इंद्र वशिष्ठ (वरिष्ठ पत्रकार)
दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने  सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर में आक्सीजन सप्लाई बंद होने से  5 मरीजों की मौत के लिए अस्पताल प्रशासन को दोषी/जिम्मेदार माना है। काउंसिल ने दिल्ली सरकार से इस मामले में दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है इसके अलावा सरकार से ऐसे उपाय करने को भी कहा जिससे भविष्य में ऐसा हादसा न हो। 4-12-2012 को आक्सीजन सप्लाई बंद होने से 5 मरीजों की मौत हो गई थी। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में मेडिकल काउंसिल से  राय मांगी थी। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सचिव डॉ गिरीश त्यागी ने पुलिस को दी अपनी  राय में बताया है कि अस्पताल प्रशासन इसके लिए जिम्मेदार हैं। इस मामले में डाक्टर की लापरवाही नहीं है। काउंसिल ने जांच में पाया कि आक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने एक अप्रशिक्षित तकनीशियन को तैनात किया हुआ था। अनुबंध के अनुसार पर दो तकनीशियन होने चाहिए थे। आक्सीजन सप्लाई की पाइप लाइन के रखरखाव( मेंटनेंस) के अनुबंध को समय पर रिन्यू नहीं कराया गया।उस रात वेंटिलेटर पर  गंभीर मरीजों के लिए सिर्फ एक ही नर्स थी जो कि मरीज और नर्स अनुपात के तय मानकों से कम है। आक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी की लापरवाही से सप्लाई बंद हो गई थी। जिससे यह हादसा हुआ।


दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने सरकार को ऐसे हादसे रोकने के लिए कई सुझाव भी दिए है। आक्सीजन सप्लाई की पाइप लाइन समेत सभी उपकरणों के रखरखाव के अनुबंध को कम से कम एक महीना पहले रिन्यू कराया जाना चाहिए। अस्पताल प्रशासन, डाक्टर, नर्स और रख रखाव करने वाली कंपनी के बीच तालमेल बेहतर होना चाहिए। अस्पताल की  मशीन, उपकरणों के  रखरखाव की लाग बुक सही तरह से मेंटेन की जाए और आला अधिकारी उसे देखें।

आक्सीजन सप्लाई पाइप लाइन और अन्य उपकरणों के लिए तैनात व्यक्ति की यह जिम्मेदारी  हो कि वह आक्ससीजन सप्लाई बंद होने या उपकरणों में खराबी की सूचना तुरंत आला अधिकारियों को दे। मेडिकल काउंसिल ने यह भी कहा कि ट्रामा सेंटर में एक पूर्णकालिक चिकित्सा अधीक्षक और  प्रशासनिक विभाग होना चाहिए। तय मानकों के अनुसार पर्याप्त संख्या में डाक्टर, नर्स और तकनीशियन की व्यवस्था की जाए।  ट्रामा सेंटर लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के अंतर्गत हैं।