सफ़दर रिज़वी
क्या अब बकरीद में मुसलिम समाज कुर्बानी नहीं कर सकेगा? यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि केद्र सरकार ने वध के लिये पशु बाजारों में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे न सिर्फ निर्यात एवं मांस तथा चमड़ा कारोबार पर असर पड़ेगा बल्कि कुर्बानी पर भी असर पड़ सकता है। यह कदम भाजपा सरकार के लिए भारी पड़ सकता है। सरकार ने जीवों से जुड़ीं क्रूर परंपराओं पर भी प्रतिबंध लगाया है जिसमें उनके सींग रंगना तथा उन पर आभूषण या सजावट के सामान लगाना शामिल है। पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत सख्त ‘पशु क्रूरता निरोधक (पशुधन बाजार नियमन) नियम, 2017’ को अधिसूचित किया है। अधिसूचना के मुताबिक पशु बाजार समिति के सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शख्स बाजार में अवयस्क पशु को बिक्री के लिये न लेकर आये। इसमें कहा गया है ‘‘किसी भी शख्स को पशु बाजार में मवेशी को लाने की इजाजत नहीं होगी जब तक कि वहां पहुंचने पर वह पशु के मालिक द्वारा हस्ताक्षरित यह लिखित घोषणा-पत्र न दे दे जिसमें मवेशी के मालिक का नाम और पता हो और फोटो पहचान-पत्र की एक प्रति भी लगी हो।’’ अधिसूचना के मुताबिक, ‘‘मवेशी की पहचान के विवरण के साथ यह भी स्पष्ट करना होगा कि मवेशी को बाजार में बिक्री के लिये लाने का उद्देश्य उसका वध नहीं है।’
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि नये नियम बहुत ‘‘स्पष्ट’’ हैं और इसका उद्देश्य पशु बाजारों तथा मवेशियों की बिक्री का नियमन है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये प्रावधान पशुओं पर केवल पशु बाजारों तथा संपत्ति के रूप में जब्त पशुओं पर लागू होंगे। उन्होंने कहा कि ये नियम अन्य क्षेत्रों को कवर नहीं करते हैं। पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना पशु कल्याण के निर्देश के अनुरूप है।
इस बीच, केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने कहा कि अगर आज उन्होंने पशु वध को प्रतिबंधित किया है तो वे कल मछली खाने पर रोक लगा देंगे। मलयालम में किये फेसबुक पोस्ट में मुख्यमंत्री ने जनता से भाजपा नीत सरकार के ‘‘इस असभ्य फैसले’’ के खिलाफ गुस्सा दिखाने को कहा। उन्होंने कहा कि यह देश के ‘‘धर्मनिरपेक्ष छवि को खराब करने का प्रयास’’ है।