भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दुबई में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा- आज यूएई हो या खाड़ी के और देश हों, हमारा नाता सिर्फ विक्रेता और खरीदार का नहीं रहा, साझेदारी का नाता बना है.भारत इस बात के लिए गर्व करता है कि खाड़ी के देशों में 30 लाख से भी अधिक भारतीय समुदाय के लोग यहां की विकास यात्रा में भागीदार हुए हैं.मैं क्राऊन प्रिंस का सभी सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों की तरफ से इस मंदिर के लिए ह्रदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूं. मंदिर का निर्माण, वो भी सद्भावना के सेतु के रूप में. हम उस परंपरा में पले-बढ़े हैं जहां मंदिर मानवता का माध्यम हैं.
हमने वो दिन भी देखे हैं जब चलो छोड़ो यार, कुछ होने वाला नहीं, चलो यार बिस्तरा उठाओ कहीं चले जाएं, निराशा, आशंका दुविधा...इस कालखंड से हम गुजरे हैं. एक समय था जब देश का आम आदमी पूछता था कि ये संभव है क्या. वहां से चलते चलते 4 साल के भीतर-भीतर देश यहां पहुंचा है कि आज देश ये नहीं पूछ रहा है कि होगा या नहीं होगा, संभव है या नहीं है. लोग अब पूछते हैं मोदीजी बताओ कब होगा. इस सवाल में शिकायत नहीं है विश्वास है होगा तो अभी होगा.
2014 में वैश्विक स्तर पर ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में हम बहुत पीछे खड़े थे, दुनिया का कोई देश कभी इतने कम समय में 42 स्थान की जंप लगाकर 100 पर नहीं पहुंचा. कोई ये ना सोचे कि यहां हम रुक जाएंगे, हम और ऊपर जाना चाहते हैं. इसके लिए जहां नीतिगत, रणनीतिक और दूसरे तरह के परिवर्तन करने होंगे, उन कदमों को उठाते हुए भारत को जितना हो सके, उतने जल्दी ग्लोबल बेंचमार्क की बराबरी में लाना है.
आज दुनिया कह रही है 21वीं सदी एशिया की सदी है. ऐसा तो नहीं है वो टपक जाएगी और हमारे हाथ में आ जाएगी. इसके लिए परिश्रम करना पड़ेगा, तत्कालीन लाभ हो या नहीं हो, लंबे अरसे की भलाई के लिए कदम उठाने होंगे.अगर नोटबंदी करता हूं तो देश का गरीब तबका उसे सही दिशा का मजबूत कदम मानता है, लेकिन जिसकी रात की नींद उड़ गई हो, वो दो साल के बाद अभी भी रो रहा है.7 साल से जीएसटी कानून होगा नहीं होगा, यही चल रहा था. लेकिन अब हो गया है. 70 साल पुरानी व्यवस्था बदलती है तो कठिनाइयां होती हैं. लेकिन ये श्रेयस्कर है, महात्मा गांधी ने जो रास्ता दिखाया है, ये वो रास्ता है. देश बदल रहा है.