इंद्र वशिष्ठ

 बलात्कार के आरोपी  आशु गुरु उर्फ आसिफ खान ने पुलिस की मिलीभगत से अपनी गिरफ्तारी का ड्रामा किया है। असल में आशु ने आत्म समर्पण/ सरेंडर किया है। इसकी पुष्टि शाहदरा जिले के वाहन चोरी निरोधक दस्ते यानी एएटीएस के इंस्पेक्टर संजय शर्मा की भूमिका से ही हो जाती है। जैसे अपराध के पीछे अपराधी की नीयत यानी इंटेंशन और मकसद यानी मोटिव देखा जाता है। इस मामले में भी नीयत साफ नहीं दिख रही और जब नीयत ही साफ   नहीं हो तो मकसद अच्छा हो ही  नहीं सकता। वरिष्ठ  पुलिस सूत्रों के अनुसार संजय शर्मा ने आशु के बारे में कोई सूचना उसके पास होने  के बारे में अपने एसीपी / डीसीपी तक को कुछ नहीं बताया था। जबकि किसी भी अपराधी के बारे में  सूचना मिलने की बात वरिष्ठ अफसरों को बताई जाती है। संजय शर्मा ने सूचना मिलने के ही नहीं गाजियाबाद यानी दूसरे राज्य में जाने के बारे में भी अफसरों को नहीं बताया।पुलिस सूत्रों के अनुसार इंस्पेक्टर संजय शर्मा ने तो आशु को लेकर आने के बाद ही अपने अफसरों को यह जानकारी दी। संजय शर्मा ने ऐसा किया क्यो किया? इसके पीछे की असली कहानी क्या है? क्या आशु के समर्पण में मोटी रकम  शामिल हैं ? क्या संजय शर्मा भी आशु का चेला है?
वरिष्ठ पुलिस सूत्रों के अनुसार  इसकी भी जांच पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को क्राइम ब्रांच और विजिलेंस से करानी चाहिए। आशु  करोड़ों पति है और अपने बचाव में वह पैसा पानी की तरह बहा सकता है। आशु ने  पुलिस इंस्पेक्टर से क्या डील की इसका पता लगाना चाहिए। वरिष्ठ पुलिस अफसर अगर चाहे तो आसानी से  संजय शर्मा और आशु के बीच के संपर्क/ संबंध और डील का पता लगा सकते हैं।  पुलिस अफसरों को इस मामले की सच्चाई पता लगा कर ऐसे इंस्पेक्टर को सबक सिखाना चाहिए ताकि अन्य ऐसे पुलिस वालों को भी संदेश जाए  कि वरिष्ठ पुलिस अफसरों को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है। आशु ही नहीं इंस्पेक्टर और उसकी टीम के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल्स की भी जांच की जानी चाहिए। इससे भी आशु और इंस्पेक्टर की कारस्तानी उजागर हो सकती है। गाजियाबाद आने जाने की असलियत भी मोबाइल फोन की लोकेशन और सीसीटीवी कैमरे की फुटेज आदि से  पता लग सकती।  दूसरी ओर इंस्पेक्टर  ने जो हरक़त की है  उसका फायदा आशु  ही कोर्ट में भी उठाएगा। जिससे पुलिस का केस कमजोर हो सकता है।
दिल्ली पुलिस के अनेक आईपीएस अफसर भी  ढोंगी आशु के चेले हैं।
आशु की पुलिस में सैटिंग हो गई  है। आशु ने बहुत मोटी रकम पहुंचा दी है। इस तरह की चर्चा आशु के जानकार पहले से ही कर रहे थे।
इसकी पुष्टि आशु की नाटकीय गिरफ्तारी से हो गई।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि वाहन चोरी की वारदात जमकर हो रही हैं। वाहन चोरों को पकड़ने के अपने मूल काम की  बजाय आशु को पकड़ने में संजय शर्मा का दिलचस्पी लेना भी भूमिका पर सवालिया निशान निशान लगाते है। आशु को तो क्राइम ब्रांच भी जब चाहे आसानी से पकड़ सकती थी। इसीलिए आशु ने अपने चेलों की  मिलीभगत से समर्पण कर गिरफ्तारी का नाटक किया।
विवेक विहार थाने  में अपनी कुर्सी पर राधे मां को बिठा कर आशीर्वाद लेने के कारण संजय शर्मा को पिछले साल  एसएचओ के पद से हटाया गया था। पहले राधे मां और अब आशु गुरु जी क्या यह महज़ सिर्फ इतिफाक है ?
एक महिला और उसकी बेटी से बलात्कार के आरोपी आशु और उसके बेटे के खिलाफ हौज खास पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
आसिफ खान अपनी असली पहचान छिपा कर आशु भाई के नाम से ज्योतिष का धंधा कर रहा है। आशु की यह असली पहचान साल 2012 में मैंने उजागर की थी। लेकिन अंध विश्वासी लोगों को अक्ल नहीं आई। दिल्ली पुलिस के अनेक आईपीएस अफसर भी आशु के चेले हैं