जॉर्डन के अधिकारियों ने कहा है कि किंग अब्दुल्लाह ने प्रधानमंत्री हानी अल-मुल्की को समन किया है. कहा जा रहा है कि दोनों की बैठक में प्रधानमंत्री को इस्तीफ़े के लिए कहा जा सकता है. जॉर्डन में लोग पिछले चार दिनों से सड़क पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.लोग महंगाई के ख़िलाफ़ सड़क पर हैं और ऐसे में सरकार ने आय कर की दरें बढ़ा दी हैं. सोमवार को क्राउन प्रिंस हुसैन पांच हज़ार लोगों की मज़बूत भीड़ के साथ राजधानी अमान में प्रधानमंत्री हुसैन ने सुरक्षा बलों से कहा कि लोगों को अपनी आवाज़ उठाने की अनुमति मिलनी चाहिए.
जॉर्डन के शाही घराने के लिए यह बड़ा विरोध-प्रदर्शन है. प्रदर्शनकारी कैबिनेट ऑफिस के बाहर जमे हुए हैं. लोग प्रधानमंत्री हानी अल-मुल्क से इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं. मुल्की ने 2016 में जॉर्डन की कमान संभाली थी. उन्हें देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का भी श्रेय दिया जाता है. जॉर्डन लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है. अब भी विदेशी मदद पर जॉर्डन की भविष्य बहुत हद तक निर्भर करता है.
शुक्रवार को किंग अब्दुल्लाह ने तेल की क़ीमत में हुई बढ़ोतरी को रोक दिया था. प्रदर्शनकारी प्रस्तावित टैक्स बिल को लेकर भारी ग़ुस्से में हैं. लोगों को लग रहा है कि इस बिल से उनके दैनिक जीवन में होने वाले खर्च बढ़ जाएंगे. दूसरी तरफ़ प्रधानमंत्री मुल्की ने आईएमएफ़ समर्थित टैक्स बिल को रद्द करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह संसद का अधिकार है कि बिल पास करे या नहीं.
इस साल की शुरुआत में बिक्री कर में बढ़ोतरी की गई थी और ब्रेड पर मिलने वाली सब्सिडी ख़त्म कर दी गई थी. प्रधानमंत्री का कहना है कि ऐसा देश पर क़र्ज़ के बोझ को कम करने के लिए किया जा रहा है. किंग अब्दुल्लाह का कहना है कि पड़ोसी सीरिया और इराक़ में जारी संघर्ष के कारण जॉर्डन की वित्तीय स्थिति चरमरा गई है.