प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कसौटी पर खरा न उतरने और अपने मंत्रालयों में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने की वजह से आधा दर्जन मंत्रियों को हटाया जाना लगभग तय है। वहीं कुछ मंत्रियों को संगठन की जरूरतों के हिसाब से हटाया जा रहा है। मंत्रिमंडल में फेरबदल मिशन 2019 की तैयारियों से जुड़ा है, जिसमें सरकार व संगठन को उसके अनुरूप बनाना है।
सूत्रों के अनुसार, कौशल विकास मंत्रालय का गठन प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत के निर्माण की संकल्पना से किया गया था लेकिन इस विभाग के मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी अभी तक अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर सके। साथ ही बिहार में जदयू के साथ आने और उसे सरकार में हिस्सेदारी देने के लिए भी बिहार से मंत्री कम करने थे। ऐसे में रूड़ी को इस्तीफा देने को कहा गया। स्वास्थ्य राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंत्रालय व पार्टी दोनों स्तरों पर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे। उनको इसका खामियाजा उठाना पड़ा है।
संजीव बालियान को कृषि से जल संसाधन मंत्रालय में नमामि गंगे के काम में तेजी लाने के लिए लाया गया था लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके। इस विभाग की कैबिनेट मंत्री उमा भारती से भी इसी आधार पर इस्तीफा देने को कहा गया और उन्होंने अपनी पेशकश कर दी है। प्रधानमंत्री ने इस काम के लिए जल संसाधन मंत्रालय को भारी भरकम बजट व काफी अधिकार दिए थे, लेकिन परिणाम बेहद धीमे हैं। कलराज मिश्र का मंत्रालय भी ज्यादा प्रभावी काम नहीं कर पा रहा था और वे 75 साल की आयु को भी पार कर गए थे। उत्तर प्रदेश के चुनाव में जातीय समीकरणों को देखते हुए उनको मंत्री बनाए रखा गया था। बंडारू दत्तात्रेय भी मंत्रालय में ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे। महेंद्र नाथ पांडे को संगठन के कारण इस्तीफा देना पड़ा है। पार्टी ने उनको उत्तर प्रदेश पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया है।
सूत्रों के अनुसार राजीव प्रताप रूड़ी व फग्गन सिंह कुलस्ते को संगठन में अहम काम दिया जाएगा। रूड़ी को राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता बनाए जाने की चर्चा है। कुलस्ते को भी प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी मिल सकती है। संजीव बालियान को भी संगठन के काम में लगाया जाएगा। 

कलराज मिश्र व बंडारू दत्तात्रेय को राज्यपाल बनाए जाने की चर्चा है। हालांकि पार्टी का एक वर्ग इसके खिलाफ है। दोनों को राज्यपाल बनाने पर लोकसभा उपचुनाव कराने पड़ेंगे। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा है कि फिलहाल उपचुनाव नहीं कराए जाने चाहिए और दोनों नेता संगठन के लिए योगदान करें। वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने के बाद आंध्र व तेलंगाना में पार्टी को संगठन के लिए एक बड़ा नेता चाहिए। बंडारू यह काम कर सकते हैं।