मानवाधिकारों पर काम कर रहे संयुक्त राष्ट्र के दो विशेषज्ञों ने भारत सरकार से भारत प्रशासित कश्मीर में सोशल मीडिया और मोबाइल इंटरनेट पर लगी पाबंदी पर सख्त नाराज़गी का इज़हार किया। इन्होंने लगी पाबंदी को खत्म करने की अपील की है.अभिव्यक्ति की आज़ादी और मानवाधिकारों के इन विशेषज्ञों ने कहा है कि घाटी के लोगों पर लगी ये पाबंदी सामूहिक सज़ा की तरह है. भारत प्रशासित कश्मीर में 26 अप्रैल को 16 सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर पाबंदी लगा दी गई थी. इनमें फ़ेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप और गूगलप्लस भी शामिल हैं.
सरकार का कहना था कि `राष्ट्रविरोधी तत्व` इन वेबसाइट्स का इस्तेमाल भड़काऊ संदेशों को फैलाने में कर रहे हैं. जम्मू कश्मीर सरकार के गृह विभाग ने अपने आदेश में कहा था, ``जनहित में लिए गए फ़ैसले के तहत ये वेबसाइट कश्मीर में नहीं खुलेंगी. अगला आदेश आने तक यह पाबंदी एक महीने तक रहेगी.`` कश्मीर यह आदेश ब्रिटिश भारत के क़ानून `इंडियन टेलिग्राफ़ एक्ट 1885` के तहत लिया गया है. प्रैल महीने की शुरुआत में श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा के बाद कश्मीर भारी अशांति की चपेट में है. घाटी में इंटरनेट पर पाबंदी आए दिन लगती रहती है, लेकिन सोशल मीडिया पर प्रतिबंध पहली बार लगा है.कश्मीर की ये `पत्थरबाज़ लड़कियां`