पुणे.महाराष्ट्र में भीमा-कोरेगांव हिंसा के आरोपियों से पुलिस को संदिग्ध ईमेल और चिट्ठी मिली हैं। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरह नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश का जिक्र है।पुणे पुलिस के मुताबिक, माओवादियों ने मेल में प्रधानमंत्री के रोड शो को निशाना बनाने की बात लिखी है। पुलिस ने ये सभी मेल कोर्ट को बताए हैं। बता दें कि 1 जनवरी को हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने नक्सलियों के हाथ होने का दावा किया है। केरल निवासी एक्टिविस्ट रोना विल्सन समेत 5 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
मोदी राज खत्म करने के लिए कदम उठाएं
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पुलिस ने माओवादियों के इंटरनल कम्युनिकेशन को इंटरसेप्ट किया। इसमें कहा गया है कि नरेंद्र मोदी ने 15 राज्यों में सरकार बना ली। ऐसे ही चलता रहा तो माओवादी दलों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। कामरेड, मोदी राज को खत्म करने के लिए कारगर कदम उठाएं। हम इसके लिए राजीव गांधी के साथ हुई घटना के बारे में सोच रहे हैं। हो सकता है हम कामयाब ना हों, पर यह बेहतर मौका है। उनके रोड शो को निशाना बनाना उचित होगा।
पुलिस ने ईमेल और 5 चिट्ठी कोर्ट को बताईं
उधर, पुलिस ने गुरुवार को आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। उन्हें 14 जून तक रिमांड पर भेजा गया है। पुलिस ने कोर्ट को जानकारी देते वक्त नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया, लेकिन जो मेल कोर्ट को बताया गया उसमें ‘राजीव गांधी जैसी हत्या’ की बात जरूर लिखी है। पुलिस ने 5 लेटर भी कोर्ट को दिए। इनमें से एक रोना विल्सन के लैपटॉप से मिला है।
कांग्रेस ने कहा- ये मोदी का हथकंडा भी हो सकता है
कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा, ``मैं ये नहीं कह रहा हूं कि यह मामला पूरी तरह से झूठ है, लेकिन यह प्रधानमंत्री मोदी का पुराना हथकंडा भी रहा है, जब वे मुख्यमंत्री थे। जब उनकी प्रसिद्धी कम होने लगे तो हत्या की साजिश की बातें फैलाई जाएं। ऐसे में जांच हो कि इसमें कितनी सच्चाई है।``
मुख्यमंत्री फडणवीस को भी माओवादियों की धमकी
महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय के मुताबिक, पुलिस को माओवादी संगठनों की दो चिट्ठी मिली हैं। इनमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनके परिवार को धमकी दी गई। दोनों लेटर में पिछले दिनों गढ़चिरौली में हुईं मुठभेड़ का जिक्र है। इनमें कई नक्सली मारे गए थे।
पुलिस ने आरोपियों को ‘अरबन नक्सल’ बताया
पुणे पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त रवींद्र कदम ने भीमा-कोरेगांव हिंसा में गिरफ्तार 5 आरोपियों को सीपीआई-माओ का सदस्य बताया था। पुलिस ने इन्हें ‘अरबन नक्सल’ और `टॉप अरबन माओवादी` की संज्ञा दी है। यह भी खुलासा हुआ है कि हिंसा में नक्सलियों के पैसे का इस्तेमाल हुआ। छापेमारी में जब्त हुए दस्तावेज इसके सबूत हैं।
पुलिस को छापेमारी के दौरान दस्तावेज मिले
पुलिस को कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान दस्तावेज मिले थे। इनकी जांच के आधार पर बुधवार को 5 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। इनमें नागपुर के सुरेंद्र गडलिंग (वकील), शोमा सेन (प्रोफेसर) और महेश राऊत (एक्टिविस्ट) शामिल हैं। वहीं, रोना विल्सन (एक्टिविस्ट) को दिल्ली और सुधीर ढवले (पत्रकार) को मुंबई से पकड़ा गया।
भीमा-कोरेगांव में क्या विवाद है?
1 जनवरी 1818 में कोरेगांव भीमा की लड़ाई में पेशवा बाजीराव द्वितीय पर अंग्रेजों ने जीत दर्ज की थी। इसमें दलित भी शामिल थे। बाद में अंग्रेजों ने कोरेगांव भीमा में अपनी जीत की याद में जयस्तंभ का निर्माण कराया था। आगे चल कर यह दलितों का प्रतीक बन गया।
इस साल जब दलितों का एक समूह लड़ाई की 200वीं सालगिरह मनाने जा रहा था। तभी वढू बुद्रुक इलाके में छत्रपति शंभाजी महाराज के दर्शन करने जा रहा दूसरा गुट रास्ते में आ गया। यहां दोनों गुटों के बीच कहासुनी के बाद हिंसा हुई। एक शख्स की मौत हुई और 50 से ज्यादा वाहन फूंके गए।