(अनवर चौहान ) नई दिल्ली, अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ज़बरदस्त सुर्खियों में हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ और उनके मुल्क प्रशंसा करने के बाद आज उन्होंने सीधे ताइवान की राष्ट्रपति साई यिंग वेन से बात की है.इस पर चीन बुरी भड़क गया है। ट्रंप ने ऐसा कर साल 1979 में तय अमरीकी पॉलिसी तोड़ दी है. इस पॉलिसी के तहत अमरीका ने ताइवान से औपचारिक रिश्ते ख़त्म कर दिए गए थे. चीन के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप और ताइवान की सीधी बातचीत पर विरोध दर्ज कराया है.
चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता रहा है. चीन ने अमरीका पर इस मसले को `सावधानी और तरीके `से निबटाने का दबाव डाला है.चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने इस बातचीत पर कहा `यह ताइवान का छल भरा क़दम` है. हमें उम्मीद है इससे अमरीका की चीन नीति पर असर नहीं पड़ेगा . वांग यी ने कहा, `मुझे नहीं लगता कि इससे एक-चीन नीति में कोई परिवर्तन आएगा, जिसपर अमरीकी सरकार वर्षों से चल रही है.` `एक-चीन नीति, चीन-अमरीका संबंधों के विकास की आधारशिला है और हम आशा करते हैं कि इस राजनीतिक नींव के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी या इसे नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.`ट्रंप से हुई बातचीत पर पाकिस्तान फिलहाल ख़ामोश है। ट्रंप की टीम के मुताबिक़ फोन पर उन्होंने और साई यिंग वेन ने अमरीका और ताइवान के बीच नजदीकी आर्थिक, राजनीतिक और रक्षा संबंधों को लेकर बातचीत की.
हालांकि ट्रंप ने ट्वीट किया है कि साई ने उन्हें राष्ट्रपति का चुनाव जीतने पर बधाई देने के लिए फ़ोन किया था.उनकी टीम ने बताया कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने भी साई को ताइवान में जनवरी में हुए चुनावों में राष्ट्रपति बनने पर बधाई दी. राष्ट्रपति साई ताइवान की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) का नेतृत्व करने वाली पहली नेता है. उन्होंने चुनावों में भारी बहुमत से जीत हासिल की है. डीपीपी चीन से आज़ादी की पक्षधर पार्टी है.
मीडिया में ताइवान के साथ बातचीत और चीन के नाराज़ होने संबंधी खबरों के बाद ट्रंप ने ट्वीट किया, "कमाल है. अमरीका ताइवान को अरबों डॉलर के सैन्य उपकरण बेचता आया है, लेकिन मुझे वो फ़ोन कॉल भी स्वीकार नहीं करना चाहिए जो मुझे मुबारकबाद देने के लिए किया गया है." हालांकि व्हाइट हाउस ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप की बातचीत अमरीका की नीति में बदलाव का संकेत नहीं है. चीन ने ताइवान की तरफ़ सैकड़ों मिसाइलें तान रखीं है और उसने ताइवान के आज़ादी चाहने पर सेना का इस्तेमाल करने की धमकी दी है.