नई दिल्ली: पौती की लाश को एक बुज़र्ग अपने कंधे पर लाद कर घर ले गया। चूंकि अस्पताल में कोई एंबुलेंस नहीं थी। दिल्ली से सटे फरीदाबाद में अस्पताल प्रशासन द्वारा मुहैया न कराए जाने पर एक व्यक्ति अपनी नौ वर्षीय पोती का शव कंधे पर ले जाने को मजबूर हो गया. लड़की की सिविल अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. पुलिस प्रवक्ता के अनुसार बुखार से पीड़ित लक्ष्मी का दादा आज सुबह उसे बादशाह खान अस्पताल लाया था जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया और उसकी मौत हो गई. मौत के बाद शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस तक मुहैया नहीं कराई, जिसके बाद वह उसका शव कंधों पर ले जाने लगा. कुछ स्थानीय पत्रकारों के हस्तक्षेप के बाद एक निजी एम्बुलेंस मुहैया कराई गई.गौरतलब है कि इससे पहले भी देश के कई इलाकों से स्वास्थ्य विभाग की ओर से की गई लापरवाही की वजह से ऐसी खबरें आ चुकी हैं जिनमें लोग शवों को कंधे, रिक्शे या फिर साइकिल से ले जाने के लिए मजबूर हुए हैं. बीती 10 जुलाई को ही झारखंड के चतरा जिले में अस्पताल द्वारा एंबुलेंस देने से इनकार करने पर एक व्यक्ति तथा उसकी भाभी को अपने परिजन के शव को खुद अपने कंधों पर लादकर घर ले जाना पड़ा.
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, चतरा जिले के सिदपा गांव में राजेंद्र उरांव को सांप ने काट लिया था. उसे इलाज के लिए चतरा जिला सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया. स्थानीय लोगों का कहना है कि वक्त पर इलाज शुरू नहीं किया गया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई. मृतक के परिजनों ने अस्पताल से शव को घर तक ले जाने के लिए एंबुलेंस मुहैया कराने की मांग की, लेकिन इनकार कर दिया गया. इसके बाद मृतक के भाई तथा भाभी दोनों मिलकर हाथों से पकड़कर शव को घर ले गए. वहीं उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में कथित रूप से सरकारी एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराये जाने की वजह से मृतक के परिजन शव को रिक्शे पर लादकर ले गये. राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के सूत्रों ने आज यहां बताया कि रामआसरे (44) नामक व्यक्ति का शव कल रेल की पटरी से बरामद हुआ था. उसके परिजन शव को पोस्टमार्टम के लिए रिक्शे पर लाद कर ले गए थे. इसका वीडियो सोशल मीडिया तथा समाचार चैनलों पर खूब प्रसारित किया गया. इसके अलावा उडिशा में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था.