सफदर रिज़वी
नई दिल्ली। बेकार शरीर को काम करने लायक बनाया जा सकता है बशर्ते मरीज ठीक होना चाहे। यह काम आक्युपेश्नल थेरेपी के जरिए किया जा सकता है। यह बात जीबी पंत अस्पताल के आक्युपेश्नल थेरेपी विभाग में काम करने वाले डाक्टर नीरज मिश्रा ने कही। उन्होने कहा कि आक्युपेश्नल थेरेपी ने पूरे विश्व में धूम मचा रखी है। इस थेरेपी के जरिए न सिर्फ मरीजों के शारीरिक एवं मानसिक विकारों को दूर किया जा सकता है बल्कि उन्हें पुरानी स्थिति एवं सामान्य जीवन की तरफ लाया जा सकता है। आक्युपेश्नल थेरेपी के जरिए विक्लांगता से पीड़ित लोगों को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है बल्कि उन्हें समाज की मुख्य धारा में भी शामिल किया जा सकता है। स्ट्रोक, पारकिंसन, सीपी, आटीज़म और स्पाइना बाइफीडा वगैरह के रोगियों का आक्युपेश्नल थेरेपी के जरिए सफल उपचार किया जा सकता है। डाक्टर नीरज मिश्रा ने बताया कि 27 अक्टूबर को वर्ल्ड आक्युपेश्नल थेरेपी डे मनाया जा रहा है। इस मौके पर भारत में जगह- जगह कार्यक्रम होंगे। दिल्ली में सुबह 9 बजे आइटीओ स्थित आध्रं भवन पर जन स्वास्थ्य जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। यहां आक्युपेश्नल थेरेपी के डाक्टर और छात्र माजूद रहेंगे। आल इंडिया आक्युपेश्नल थेरेपी एसोसिएशन की दिल्ली शाखा कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इसमें संगठन के ड़ॉक्टर रमेश आर्य, डॉक्टर ललित नारायण, डॉक्टर सुनीता पसरिया जैसे वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद रहेंगे।