नई दिल्ली/हेग. कुलभूषण जाधव को पाक में सुनाई गई फांसी के खिलाफ सोमवार को नीदरलैंड्स स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में सुनवाई हुई। भारत ने कोर्ट को बताया, ‘हमें आशंका है कि पूरी सुनवाई होने या फैसला आने से पहले ही पाक जाधव को फांसी पर न चढ़ा दे। अगर ऐसा हुआ तो दुनिया में गलत मैसेज जाएगा। दुनियाभर में ऐसे मामलों में ह्यूमन राइट्स बेसिक प्रैक्टिस माने जाते हैं, पाक इन्हीं को हवा में उड़ा देता है।’ बता दें कि पिछले महीने पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने इंडियन नेवी के पूर्व अफसर जाधव को जासूसी के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। इसी के खिलाफ भारत ने अपील की। 18 साल बाद दोनों देश इंटरनेशनल कोर्ट में आमने-सामने हैं। सुनवाई के दौरान और क्या हुआ...
सोमवार सुबह हेग में सुनवाई शुरू हुई। 11 जजों की बेंच को लीड कर रहे जस्टिस अब्राहम ने भारत और पाक की उनकी अर्जियां पढ़कर सुनाईं। दोनों पक्षों को दलीलें रखने के लिए 90-90 मिनट का वक्त दिया गया। भारत की तरफ से दलीलें पेश करने के लिए एडवोकेट हरीश साल्वे चार लोगों की टीम के साथ मौजूद थे। इनमें फाॅरेन मिनिस्ट्री में ज्वॉइंट सेक्रेटरी (पाक-अफगान-ईरान) दीपक मित्तल, ज्वॉइंट सेक्रेटरी वीडी. शर्मा, काजल भट्ट (नीदरलैंड्स में इंडियन एम्बेसी की फर्स्ट सेक्रेटरी) और चेतना एन. रॉय (जूनियर काउंसिल) शामिल हैं।सबसे पहले दीपक मित्तल ने दलील दीं। फिर वीडी शर्मा और आखिर में हरीश साल्वे ने केस की अर्जेंसी पर अपनी दलील रखीं। भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट में ये दलीलें दीं 1. सरकार की तरह जवाब दे रहा पाक का आर्मी कोर्ट हरीश साल्वे ने कहा- "भारत का एक नागरिक जाधव 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया। मार्च 2017 में उसे पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी। भारत कहना चाहता है कि यह ह्यूमन राइट्स और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के खिलाफ है। पाक की कोर्ट का फैसला साफतौर पर वियना कन्वेंशन के खिलाफ है। इसलिए हम इंटरनेशनल कोर्ट से राहत की उम्मीद करते हैं।’ साल्वे ने अपनी दलीलों में कहा कि पाकिस्तान ने इस मामले पर भारत के किसी भी सवाल और काउंसलर एक्सेस की अपील का अब तक जवाब नहीं दिया। ये भी नहीं बताया कि जाधव की सेहत कैसी है? वहां की मिलिट्री ने कहा कि जाधव को काउंसलर एक्सेस नहीं दिया जा सकता। एक आर्मी कोर्ट सरकार के तौर पर जवाब कैसे दे सकता है?
