अनवर चौहान की खास रिपोर्ट
नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी में सियासी ड्रामा जारी है। लेकिन सियासत के कुछ पंडियतों का मानना है कि मुलायम सिंह ने पुत्र मोह में भाई शिवपाल को बलि का बकरा बना दिया। रविवार को मुलायम सिंह, अमर सिंह और शिवपाल अपने कार्यकर्ताओं से मिले। लेकिन पार्टी के जितने कार्यकर्ता मुलायम सिंह के निवास पर थे उससे अधिक वहां मीडिया के लोग मौजूद थे। मैं ख़ुद भी वहां मौजूद था। मुलायम सिंह के चेहरे पर ज़र्रा बराबर भी कोई शिकन नहीं थी। अलबत्ता शिवपाल यादव के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थीं। इन सबके बीच अभी ये गुंजाइश नजर आ रही है कि दोनों खेमों (मुलायम-अखिेलश) में कोई सुलह समझौता हो जाएगा। दूसरी ओर, मुलायम सिंह यादव ने राज्यसभा सभापति से रामगोपाल यादव को समाजवादी पार्टी के संसदीय दल के नेता पद से हटाने के लिए कहा है। चुनाव आयुक्त से मुलाकात के बाद मुलायम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी में कुछ लोगों की वजह से समस्या है लेकिन इसे जल्द सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा थोड़ा बहुत मतभेद है। पार्टी में सभी विवादों और ë#2350;ामलों को जल्द सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की वजह से पार्टी में विवाद है। विशेषकर एक ही व्यक्ति विवाद करा रहा है। लेकिन समाजवादी पार्टी में ज्यादा मतभेद नहीं है।
सपा प्रमुख ने कहा कि उन्होंने कहा कि अखिलेश मेरा बेटा है और हम दोनों में कोई मतभेद नहीं है। पार्टी में थोड़े मतभेद हैं और मुझे यकीन है कि इन्हें सुलझा लिया जाएगा। ये मेरे और मेरे बेटे के बीच की बात है। मेरे और बेटे के बीच कोई विवाद नहीं है। अखिलेश को बहकाया गया है। एक व्यक्ति मेरे बेटे को उकसा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मेरे दस्तखत से उम्मीदवार तय होंगे और सर्वसम्मति से उम्मीदवार देंगे। बता दें कि उम्मीदवारों के नाम को लेकर थोड़ा विवाद जरूर है। उन्होंने कहा कि अब चुनाव आयोग को तय करना है कि चुनाव चिन्ह साइकिल को लेकर वे क्या निर्णय करते हैं। जो चुनाव चिन्ह मिलेगा उस पर चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि चुनाव चिन्ह पर दावे के लिए मुलायम आयोग पहुंचे। दूसरी ओर, मुलायम सिंह के चुनाव आयोग से निकलने के कुछ देर बाद ही अखिलेश गुट की तरफ से रामगोपाल यादव आयोग के दफ्तर पहुंचे। रामगोपाल और नरेश अग्रवाल सोमवार को चुनाव आयोग पहुंचे। रामगोपाल की अगुवाई में अखिलेश खेमे ने पार्टी के चुनाव चिन्ह पर दावा पेश किया। रामगोपाल ने कहा कि चुनाव आयोग से जल्द फैसले की अपील की है। हमने सभी संबंधित दस्तावेज पहले ही दिए। इससे पहले, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव ने रविवार को जोर दिया कि वह अब भी पार्टी के अध्यक्ष हैं। साथ ही उन्होंने अखिलेश यादव खेमे द्वारा आयोजित उस अधिवेशन की वैधता पर सवाल किए जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पार्टी का नया अध्यक्ष घोषित किया गया था। पार्टी पर नियंत्रण को लेकर पिछले कुछ दिनों से जारी संघर्ष के बीच मुलायम ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मैं समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं और अखिलेश यादव (सिर्फ) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। शिवपाल यादव अब भी सपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हैं। उन्होंने पहले से तैयार एक बयान को पढ़ते हुए जोर दिया, रामगोपाल यादव को 30 दिसंबर 2016 को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया था। इसलिए एक जनवरी 2017 को उनके द्वारा बुलाया गया राष्ट्रीय अधिवेशन अवैध था। मुलायम के करीबी अमर सिंह ने कहा कि मुलायम खेमा सोमवार को चुनाव आयोग से संपर्क करेगा और अखिलेश खेमे की ओर से रामगोपाल यादव की ओर से सौंपे गए दस्तावेजों की वास्तविकता पर सवाल किया जाएगा।
अखिलेश और उनके समर्थक पार्टी में पारिवारिक विवाद के लिए अमर सिंह पर दोषारोपण करते रहे हैं। अमर सिंह ने दावा किया कि अखिलेश के समर्थक विधायकों के हस्ताक्षरों का ‘कोई मूल्य’ नहीं है क्योंकि चार जनवरी को आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद वे वास्तव में विधायक नहीं रह गए हैं। उन्होंने कहा कि जिन प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए हैं, उनमें से अधिकतर की नियुक्ति एक जनवरी के बाद हुई है। इस बीच रामगोपाल यादव ने सपा के दोनों खेमों के बीच किसी सुलह की संभावना से इंकार किया और कहा कि चार-छह लोगों ने नेताजी को गुमराह किया कि उन्हें 200 विधायकों का समर्थन हासिल है। उनके रुख का अब पर्दाफाश हो गया है। उन्होंने हालांकि कहा कि उस राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम को पार्टी का संरक्षक नियुक्त किया गया जिसमें अखिलेश को सपा का नया अध्यक्ष बनाया गया था। सपा में जारी विवाद में अखिलेश के साथ नजर आए रामगोपाल ने कहा कि पार्टी के दिल्ली कार्यालय में नेताजी का नेमप्लेट अब भी लगा हुआ है।