27 दिसंबर, 2007 की शाम थी जब पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की अध्यक्ष बेनज़ीर भुट्टो रावलपिंडी के लियाकत बाग में एक रैली को संबोधित करने आने वाली थीं. देश में आम चुनाव होने के बाद से पूर्व प्रधानमंत्री का भाषण सुनने के लिए लियाकत बागड में बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष के भाषण के दौरान ही ये ख़बर मिली कि इस्लामाबाद एक्सप्रेस-वे के पास क्रॉल चौक पर पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की रैली पर गोलीबारी हो गई है जिससे चार लोग मारे गए हैं.
भीड़ की वजह से वहां पर मौजूद रिपोर्टरों ने क्रॉल चौक जल्दी पहुँचने के लिए वही रास्ता अख़्तियार किया जहां से बेनज़ीर भुट्टो सभा स्थल में दाख़िल हुईं थीं. फिर हम लोगों ने लियाकत बाग़ के पीछे वाले दरवाजे से निकलने की कोशिश की. लेकिन वहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने हमें इस रास्ते से जाने की इजाज़त नहीं दी.पत्रकारों की इस टीम में रावलपिंडी के क्राइम रिपोर्टर भी थे और उन्होंने अपने संबंधों का इस्तेमाल किया जिसकी वजह से वहाँ से निकलने की अनुमति मिल गई.
सर्दियों का वक़्त था, शाम भी थोड़ी जल्दी हो गई और बेनज़ीर भुट्टो ने भी अपना भाषण समाप्त कर लिया था. उनकी सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारी जितनी जल्दी हो सके उन्हें वहां से हटाना चाहते थे. देखते ही देखते लियाकत बाग़ से राजा बाज़ार जाने वाली सड़क एक ओर से बंद हो गई. वहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने पत्रकारों को वहीं पर रोक दिया और कहा कि आप तब तक आगे नहीं जा सकते जब तक बेनज़ीर भुट्टो का काफ़िला इस्लामाबाद के लिए नहीं निकल जाता. बेनज़ीर भुट्टो पर ख़तरे की चेतावनी के बावजूद लियाकत बागड के बाहर कोई ख़ास सुरक्षा व्यवस्था नहीं दिख रही थी और इसके अलावा रैली वाली जगह के पास स्थित इमारतों की छतों को पुलिसकर्मियों को तैनात नहीं किया गया था और न ही एलीट फोर्स के अफ़सर यहां तैनात किए गए थे.इस बातचीत के अभी तक पांच मिनट भी नहीं बीते थे कि इसी दौरान बेनज़ीर भुट्टो का काफ़िला इस्लामाबाद रवाना होने के लिए रैली वाली जगह से बाहर निकल पड़ा.
बेनज़ीर भुट्टो की गाड़ियों का काफिला अभी निकलना शुरू ही हुआ था कि इस बीच न जाने कहाँ से एक बड़ी संख्या में समर्थक लियाकत बाग़ के गेट पर पहुंच गए और उन्होंने ढोल ताप पर बेनज़ीर भुट्टो के समर्थन में नारे लगाने शुरू कर दिए. और जैसे ही बेनज़ीर भुट्टो उनके नारों का जवाब देने के लिए कार से बाहर निकलीं और उसके बाद वहां तीन गोलियां चलीं और फिर एक भयानक विस्फोट हुआ. उसके बाद वहां पर मौजूद किसी को कोई होश नहीं था कि वह जान बचाने के लिए किस ओर भागे. इस धमाके में बेनज़ीर भुट्टो सहित 25 लोग मारे गए थे. दूसरी ओर वहां घायल लोगों और लाशों के अलावा हर तरफ़ ख़ून बिखरा हुआ था, उनके जिस्म के टुकड़े थे. घटनास्थल से मरी रोड की ओर जाने के लिए एक साइड से लोग गुज़रने लगे। दरअसल ज़मीन पर इसंनी लाशों के टुकड़े पड़े थे। तभी वहां से पत्रकारों के भगाने का सिलसिला शुरू हो गया। वहां देखा गया की ज़मीन पर कई इंसानों की खपड़ियां पड़ी थीं। अगले दिन पुलिस ने बिलाल नामक जिस कथित आत्मघाती हमलावर की स्केच जारी की, वो सड़क पर पड़े हुए चेहरे से मिलती थी.