2. ह्यूमन राइट्स को हवा में उड़ा देता है PAK -साल्वे ने कहा- "पाकिस्तान ने इस मामले में अब तक किसी तरह का कम्युनिकेशन नहीं किया। पाकिस्तान मामले को लेकर प्रिजुडिस है। इसलिए हमें किसी तरह का काउंसलर एक्सेस और डिफेंस लॉयर तक नहीं दिया गया। ऐसा दुनिया के किसी भी सभ्य देश में नहीं होता। जाधव की मां की अपील पर भी कोई जवाब नहीं दिया गया। ह्यूमन राइट्स जो कि बेसिक्स माने जाते हैं, उन्हें पाकिस्तान हवा में उड़ा देता है।" 3. पाक के पास साइंटिफिक एविडेंस नहींं साल्वे ने अपनी दलील में कहा- "18 अप्रैल 2017 को पाकिस्तान की मिलिट्री ने कहा था- जाधव पाकिस्तान में अशांति फैलाना चाहता था। जाधव के खिलाफ साइंटिफिक एविडेंस हैं। सवाल ये है कि अगर सबूत थे तो दुनिया के सामने क्यों नहीं लाए गए? सच्चाई ये है कि जाधव को ईरान से किडनैप कर लाया गया। उनकी गिरफ्तारी पाकिस्तान से दिखाई गई। चूंकि दोनों देशों (भारत-पाक) के रिश्ते अच्छे नहीं हैं। इसलिए, बिना किसी ट्रायल के उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई।" 4. इस मामले में पाकिस्तान को जल्दी क्यों
साल्वे ने कहा- "जाधव के माता-पिता की वीजा एप्लीकेशन भी पेंडिंग है। यानी हर अपील को किसी ना किसी तरह खारिज कर दिया गया। ऐेसा कैसे हो सकता है कि किसी आरोपी को किसी तरह की कोई सुविधा ना दी जाए? खासतौर पर इंसाफ के मामले पर। इसके बाद भी पाकिस्तान कहता है कि जाधव के मामले में कोई गलती नहीं हुई। उसे इतनी जल्दी क्यों है?" साल्वे ने कहा- भारत को डर है कि इस मामले में सुनवाई पूरी होने से पहले ही पाकिस्तान जाधव को सजा दे सकता है। ये ह्यूमन राइट्स और जस्टिस के रूल्स के खिलाफ होगा। दुनिया में गलत मैसेज जाएगा।" 5. ICJ पाकिस्तान मिलिट्री कोर्ट के आदेश को रद्द करे साल्वे ने आगे कहा- "जाधव को जिस इकबालिया बयान (टेप) पर सजा सुनाई गई वो भी डॉक्टर्ड था। इसकी फोरेंसिक जांच में पुष्टि हो चुकी है। भारत चाहता है कि ये कोर्ट पाकिस्तानी मिलिट्री कोर्ट के आदेश को रद्द करे। भारत ने जो एप्लीकेशन फाइल की है वो वियना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 पर बेस्ड है।"
"वियना कन्वेंशन के आधार पर ही भारत और पाकिस्तान इंटरनेशनल कोर्ट के फैसला मानने के लिए बाध्य हैं। भारत को तो जाधव के खिलाफ लगाए गए आरोपों की कॉपी तक नहीं मिली। हमें शक है कि सुनवाई हुई भी या नहीं? अगर इतने ही सबूत थे और आरोप भी इतने ही गंभीर थे तो फिर छुपाया क्यों गया? भारत की मांग है कि इंटरनेशनल कोर्ट पाकिस्तान मिलिट्री कोर्ट के ऑर्डर को रद्द करे।" 6. भारत ने तीन मामलों का जिक्र किया भारत ने अपना पक्ष मजबूत रखने के लिए इंटरनेशनल कोर्ट के ही तीन फैसलों का जिक्र किया।
पहला: सभी के अधिकारों का सम्मान होना चाहिए खासतौर पर तब, जबकि ऐसा करना जल्द जरूरी हो। जर्मनी के एक केस में 1998 में इस कोर्ट ने यही किया था। अमेरिका को वॉल्टर नाइल की सजा पर रोक का ऑर्डर दिया था। दूसरा: ऐसा ही मामला मैक्सिको के 44 सिटिजंस के मामले में हुआ था। इन्हें भी अमेरिका ने अरेस्ट किया था। इस मामले की सुनवाई 2003 में हुई थी। तब इस कोर्ट ने कहा था- पहले से तय की गई राय (प्रिजुडिस) के आधार पर कोई फाइनल डिसीजन नहीं लिया जा सकता।" तीसरा: ऐसा ही एक मामला फिनलैंड और नीदरलैंड्स का था। इसमें सिर्फ रिस्क ऑफ जस्टिस के बेस पर नीदरलैंड्स के कोर्ट में प्रोसीडिंग्स पर रोक लगा दी गई थी।
