अनवर चौहान
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कार सचिवालय के पास से चोरी हुई और 2 दिन के भीतर मिल भी गई। लेकिन इस मुद्दे पर एलजी अनिल बैजल और सीएम केजरीवाल के बीच तल्ख खतों का आदान-प्रदान हुआ है। कार चोरी होने के बाद केजरीवाल ने एलजी को खत लिखकर दिल्ली की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाया था। अब राजनिवास से सीएम को जवाबी खत लिखा गया है जिसमें कार पार्किंग के नियमों का पालन करने और सुरक्षा के इंतजाम न किए जाने की बात कही गई है। राजनिवास से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखे गए खत में कहा गया है, `कार चोरी होने की सूचना मिलने के तुरंत बाद उन्होंने (एलजी) ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से त्वरित कार्रवाई करने को कहा। दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने स्टेटस रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि उन्होंने कार की तलाश के लिए कई टीमों का गठन किया था। मौका-ए-वारदात और सीमाई इलाकों के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को खंगाला जा रहा था।`
एलजी ने अपने खत में लिखा है कि दिल्ली पुलिस ने 2 दिनों के भीतर चोरी हुई वैगन आर कार को बरामद कर लिया। खत में कार पार्किंग के नियमों के उल्लंघन की ओर ध्यान दिलाया गया है। खत में दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा गया है कि कार पार्किंग स्थल से 100 मीटर दूर पार्क की गई थी और उसमें सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए थे। खत में दिल्ली पुलिस की तारीफ करते हुए लिखा गया है कि पुलिस टीमों के सामूहिक प्रयासों से 2 दिनों के भीतर कार बरामद हो गई।
एलजी ने खत में आंकड़ों के जरिए अरविंद केजरीवाल के आरोपों का जवाब देने की कोशिश की गई है। एलजी ने बताया है कि दिल्ली पुलिस ने वाहन चोरी के मामलों पर तेजी से कार्रवाई करते हुए इस साल 30 सितंबर तक 3,252 वाहनचोरों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा एलजी ने मुख्यमंत्री से लोगों को अपनी गाड़ियों को अधिकृत पार्किंग में पार्क करने और गाड़ियों में सुरक्षा इंतजाम करने के लिए चलाए जा रहे दिल्ली पुलिस के जागरूकता अभियान में सहयोग देने को कहा है।
बता दें कि इससे पहले अपनी कार चोरी होने के बाद 13 अक्टूबर को अरविंद केजरीवाल ने एलजी को खत लिखकर दिल्ली के कानून और व्यवस्था पर सवाल उठाया था। उन्होंने एलजी को लिखे लेटर में कहा है कि मेरी गाड़ी चोरी हो गई, यह छोटी बात है। लेकिन सचिवालय के सामने से दिल्ली के मुख्यमंत्री की गाड़ी चोरी हो गई, यह दिल्ली में बिगड़ती हुई कानून-व्यवस्था की ओर इशारा करता है। गौरतलब है कि केंद्र शासित राज्य होने की वजह से दिल्ली में पुलिस व्यवस्था दिल्ली सरकार के अधीन न होकर केंद्र के अधीन है।