(अनवर चौहान) नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी 2014 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में किए गए हिंदुत्व के एजेंडे समेत और कई मुद्दों को सुलझाना चाहते हैं। इसके लिए वो चार महीने से इस कोशिश में लगे हैं कि भाजपा कार्यकारिणी की बुलाई जानी चाहिए। 4 महीने पहले इस बाबत उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखा था....मगर शाह ने कोई जवाब नहीं दिया तो स्वामी ने अब मोदी को पत्र लिख लिख कर इसी बात को दोहराया और यही पत्र मीडिया को भी सरका दिया। अगर इशारों की बात करें तो बात एक दम आईने की तरह साफ है कि स्वामी को अनसुना किया जा रहा है। यों तो अनदेखी किए जाने वाले नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है......जिसमें सुषमा स्वराज का नाम भी शामिल हैं....जो काम विदेश मंत्री का होता है उसका सारा भार खुद मोदी ने संभाल रखा है। और पार्टी के लोग ही कहते हैं कि सुषमा को भी कौने में बैठा दिया...पूरी सरकार मोदी और अमित शाह मिलकर संभाले हुए हैं। स्वामी ने मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन तमाम मुद्दों पर बात होनी चाहिए जो भाजपा के चुनावी एजंडे में थे। उन्हों ने कहा कि ये सभी पार्टी कार्यकर्ताओं और संघ परिवार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। स्वामी ने यह भी कहा कि पार्टी ने कानूनी तरीके से संभव होने पर राम मंदिर का निर्माण का भी वादा किया है। अपने पत्र में भाजपा नेता ने महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे आइटी कानून से विवादित सेक्शन के हटाने, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम और आपराधिक मानहानि पर सरकारी अधिकारियों द्वारा लिए गए फैसलों पर भी शिकायत दर्ज कराई है।