7. भारत ने दो उदाहरण देकर बताए इंटरनेशनल कोर्ट के हक साल्वे ने कहा- "बेल्जियम और बुल्गारिया केस (1931) में इसी कोर्ट ने आदेश दिया था कि बिना किसी स्वतंत्र सुनवाई के कोई सजा नहीं सुनाई जा सकती। इसके लिए कोर्ट ने आर्टिकल 36 के पैराग्राफ 2 का सहारा लिया था। होंडुरास और निकारागुआ मामले में इस कोर्ट ने ऑर्डर दिया था कि वियना कन्वेंशन का पालन जरूरी है। तब होंडुरास को निकारागुआ के बिजली कर्मचारियों को सजा देने से रोक दिया गया था। कोर्ट ने उस वक्त सुनवाई के दौरान निकारागुआ की वह दलील खारिज कर दी थी कि सजा सुनाने का तरीका वहां के जनरल रूल का हिस्सा है।" "इस कोर्ट के पास हक है कि वो इस तरह के मामलों में सीधा दखल दे। भारत पहले भी आर्टिकल 84 को सख्ती से लागू करने पर जोर देता रहा है। जर्मनी को भी वियना कन्वेंशन के उल्लंघन से रोका गया था। क्योंकि ये ऑप्शनल प्रोटोकॉल नहीं है।" क्या पाकिस्तान खारिज कर सकता है इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला?
बिल्कुल खारिज कर सकता है। लेकिन, तीन बातें उसे ध्यान में रखनी होंगी। पाकिस्तान ने खुद वियना कन्वेंशन पर दस्तखत किए हैं। फैसला खारिज करते ही वो इस कन्वेंशन का हिस्सा नहीं रहेगा। अमेरिका जैसे ताकतवर मुल्क ने भी इस कोर्ट के ऑर्डर को कभी खारिज नहीं किया। जबकि, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में सबसे ज्यादा केस अमेरिका और लैटिन अमेरिकी देशों के आते हैं। फैसला खारिज करने के बाद अगर पाकिस्तान फिर कभी इस कोर्ट में जाता है तो उसका पक्ष पहले ही हल्का मान लिया जाएगा। इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स संगठनों का दबाव बढ़ेगा। इसका सीधा असर पाकिस्तान की पहले ही खस्ताहाल इकोनॉमी पर पड़ेगा। वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड जैसे ऑर्गनाइजेशन उससे पल्ला झाड़ सकते हैं।क्या है मामला? पाक की मिलिट्री कोर्ट ने जाधव को जासूसी और देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है। भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था। इंडियन नेवी से रिटायरमेंट के बाद वे ईरान में बिजनेस कर रहे थे।
हालांकि, पाकिस्तान का दावा है कि जाधव को बलूचिस्तान से 3 मार्च 2016 को अरेस्ट किया गया था। पाकिस्तान ने जाधव पर बलूचिस्तान में अशांति फैलाने और जासूसी का आरोप लगाया है। इंटरनेशनल कोर्ट में भारत की तरफ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने 8 मई को पिटीशन दायर की थी। भारत ने यह मांग की थी कि भारत के पक्ष की मेरिट जांचने से पहले जाधव की फांसी पर रोक लगाई जाए। 18 साल पहले भारत-पाक इंटरनेशनल कोर्ट में थे आमने-सामने 10 अगस्त 1999 को इंडियन एयरफोर्स ने गुजरात के कच्छ में पाकिस्तान नेवी के एक एयरक्राफ्ट एटलांटिक को मार गिराया था। इसमें सवार सभी 16 सैनिकों की मौत हो गई थी। पाकिस्तान का दावा था कि एयरक्राफ्ट को उसके एयरस्पेस में मार गिराया गया। उसने इस मामले में भारत से 6 करोड़ डाॅलर मुआवजा मांगा था। ICJ की 16 जजों की बेंच ने 21 जून 2000 को 14-2 से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया।
सभार दैनिक भास्कर