अनवर चौहान

अफगानिस्तान में आंतकी संगठन इस्लामिक स्टेट पैर पसार चुका है। भारत के लिए ख़तरा इस बात का है पाक की खुफिया ऐजंसी आईएसआई   ISIS की आड़ में अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे सकती है। एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा कि भारत को आईएसआईएस से भले ही सीधा खतरा नहीं है लेकिन अफगानिस्तान में इसके पैर मजबूत होते  हैं तो इसकी आड़ में आईएसआई भारत में अपनी हरकतें तेज़ कर सकती है और दक्षिण एशिया में इस्लामिक स्टेट के फैलने का वह फायदा उठाएगी।


सूत्रों के अनुसार भारत के बहुत थोड़े से मुसलमान ISI के दुष्प्रचार से प्रभावित हुए हैं। भारतीय मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा की तरफ आकर्षित करने के इन आतंकवादी समूहों के प्रयास असफल ही हुए हैं। इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम  है कि ISIS भारत में अपने कदम रख सकता है। लेकिन बड़ी चिंता यह है कि आईएस के नाम पर आईएसआई भारत में अपनी हरकतें तेज़ कर सकत है। दरअसल इस बातसे कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि आईएसआई का नेटवर्क भारत में मौजूद है।

ISIS घिनौना रूप

सूत्रों की मानें तो वास्तविक रूप में #2349;ारत में अभी तक आईएस कदम नहीं रख पाया है लेकिन पश्चिम एशिया और उसके पड़ोसी देशों  में इन ताकतों से बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने सूफीवाद जैसे इस्लाम के अधिक उदारवादी रूप को बढ़ावा देने की तरफ ध्यान देना शुरू किया है। इसके तहत भारत ने पिछले साल विश्व सूफी सम्मेलन का आयोजन किया, जिसका पीएम नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन किया


इस सम्मेलन की अवधारणा और आयोजन उस टीम के बहुत वरिष्ठ सदस्यों ने किया, जो आतंकवाद रोधी रणनीतियां बनाने के लिए उच्च स्तर पर कार्य करते हैं। इस टीम को पश्चिम एशियाई देशों के साथ आतंकवाद रोधी सहयोग के लिए सम्पर्क बढ़ाने का काम सौंपा गया है।

ISIS घिनौना रूप

कराची में गुरुवार को सूफी संत शाहबाज कलंदर की दरगाह पर हुए विस्फोट से साफ हो जाता है कि सूफीवादी तंज़ीमों को इस्लामिक स्टेट से  खतरा है। ये ताकतें भारतीय मुसलमानों पर अपनी नजरें जमाये हैं। भारत में लगभग 18 करोड़ मुसलमान हैं, जो विश्व की मुस्लिम आबादी का 11 प्रतिशत है। इंडोनेशिया और पाकिस्तान को छोड़ दिया जाए तो भारत में मुसलमानों की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा है।अफगानिस्तान में आंतकी संगठन इस्लामिक स्टेट पैर पसार चुका है। भारत के लिए ख़तरा इस बात का है पाक की खुफिया ऐजंसी आईएसआई ISIS की आड़ में अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे सकती है। एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा कि भारत को आईएसआईएस से भले ही सीधा खतरा नहीं है लेकिन अफगानिस्तान में इसके पैर मजबूत होते  हैं तो इसकी आड़ में आईएसआई भारत में अपनी हरकतें तेज़ कर सकती है और दक्षिण एशिया में इस्लामिक स्टेट के फैलने का वह फायदा उठाएगी।


वहशी दरिंदे

सूत्रों के अनुसार भारत के बहुत थोड़े से मुसलमान ISI के दुष्प्रचार से प्रभावित हुए हैं। भारतीय मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा की तरफ आकर्षित करने के इन आतंकवादी समूहों के प्रयास असफल ही हुए हैं। इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम है कि ISIS भारत में अपने कदम रख सकता है। लेकिन बड़ी चिंता यह है कि आईएस के नाम पर आईएसआई भारत में अपनी हरकतें तेज़ कर सकत है। दरअसल इस बातसे कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि आईएसआई का नेटवर्क भारत में मौजूद है।


 वहशी दरिंदे

सूत्रों की मानें तो वास्तविक रूप में भारत में अभी तक आईएस कदम नहीं रख पाया है लेकिन पश्चिम एशिया और उसके पड़ोसी देशों  में इन ताकतों से बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने सूफीवाद जैसे इस्लाम के अधिक उदारवादी रूप को बढ़ावा देने की तरफ ध्यान देना शुरू किया है। इसके तहत भारत ने पिछले साल विश्व सूफी सम्मेलन का आयोजन किया, जिसका पीएम नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन किया था। इस सम्मेलन की अवधारणा और आयोजन उस टीम के बहुत वरिष्ठ सदस्यों ने किया, जो आतंकवाद रोधी रणनीतियां बनाने के लिए उच्च  स्तर पर कार्य करते हैं। इस टीम को पश्चिम एशियाई देशों के साथ आतंकवाद रोधी सहयोग के लिए सम्पर्क बढ़ाने का काम सौंपा गया है।


वहशी दरिंदे

कराची में गुरुवार को सूफी संत शाहबाज कलंदर की दरगाह पर हुए विस्फोट से साफ हो जाता है कि सूफीवादी तंज़ीमों को इस्लामिक स्टेट से  खतरा है। ये ताकतें भारतीय मुसलमानों पर अपनी नजरें जमाये हैं। भारत में लगभग  18 करोड़ मुसलमान हैं, जो विश्व की मुस्लिम आबादी का 11 प्रतिशत है। इंडोनेशिया और पाकिस्तान को छोड़ दिया जाए तो भारत में मुसलमानों की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा है।

ये सबकुछ इस्लाम के खिलाफ