उत्तर कोरिया अलग-थलग और एक ग़रीब देश है लेकिन सैन्य ताकत में कमज़ोर नहीं. उत्तर कोरिया के नेताओं का एक लक्ष्य दिखता है वो है अपने अस्तित्व को बचाना. इसके लिए उन्होंने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों में बड़ा निवेश किया है. ये उत्तर कोरिया के लिए जीवन बीमा की तरह है. परमाणु हथियारों का इस्तेमाल उत्तर कोरिया की हुकूमत के लिए विनाशकारी साबित होगा, क्योंकि परमाणु हमले के बाद होने वाले युद्ध में उत्तर कोरिया का बचना मुश्किल होगा. लेकिन उत्तर कोरिया सिर्फ़ परमाणु शक्ति के सहारे ही आंखें नहीं दिखाता. उत्तर कोरिया की फ़ौज दुनिया में सबसे बड़ी सेनाओं में से एक है और पारंपरिक और ग़ैर-परमाणु सामरिक हथियारों का ज़खीरा भी उत्तर कोरिया की ताकत है.
और इतिहास में झांकें तो प्योंगयांग अपनी ताकत का इस्तेमाल करने से भी नहीं हिचकता. माना जाता है कि मार्च 2010 में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के छोटे लड़ाकू जहाज़ को डुबो दिया था. और उसी साल उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के एक द्वीप पर बमबारी की थी. इसलिए उत्तर कोरिया के हमला करने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है और इस हमले की सूरत में जिस देश को सबसे ज़्यादा चिंतित होना चाहिए वो है उसका पड़ोसी दक्षिण कोरिया. उत्तर कोरिया के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक फ़ौज है. इसमें 11 लाख कर्मचारी हैं जो उत्तर कोरिया की जनसंख्या का पांच फ़ीसदी हिस्सा है. इसके अलावा माना जाता है कि 70 लाख अतिरिक्त कर्मी हैं, ये रेड वर्कर्स, पेज़ंट गार्ड्स, रेड यूथ गार्ड्स, मिलिट्री ट्रेनिंग रिज़र्व यूनिट और अतिरिक्त दल भी मौजूद हैं.
एंथनी एच कोर्ड्समैन ने `द मिलिट्री बैलेंस इन कोरिया` में लिखे एक लेख में कहा था कि अक्सर सैनिकों की ज़्यादा संख्याबल वाली सेनाएं हारने वाले पक्ष में होती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया के हथियार और तकनीक काफ़ी पुराने हो चुके हैं. लंदन आधारित इंटरनेश्नल इंस्टीट्यूट फ़ॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ के शोधकर्ता जोसेफ़ डेंपसे के मुताबिक उत्तर कोरिया हथियारों के आधुनिकीकरण से ज़्यादा उनकी तादाद पर निर्भर है. अमरीकी विदेश मंत्रालय का मानना है उत्तर कोरिया अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 15 से 24 फ़ीसदी हिस्सा रक्षा बजट पर खर्च करता है. यानी उत्तर कोरिया सेना पर 3,700 और 8,100 अमरीकी डॉलर के बीच खर्च करता है. जोसेफ़ कहते हैं कि उत्तर कोरिया की सेना के बारे में बहुत सटीक अंदाज़ा लगाना मुश्किल है लेकिन दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय की पत्रिका के मुताबिक 2016 के आंकड़े बताते हैं कि उसके पास क्या क्या है:
क़रीब 4,300 टैंक
2,300 बख़्तरबंद गाड़ियां
8,600 बंदूकें
5,500 मल्टिपल रॉकेट लॉन्चर
10 मल्टिपल 300 एमएम रॉकेट लॉन्चर
दक्षिण कोरिया के श्वेत पत्र के मुताबिक उत्तर कोरिया के पास उसके दोनों तटों पर एक-एक फ़्लीट कमांडर हैं, 13 नेवल स्क्वॉड्रन और दो मैरीटाइम स्नाइ ब्रिगेड हैं.इसके अलावा दक्षिण कोरिया के अनुमान के मुताबिक उसके पास:
430 सरफ़ेस वेसल
250 जहाज़
20 ड्रैगामाइन
40 सहायक नावें
70 पनडुब्बियां
माना जाता है कि 1,630 हवाई जहाज़ हैं जो उत्तर कोरिया ने चार अलग-अलग जगहों पर तैनात किए हैं.दक्षिण कोरिया की सरकार का दावा है, " हाल ही में अतिरिक्त अड्डों पर जहाज़ तैनात करके उत्तर कोरिया ने न्यूनतम तैयारी में हमला बोलने की क्षमता हासिल कर ली है."कोरियाई प्रायद्वीप की नज़र दौड़ाने के लिए रडार के साथ कई वायु रक्षा यूनिट हैं.
•क़रीब 810 लड़ाकू हवाई जहाज़
•30 निगरानी और नियंत्रण करने वाले हवाई जहाज़
•330 मालवाहक हवाई जहाज़
•170 ट्रेनिंग हवाई जहाज़
•290 हेलिकॉप्टर
लेकिन जोसेफ़ डेंपसे कहते हैं कि उत्तर कोरिया के ज़्यादातर जहाज़ दो दशक से भी ज़्यादा पुराने हैं.उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन की कोशिशें अब लंबी दूरी की भरोसेमंद मिसाइलें और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें बनाने तक केंद्रित हैं. इसके पीछे पैसा, समय और मेहनत खर्च करने का मक़सद सिर्फ़ परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की क्षमता हासिल करना है. अमरीका-उत्तर कोरिया भिड़ गए तो दुनिया का क्या होगा? उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तस्वीर अभी साफ़ नहीं है लेकिन ये जानकारी है कि प्योंगयांग के पास कई
दूरी की और लंबी दूरी की मिसाइलें हैं जो या तो तैयार हैं या उनका परीक्षण किया गया है. इन्हीं में ह्वासोंग और नोदोंग शामिल हैं. 2016 में किए गए एक विश्लेषण में कहा गया है कि दक्षिण कोरिया और जापान को निशाना बनाने के लिए उनके पास एक तंत्र है.
जॉनथन मार्कस का कहना है कि उत्तर कोरिया के पास कई रासायनिक हथियार भी हैं. माना जाता है कि इनमें मस्टर्ड गैस, क्लोरीन, सारीन और अन्य नर्व एजेंट हैं. माना जाता है कि उत्तर कोरिया के पास जैविक हथियार भी हैं. हालांकि 1987 में उत्तर कोरिया ने जैविक हथियार संधि पर हस्ताक्षर किए थे. इस संधि के तहत जैविक हथियार बनाने, रखने पर प्रतिबंध है. अमरीका आधारित काउंसिल ऑफ़ फ़ॉरेन रिलेशन्स की वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में कहा गया है कि साइबर हमले की भी काबिलियत उत्तर कोरिया के पास है, संभव है कि इसमें चीन और पूर्व यूएसएसआर ने मदद की है.