राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जी,
नमस्कार,
विषय-जान,सम्मान,लिखने की आजादी की रक्षा हेतु।
महोदय,
कृपया पत्रकार की आजादी पर हमला और मानहानि करने वाले पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक, आईपीएस पीआरओ दीपेंद्र पाठक और मधुर वर्मा को लोकतंत्र का सबक सिखाने की कृपा करें। देश की राजधानी में मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार की ये निरंकुश अफ़सर मानहानि कर सकते हैं तो बाकी देश में अफसरों की तानाशाही का अंदाजा लगाया जा सकता है। IPS PRo मधुर वर्मा ने अपने दफ्तर की साज सज्जा पर जनता के टैक्स के लाखों रुपए लुटा दिए। इसके अलावा मधुर वर्मा ने अशुद्ध हिंदी वाला विज्ञापन टि्वट कर दिया। इस मामले को उजागर करने से पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक,प्रवक्ता दीपेंद्र पाठक और मधुर वर्मा बौखला गए। पुलिस के व्हाटस ऐप ग्रुप पर मीडिया के गुंडों ने इस खबर को लेकर मुझ पर अभ्रद टिप्पणियां की। मेरी मानहानि के तमाशबीन बने रहे इन अफसरों ने उनके खिलाफ तो कोई कार्रवाई नहीं की।मुझे ही ग्रुप से हटा दिया और मुझे पुलिस की ईमेल भेजना भी बंद कर दिया। इससे स्पष्ट है कि यह अफसर मेरी मानहानि और जान तक को खतरे में डालने में शामिल हैं। क्या किसी पुलिस अफसर, पीआरओ को यह अधिकार है कि वह उसके खिलाफ ख़बर लिखने वाले सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार के साथ इस तरह का व्यवहार करे।देश नियम, कायदे ,कानून से चलता है या ऐसे तानाशाह पुलिस अफसरों से जो खबर से बौखला कर पत्रकार के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं। पिछले करीब तीस साल में मैंने अनेक आईपीएस अफसरों की पोल खोलने वाली खबर लिखीं हैं। मेरे द्वारा मामला उजागर करने पर आईपीएस सत्येंद्र गर्ग, मुक्तेश चंद्र को तो जिला पुलिस उपायुक्त के पद से हटाया भी गया था। 1999 में केंद्र में भाजपा की सरकार ने इन दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की थी। उम्मीद है अब भी भाजपा सरकार ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाएगी। सरकार ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करें तो पूरे देश के अफसरों में संदेश जाएगा और आइंदा कोई अफ़सर निरंकुश नहीं होगा।
कृपया मेरी जान,सम्मान और लिखने की आजादी की रक्षा करे।
धन्यवाद।
इंद्र वशिष्ठ
स्वतंत्र पत्रकार
(भारत सरकार से मान्यता प्राप्त)
पूर्व विशेष संवाददाता , दैनिक भास्कर,
पूर्व क्राइम रिपोर्टर , सांध्य टाइम्स,
(टाइम्स आफ इंडिया ग्रुप)