नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस सीएस कर्णन की अग्रिम ज़मानत अर्ज़ी खारिज कर दी। अवमानना मामले में उन्हें सुनाई गई छह महीने की जेल की सजा भी सस्पेंड करने से कोर्ट ने इनकार कर दिया। बता दें कि अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद वो करीब 42 दिन से गायब थे। उन्हें तमिलनाडु के कोयंबटूर से मंगलवार रात को गिरफ्तार किया गया। स्पेशल बेंच ही करेगी सुनवाई...जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और एसके कौल की वेकेशन बेंच ने कहा कि कोर्ट सात जजों की बेंच के ऑर्डर से बंधी हुई है। यह बेंच अभी एक महीने तक चलेगी। इसके बाद चीफ जस्टिस की बेंच के सामने ही यह मुद्दा रखना चाहिए।जजों ने कहा कि सात जजों की बेंच इस पर पहले ही फैसला दे चुकी है और सिर्फ स्पेशल बेंच ही पिटीशन पर सुनवाई कर सकती है।
कर्णन की ओर से पेश हुए उनके वकील मैथ्यु जे. नेंदुम्परा ने कहा कि इस कोर्ट को पूरी पावर है कि वह कोर्ट के फिर से खुलने तक उनके मुवक्किल को इंटरिम बेल दे दे। इस पर वेकेशन बेंच ने कहा वह सात जजों की बेंच के फैसले को रद्द नहीं कर सकती। एयरपोर्ट के रिटायरिंग रूम में गुजरी रात वेस्ट बंगाल पुलिस की छह मेंबर की टीम बुधवार दोपहर जस्टिस कर्णन को कोयंबटूर से कोलकाता ले आई। पुलिस ने बताया कि उन्हें एयर इंडिया की फ्लाइट से लाया गया। इससे पहले मंगलवार देर रात कर्णन को एक प्राइवेट एयरलाइंस की फ्लाइट से काेयंबटूर से चेन्नई लाया गया। चेन्नई में उन्हें एयरपोर्ट कॉम्पलेक्स में बने रिटायरिंग रूम में कड़ी सिक्युरिटी के बीच रखा गया। मोबाइल से ट्रेस हुई लोकेशन कर्णन को कोयंबटूर से करीब छह किलोमीटर दूर मलुमिनचंपति में एक रिसॉर्ट से अरेस्ट किया गया। यहां वे कुछ दिनों से रह रहे थे। उनकी गिरफ्तारी के लिए कोलकता पुलिस की तीन टीमें कोयंबटूर में डेरा डाले हुई थीं। उन्हें मोबाइल लोकेशन के आधार पर ट्रेस किया जा रहा था। इसमें तमिलनाडु पुलिस कोलकाता पुलिस को टेक्निकल सपोर्ट दे रही थी।
कोर्ट ने 9 मई को कर्णन की गिरफ्तारी के ऑर्डर दिए थे। इसके बाद वह गायब हो गए। कई दिन तक पश्चिम बंगाल पुलिस को उनका सुराग नहीं मिला। 11 मई को बंगाल पुलिस के सीनियर अफसरों की टीम जस्टिस कर्णन को गिरफ्तार करने के लिए चेन्नई स्थित उनके घर पहुंची थी, लेकिन कर्णन नहीं मिले। पुलिस ने उनके बेटे से पूछताछ की। इसके बाद वह 12 जून को रिटायर हो गए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने जब उन्हें सजा सुनाई थी, उस वक्त कर्णन चेपक (चेन्नई) के स्टेट गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे। आदेश सामने आते ही अचानक गायब हो गए।
जस्टिस कर्णन ने इसी साल 23 जनवरी को पीएम को लेटर लिखकर 20 जजों पर करप्शन का आरोप लगाया था। इनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और मद्रास हाईकोर्ट के मौजूदा जज शामिल हैं। जस्टिस कर्णन ने इस मामले की जांच कराने की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को जस्टिस कर्णन को नोटिस जारी पूछा था कि क्यों न इसे कोर्ट की अवमानना माना जाए। कोर्ट ने उन्हें मामले की सुनवाई होने तक सभी ज्यूडिशियल और एडमिनिस्ट्रिेटिव फाइलें कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को लौटाने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को 13 फरवरी को कोर्ट में पेश होने को कहा था, लेकिन वो हाजिर नहीं हुए। बता दें कि यह पहला केस था जब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के मौजूदा जज को अवमानना का नोटिस भेजा था।