अनवर चौहान
हिंदुस्तान, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, यमन, सीरिया, लीबिया, ईराक़ या फिर कोई और देश में जिहाद के नाम चलरही तमाम तंज़ीमें इस्लाम के ख़िलाफ़ हैं। इस्लाम के नाम पर लोगों को मौत के घाट उतारने और ख़ुद मौत को लगाने वाले खुले दोज़ख़ी हैं। आखिरत के दिन इनका ठिकाना जन्नत नहीं जहनन्म हैं।
ऐसे लोगों को कभी जहन्न्म से नहीं निकाला जाएगा। ये फतवा किसी मौलवी मुल्लाह का नहीं अल्लाह ताला क़ुरान के अंदर खुद फऱमा रहा है। ,,वमयक़तुल मुताअम्मिदन फजाज़ाउलहू जहन्नमू ख़ालिदिन फीहा। क़ुरान शरीफ के पांचवें पारे की सूरे निसा में ये अल्लाह फरमा रहा है। इस का मफहूम है जिस शख्स ने बे-वजह किसी इसान का क़त्ल किया, बेवजह दुनिया में फसाद किया गोया उसने पूरी इंसानियत का क़त्ल किया। ऐसे लोगों का ठिकाना जहन्नम है। और वो हमैशा जहन्नम में रहने वाले हैं।
न की इस जानकारी का खुलासा मुफ्ती सय्यद मुशर्रफ अली इमामे मस्जि्द अक़सा ने किया। उन्होंने दीन की रोशनी साफ खुलासा किया कि जिस तरह जिहाद के नाम पर लोगों को मारा जा रहा है...ये क़तन इस्लाम का हिस्सा नहीं है। अल्लाह की नज़र में एक इंसान कुल कायनात से ज्यादा अज़ीज़ है।