लखनऊ. केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने मंगलवार को अयोध्या और फैजाबाद रेलवे स्टेशन के लिए 210 करोड़ के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इस मौके पर उन्होंने कहा, "जिस तरह श्रीराम का मंदिर अयोध्या में बनाया जाएगा, ठीक उसी तरह अयोध्या का रेलवे स्टेशन भी बनाया जाएगा।" सिन्हा ने कहा- अभी तक अयोध्या और फैजाबाद के रेलवे स्टेशनों का विकास नहीं हो पाया था। उनके डेवलपमेंट के लिए हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं।
सिन्हा नहीं, "अयोध्या-फैजाबाद रेलवे स्टेशन का काम इसी महीने से दिखाई देने लगेगा। चार करोड़ की लागत से अयोध्या के कोल डिपो को दर्शन नगर या गोसाईगंज रेलवे स्टेशन पर बनाया जाएगा। अयोध्या का डेवलपमेंट इस तरह किया जाएगा कि दुनियाभर से आए लोग कह सकें कि ये श्रीराम की जन्मभूमि है। अयोध्या को उस लेवल पर ले जाना है, जिससे देश के हर कोने से ट्रेनें अयोध्या आएं। भारत सरकार इसका इंतजाम करेगी।" "देश के कोने-कोने से लोग राम के दर्शन करने अयोध्या आते हैं। निश्चित तौर पर स्टेशन अभी तक उनकी आशाओं के अनुरूप नहीं बन सका है, लेकिन अब सरकार अयोध्या और फैजाबाद के स्टेशनों पर काफी काम करा रही है।"
कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि अयोध्या विवाद को धार्मिक नजरिये से नहीं, बल्कि सिर्फ भूमि विवाद के तौर पर ही देखा जाएगा। सीजेआई दीपक मिश्रा समेत तीन जजों की स्पेशल बेंच के सामने सुनवाई शुरू होते ही पिटीशनर्स के वकील ने कहा कि अयोध्या विवाद लोगों की भावनाओं से जुड़ा है। इस पर चीफ जस्टिस बोले- ऐसी दलीलें मुझे पसंद नहीं, यह सिर्फ भूमि विवाद है।
अयोध्या मामले में कितने पक्षकार हैं?
1. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड
2. राम लला विराजमान
3. निर्मोही अखाड़ा
इन तीन मुख्य पक्षकारों के अलावा एक दर्जन अन्य पक्षकार भी हैं। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने विवादित बाबरी ढांचे को ढहा दिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में विवादित 2.77 एकड़ जमीन 3 बराबर हिस्सों में बांटने का ऑर्डर दिया था। अदालत ने रामलला की मूर्ति वाली जगह रामलला विराजमान को दी। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को और बाकी हिस्सा मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया था।