दुबई. यमन की राजधानी सना के नजदीक हवाई हमलों में करीबी 60 लोगों की मौत हो गई। क़रीब 40 लोग जख्मी हैं इन में 13 की हालत नाज़ुक बताई जा रही है। मलबे में दबे लोगों को अभी नहीं निकाला जा सका है। मारे गए लोगों में हाउती विद्रोही और कई आम नागरिक शामिल हैं। बताया जा रहा है कि मलबे में अभी भी कई लोगों के दबे हैं। ये हमले सऊदी अरब की अगुआई में गठबंधन सेना ने किए। मीडिया रिपोर्ट्स में अफसरों के हवाले से बताया कि बुधवार को राजधानी सना से 20 किलोमीटर दूर एक डबल स्टोरी होटल पर बमबारी की गई। इससे होटल की बिल्डिंग पूरी तरह तबाह हो गई। बताया जा रहा है कि हमले के वक्त होटल में करीब 100 लोग थे। न्यूज एजेंसी के मुताबिक इस हमले में कम से कम 41 लोगों की मौत हुई है। 35 शव बाहर निकाले जा चुके हैं। 13 जख्मियों को भी बाहर निकाला गया है। मलबे में अभी भी कई लोगों के दबे होने की आशंका है। अभी यह बात साफ नहीं हो पाई है कि इस होटल को निशाना क्यों बनाया गया।
दूसरा हमला यहां से कुछ किलोमीटर दूर हाउती विद्रोहियों के कब्जे वाले एक चेक पोस्ट पर किया गया। बताया जा रहा है कि इनके अलावा भी रातभर कई जगह हवाई हमले किए गए हैं। पिछले साल एक जनाजे में जुटे लोगों को निशाना बनाकर हवाई हमला किया गया था। इसमें 140 लोगों की मौत हो गई थी। पिछले हफ्ते कई इंटरनेशनल एजेंसियों की मदद से तैयार एक रिपोर्ट आई है। इसमें बताया गया है कि यमन में जितने हमले 2016 में किए गए उससे कहीं ज्यादा इस साल के शुरुआती छह महीनों में किए जा चुके हैं। इंटरनेशनल रिपोर्ट्स के मुताबिक, यमन में बीते तीन सालों से चल रहे गृहयुद्ध में कम से कम 10 हजार लोग मारे जा चुके हैं। 30 लाख से ज्यादा लोग देश छोड़कर जा चुके हैं। क्यों हो रही है यमन में जंग? यमन अरब कंट्रीज के सबसे गरीब देशों में से एक है। यहां करीब तीन साल से जंग चल रही है।
यह जंग प्रेसिडेंट अब्दरब्बू मंसूर हादी की सरकार, उनके वफादार सैनिकों और शिया हाउती विद्रोहियों के बीच चल रही है। हादी को सऊदी अरब समेत कई सुन्नी देश, अमेरिका और ब्रिटेन का सपोर्ट है। हाउती विद्रोही शिया मुस्लिम कम्युनिटी से हैं। इन्हें देश के पूर्व प्रेसिडेंट अली अब्दुल्ला सालेह के वफादार सैनिकों का सपोर्ट मिल रहा है। यानी देश की सेना में ही दो गुट हैं। इस टकरावा का फायदा उठाकर अल कायदा और आईएसआईएस भी यमन में खुद को मजबूत करने में लगे हैं।
जंग की वजह से यमन के ऐसे हाल हो गए हैं कि यहां की 2 करोड़ 70 लाख आबादी में से 70% दूसरे देशों से मिल रही मदद पर निर्भर है। 1 करोड़ 45 लाख लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है। 73 लाख लोग अकाल का सामना कर रहे हैं।