कराची. पाकिस्तान में 16 साल की एक लड़की को अगवा कर जबरन धर्म बदलवाने और उससे शादी करने का मामला सामने आया है। मामले को लेकर पाकिस्तान की हिंदू माइनॉरिटी कम्युनिटी में जमकर गुस्सा है। वहीं, लड़की का कहना है कि उसे अगवा नहीं किया गया था। वह खुद लड़के के साथ गई थी। सैयद कम्युनिटी पर लड़की को अगवा करने का आरोप...- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, 6 जून को सिंध प्रोविन्स के नगरपारकर इलाके के वनहारो गांव से रविता मेघवार नाम की लड़की को अगवा किया गया। रविता के माता-पिता का दावा है कि उसे सैयद कम्युनिटी के लोगों ने अगवा किया।  पेरेंट्स ने पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज कराई है। इसके मुताबिक, 37 साल के नवाज अली शाह ने रविता को किडनैप कर जबरन धर्म परिवर्तन कराया और शादी की।
ये भी आरोप है कि लड़की का नाम बदलकर गुलनाज कर दिया गया। वह 15 मई को उमरकोट में एक जर्नलिस्ट को मिली थी, जिसने उसके घर में सूचना दी। लड़की ने क्या कहा?--- रविता के मुताबिक, "उमरकोट के समारो में पीर मोहम्मद अयूब जान फारूकी के सामने मेरी शादी कराई गई।" - रविता ने ये भी कहा कि उसको किडनैप नहीं किया गया था, बल्कि वह शाह के साथ खुद गई थी। रविता ने अपने और पति की सुरक्षा की मांग की है। क्या बोले रविता के पिता? - रविता के पिता सतराम दास मेघवार का कहना है कि सैयद कम्युनिटी के रसूखदार लोगों ने उनकी बेटी को अगवा किया था। इसके लिए उन्होंने हमारे पूरे परिवार को नींद की गोलियां दी थीं। सतराम ये भी कहा कि पुलिस के पास कई बार गुहार लगाने के बावजूद उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। रविता के जीजा लाजपत मेघवाड़ ने कहा, "मेरी पत्नी की उम्र ही 18 साल है। लिहाजा, उसकी छोटी बहन कैसे एडल्ट हो सकती है?" बाकायदा
मैरिज रजिस्टर में शाह का बर्थ ईयर 1980 बताया गया है और नेशनल आइडेंटिटी कार्ड (NIC) नंबर का भी जिक्र है। लेकिन रविता की उम्र तकरीबन 18 साल लिखी गई है और NIC को भी नहीं बताया गया है।  रविता को इस्लाम बताने वाले सर्टिफिकेट में भी उसकी बर्थ डेट और NIC को छिपाया गया है। बता दें कि प्राइमरी स्कूल के सर्टिफिकेट में रविता की बर्थ डेट 14 जुलाई, 2001 है। इस लिहाज से उसकी उम्र 16 साल है।
 पीएमएल-एन के सांसद और पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के चीफ डॉ. रमेश कुमार वंकवानी ने बताया, "अगर किसी लड़की की उम्र 18 साल से कम है तो हिंदू मैरिज एक्ट के मुताबिक उसका धर्म नहीं बदलवाया जा सकता।"  फिलहाल, सिंध प्रोविन्स जबरन धर्म बदलवाने को लेकर क्रिमिनल लॉ (प्रोटेक्शन ऑफ माइनॉरिटीज) बिल पास कर चुका है। इसे संसद में लाया जाना है। कई नॉन-मुस्लिम कम्युनिटीज जबरन इस्लाम स्वीकार करने का आरोप लगा चुकी हैं।