहंकार तब गायब हो जाता है जब अपने मनचाहे पद या रिटायरमेंट के बाद भी अच्छा पद पाने के लिए नेताओं के चरणों में गिर जाते हैं।
सच्चाई यह है कि पुलिस का मूल काम छोड़कर  प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए यह सब किया जाता  है। वह खुश होंगे तभी तो अगला मनचाहा पद मिल पाएगाएगा।
बब्बर शेर युद्ध वीर डडवाल ने बढ़ाई कमिश्नर पद की गरिमा-- कॉमनवेल्थ गेम्स के समय की बात है। गृहमंत्री चिदंबरम ने तत्तकालीन पुलिस कमिश्नर युद्धवीर सिंह डडवाल से कहा कि वह स्टेडियम की सुरक्षा व्यवस्था देखना चाहते हैं। डडवाल ने उन्हें बताया कि उन्होंने खुद सारी सुरक्षा व्यवस्था देख ली है लेकिन चिदंबरम ने फिर भी वहां जाने की इच्छा जताई। चिदंबरम सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने गए तो उनके साथ सिर्फ स्टेडियम की सुरक्षा का इंचार्ज आईपीएस अफसर ही था। कोई दूसरा कमिश्नर होता तो अपने सारे काम छोड़ कर पिछलग्गू की तरह कई  दिन तक गृहमंत्री के साथ सभी स्टेडियमों में ही घमूता रहता। यही नहीं ऐसे अनेक किस्से हैं जिनकी वजह से उनके साथ काम कर चुके अफसर डडवाल को बब्बर शेर कहते हैं।
यह फर्क होता है कमिश्नर पद की गरिमा बनाए रखने वाले आईपीएस अफसर और चापलूस अफसरों में।