मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी ने सिनाई में हुए हमले का बदला लेने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अब मिस्र के लोग पहले से भी ज्यादा मजबूती से आतंकवाद का मुकाबला करेंगे। शुक्रवार को मिस्र में उत्तरी प्रांत सिनाई में करीब 40 बंदूकधारियों ने एक मस्जिद में नमाज के दौरान लोगों पर हमला कर दिया था। इतना ही नहीं जिसने भी बाहर निकलने की कोशिश की, जीपों पर सवार होकर आए बंदूकधारियों ने उसे गोली मार दी। मिस्र के सरकारी टीवी चैनल के मुताबिक इस हमले में कम से कम 235 लोगों की मौत हो गई है और 130 अन्य घायल हुए हैं।
मिस्र के राष्ट्रपति का संकल्प
घटना के बाद मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सीसी ने टीवी पर दिए संबोधन में इस हमले में मारे गए और ज़ख्मी हुए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट की. उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना का बदला लिया जाएगा। मिस्र के राष्ट्रपति ने कहा कि सेना और पुलिस हमारे शहीदों का बदला लेगी। आने वाले वक्त में सुरक्षा और स्थिरता स्थापित करने के लिए पूरा ज़ोर लगाया जाएगा। अल-आरिश के करीब अल-रावदा में जिस मस्जिद पर हमला हुआ है, वह सूफी मत मानने वालों के बीच लोकप्रिय थी।
तीन दिन का राष्ट्रीय शोक
मिस्र सरकार ने इस हमले में मारे गए लोगों के लिए तीन दिनों के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है। राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सीसी इस घटना पर चर्चा के लिए अधिकारियों के साथ आपात बैठक कर रहे हैं। अरब लीग के काहिरा स्थिति प्रमुख अहमद अब्दुल घेइत ने इस हमले को खौफनाक अपराध बताया है, जिसने फिर दिखाया है कि इस्लाम का आतंकी विचारों को मानने वालों से कोई वास्ता नहीं है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने की निंदा
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मिस्र के विदेश मंत्री से फोन पर बात की और उत्तरी सिनाई प्रांत में एक मस्जिद पर हुए भयावह आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की। हमले में 235 नमाजी मारे गये।सुषमा ने ट्वीट किया, ``मैंने मिस्र के विदेश मंत्री (सामेह शौकरी) से अभी बात की है और हमारे प्रधानमंत्री की भावनाओं से उन्हें अवगत कराया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट का भी उल्लेख किया, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मिस्र को भारत के समर्थन को दोहराया गया अमेरिका ने निंदा की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले को खौफनाक और कायराना करार दिया। ट्रंप ने ट्विटर पर कहा, दुनिया इस आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं कर सकती। हमें उनको सैन्य पराजित करना होगा और उनके वजूद को आधार देने वाली आतंकी विचारधारा को नकारना होगा।
किसी ने जिम्मा नहीं लिया
फिलहाल किसी भी आतंकी या चरमपंथी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि पूर्व में इस्लामिक स्टेट (आईएस) यहां सैकड़ों पुलिसकर्मियों, सैनिकों तथा नागरिकों को मार चुका है। वह सुन्नी समुदाय के उदारवादी सूफी मत को मानने वालों और ईसाइयों को निशाना बनाता रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार अल रौदा मस्जिद में सूफी विचार को मानने वाले लोगों का आना जाना होता है। हमले में घायल लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए करीब 50 एंबुलेंस मौके पर भेजे गए। घायलों की बड़ी तादाद को देखते हुए मृतकों की तादाद बढ़ने का अंदेशा है।